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देश के तकरीबन 40 फीसद स्कूलों में खेल का कोई मैदान ही नहीं, कहां खेलें बच्चे?

पीएम मोदी ने स्कूली बच्चों को प्रोत्साहित किया कि वे मैदानों में खेला करें। प्रधानमंत्री की बात सही है लेकिन सवाल है कि बच्चों के खेलने के लिए मैदान कहां हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 10:38 AM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 10:40 AM (IST)
देश के तकरीबन 40 फीसद स्कूलों में खेल का कोई मैदान ही नहीं, कहां खेलें बच्चे?
देश के तकरीबन 40 फीसद स्कूलों में खेल का कोई मैदान ही नहीं, कहां खेलें बच्चे?

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना 68वां जन्मदिन अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के नरूर गांव में स्कूली बच्चों के साथ मनाया। बच्चों को सवाल-जवाब करने के बाद पास होने का सर्टिफिकेट प्रधानमंत्री ने स्वयं दिया जिस पर बच्चे खुशी से उछल पड़े। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्राथमिक विद्यालय, नरूर में करीब 38 मिनट रहे।

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पीएम का पहले से इंतजार कर रही कक्षा पांच की श्वेता व कक्षा तीन की वैष्णवी पीएम को रूम-टू-रीड (लाइब्रेरी) कक्ष तक ले गईं। पीएम ने वैष्णवी के कंधे पर हाथ रखकर कदम बढ़ाए। रूम-टू-रीड में पीएम ने करीब दस मिनट तक बच्चों को समय दिया। उन्होंने बच्चों को प्रोत्साहित किया कि वे मैदानों में खेला करें। प्रधानमंत्री की बात सही है लेकिन सवाल है कि बच्चों के खेलने के लिए मैदान कहां हैं। देश के पार्क और मैदान सिकुड़ते जा रहे हैं। देश के तकरीबन 40 फीसद स्कूलों में खेल का कोई मैदान ही नहीं है।

राज्यों के बुरे हाल

देश में सिर्फ पंजाब एक राज्य ऐसा है जहां तकरीबन सभी स्कूलों में खेलने का मैदान है। यहां लगभग 98.57 फीसद स्कूलों में मैदान है। चंडीगढ़ में 92.54 फीसद स्कूलों के कैंपस में खेलने की सुविधाएं मौजूद हैं। कर्नाटक के पचास हजार प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में से 50 फीसद में कोई मैदान नहीं है। शहरों की बात करें तो देश की वित्तीय राजधानी मुंबई के 75 फीसद स्कूलों में कोई खेल का मैदान नहीं है।

एक नीति पर भारी दूसरी

सीबीएसई के दिशा-निर्देशों के मुताबिक सभी स्कूलों में 200 मीटर ट्रैक और खेलने की पर्याप्त सुविधाएं होना अनिवार्य है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के मुताबिक स्कूलों के पास अपना खुद का मैदान होना जरूरी है। हालांकि 2012 में इस नियम में संशोधन किया गया कि अगर स्कूल के पास नगरपालिका का कोई पार्क है, जहां स्कूल बच्चों के खेलने की व्यवस्था कर सकता है तो स्कूल के अंदर मैदान बनाने की जरूरत नहीं है।  


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