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मिसाइल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना भारत, सशस्त्र बलों की हर आवश्यकता पूरी करने में सक्षम : DRDO

डीआरडीओ के मुताबिक भारत ने मिसाइल प्रणालियों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है और देश के सशस्त्र बलों की हर आवश्यकता को पूरा करने में सक्षम है। सशस्त्र बलों को जिस भी प्रकार की मिसाइल की जरूरत है उसे देश में निर्मित किया जा सकता है।

By Neel RajputEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 11:39 AM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2020 11:39 AM (IST)
सशस्त्र बलों की जरूरत के हिसाब से हर मिसाइल भारत में बनाई जा सकती है

नई दिल्ली, एएनआइ। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (Defense Research and Development Organization, DRDO) ने कहा है कि भारत ने मिसाइल प्रणालियों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है और देश के सशस्त्र बलों की हर आवश्यकता को पूरा करने में सक्षम है। सशस्त्र बलों को जिसकी भी जरूरत है उसे देश में निर्मित किया जा सकता है।

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बता दें कि DRDO ने पिछले पांच हफ्तों में लगभग 10 सफल मिसाइलों का सफल परीक्षण किया है। इनमें शौर्य हाइपरसोनिक मिसाइल, ब्रह्मोस विस्तारित-रेंज मिसाइल, पृथ्वी परमाणु-सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल, हाइपरसोनिक मिसाइल प्रौद्योगिकी विकास वाहन, रुद्रम - I एंटी रेडिएशन मिसाइल और सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड रिलीज टारपीडो हथियार प्रणाली शामिल है।

एएनआइ से बात करते हुए डीआरडीओ प्रमुख जी सतीश रेड्डी (Satheesh Reddy) ने कहा, 'मैं एक बात कहना चाहूंगा, जिस तरह से देश ने मिसाइल प्रणाली में पिछले पांच से छह वर्षों में खुद को विकसित किया है, उससे मिसाइलों के क्षेत्र में पूर्ण आत्मनिर्भरता प्राप्त की है।' रेड्डी ने कहा कि संगठन अब सशस्त्र बलों की आवश्यकता के अनुसार किसी भी तरह की मिसाइल बनाने में सक्षम है।

वहीं, इस दौरान डीआरडीओ प्रमुख से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए भारत अभियान में संगठन के योगदान के बारे में पूछा गया। इसे लेकर उन्होंने बताया कि संगठन ने स्वदेशी प्रणाली बनाने के लिए कई क्षेत्रों में काम करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा, 'अब मैं बहुत आत्मविश्वास से कह सकता हूं कि हम मजबूत हैं। मिसाइलों, राडार, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, टॉरपीडो, गन, और संचार प्रणाली आदि के क्षेत्रों में हम पूरी तरह से आत्मनिर्भर हैं।'

इसके अलावा सतीश रेड्डी ने हाल ही में लान्च की गई एंटी रेडिएशन मिसाइल 'रूद्रम' को लेकर कहा कि कुछ और ट्रायल के बाद मिसाइल वायु सेना को दे दिया जाएगा। डीआरडीओ प्रमुख जी सतीश रेड्डी ने बताया कि विभिन्न परिस्थितियों में पूर्ण प्रणाली प्रौद्योगिकियों को साबित करने के लिए कुछ और परीक्षण करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि परीक्षण होने के बाद मिसाइल को वायु सेना में शामिल कर लिया जाएगा, जिससे दुश्मनों के उत्सर्जक तत्वों पर हमला करने में वायु सेना को मजबूत मिलेगी।

उन्होंने कहा कि यह एक एंटी-रेडिएशन मिसाइल है जिसे एयरक्राफ्ट सुखोई-30 से लान्च किया गया था। यह मिसाइल किसी भी उत्सर्जक तत्व का पता लगाने में सक्षम होगा। इसकी मदद से उत्सर्जक तत्वों का पता लगाकर उन पर हमला किया जा सकेगा।


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