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चीन को संकेत, भारत-ब्रिटेन बढ़ाएंगे हिंद प्रशांत क्षेत्र में नौ सैन्य सहयोग

भारत और ब्रिटेन की नौ सेनाओं के बीच हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में नये सहयोग की शुरुआत होने जा रही है।

By Manish NegiEdited By: Published: Thu, 19 Apr 2018 08:32 PM (IST)Updated: Thu, 19 Apr 2018 08:32 PM (IST)
चीन को संकेत, भारत-ब्रिटेन बढ़ाएंगे हिंद प्रशांत क्षेत्र में नौ सैन्य सहयोग
चीन को संकेत, भारत-ब्रिटेन बढ़ाएंगे हिंद प्रशांत क्षेत्र में नौ सैन्य सहयोग

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। इंडो पैसिफिक यानी हिंद व प्रशांत महासागर का क्षेत्र किस तरह से वैश्विक कूटनीति की दिशा तय कर रहा है यह बात भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी और ब्रिटेश की पीएम थेरेसा मे की अगुवाई में बुधवार को लंदन में हुई द्विपक्षीय वार्ता से भी साबित होती है। बातचीत के बाद जारी संयुक्त बयान ने इस बात का ऐलान किया है कि भारत और ब्रिटेन की नौ सेनाओं के बीच हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में नये सहयोग की शुरुआत होने जा रही है। बयान में जिस तरह से दोनो देशों ने इस क्षेत्र में अपनी शक्ति बढ़ाने में जुटे चीन को निशाने पर लिया है वह चीन को नागवार गुजर सकता है। इसमें कहा गया है कि इंडो-पैसिफिक का क्षेत्र सभी के लिए एक समान तौर पर खुला होना चाहिए। यह भारत, ब्रिटेन और पूरी दुनिया के हित में है। साथ ही इन्होंने कानून सम्मत नौवहन व्यवस्था का पालन करने का आग्रह किया है।

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साफ है कि इशारा किस देश की तरफ है। ब्रिटेन व भारत ने इस क्षेत्र में मालवाहक जहाजों के भी मुक्त परिवहन की बात कही है। साथ ही इन्होंने दो परिपक्व लोकतांत्रिक देशों की तरफ से कानून सम्मत अंतरराष्ट्रीय नौवहन व्यवस्था की बात कही है। चीन जिस तरह से साउथ चाइना सी के क्षेत्र में अपनी नौ सैनिक शक्तियां बढ़ा रहा है उससे पूरी दुनिया में चिंता है। इस क्षेत्र के विएतनाम, फिलीपींस, मलयेशिया जैसे छोटे देश दुनिया के अन्य बड़े देशों का मुंह ताक रहे हैं। ऐसे में भारत व ब्रिटेन के बीच बातचीत में इस समुद्री क्षेत्र का जिक्र और यहां सैन्य सहयोग पर वार्ता एक नये गठबंधन का संकेत है।

यह इस बात को भी बताता है कि किस तरह से भारत यूरोप की दो बड़ी सैन्य शक्तियों यानी फ्रांस व ब्रिटेन के साथ गहरे व मजबूत नौ सैन्य सहयोग के लिए प्रयासरत है। पिछले महीने जब फ्रांस के राष्ट्रपति मैनुएल मैक्रा के साथ पीएम मोदी की रणनीतिक वार्ता में इस समुद्री क्षेत्र में सैन्य सहयोग एक अहम मुद्दा था। इस क्षेत्र में पहले से ही भारत-अमेरिका-जापान के बीच साझा रणनीति आगे बढ़ रही है। कई जानकार मानते हैं कि इन तीनों के गठबंधन में आगे चल कर आस्ट्रेलिया, फ्रांस व ब्रिटेन शामिल हो सकते हैं।

भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि कई लिहाज से ब्रिटेन के साथ नौ सैन्य सहयोग भारतीय रणनीति के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण कदम होगा। ब्रिटेन अभी दुनिया की सर्वश्रेष्ठ नौ सैनिक शक्तियों में से एक है। हाल ही में इसने बहरीन में एक स्थाई नौ सैनिक अड्डा तैयार किया है। यहां पर ब्रिटेन अपने सबसे बड़े युद्धक बेड़े को तैनात करने की मंशा रखता है ताकि आगे चल कर इससे दूसरे साझेदार देशों के साथ अनुभव साझा किया जा सके। ऐसे में भारत के लिए भी भविष्य में ब्रिटेन के इस नौ सैनिक अड्डे के इस्तेमाल का रास्ता निकल सकता है। सनद रहे कि ब्रिटेन के इस अड्डे को चीन की 'स्टि्रंग आफ प‌र्ल्स' रणनीति के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है। इस रणनीति के तहत चीन खाड़ी के क्षेत्र से लेकर प्रशांत महासागर तक छोटे छोटे नौ सैनिक अड्डे बना रहा है। भारत अभी तक चीन की इस रणनीति का कोई ठोस काट नहीं निकाल सका है।


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