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स्वतंत्रता दिवस विशेष: जानें, कोरोना काल में कैसे बदल गए सितारों की जिंदगी में आजादी के मायने

कोरोना काल में लॉकडाउन ने सबको आजादी के मायने समझा दिए। टीवी सितारों के लिए आजादी के मायने कितने बदले हैं आइए जानते हैं।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Sat, 15 Aug 2020 01:45 PM (IST)Updated: Sat, 15 Aug 2020 02:25 PM (IST)
स्वतंत्रता दिवस विशेष: जानें, कोरोना काल में कैसे बदल गए सितारों की जिंदगी में आजादी के मायने
स्वतंत्रता दिवस विशेष: जानें, कोरोना काल में कैसे बदल गए सितारों की जिंदगी में आजादी के मायने

प्रियंका सिंह/दीपेश पांडेय। इस साल कोरोना वायरस की वजह से दौड़ती-भागती जिंदगी पर अचानक से ब्रेक लगा। बाहर घूमने-फिरने और दोस्तों के साथ वक्त बिताने की आजादी छिन गई। भले ही अब जिंदगी पटरी पर लौट रही है, लेकिन लॉकडाउन ने सबको आजादी के मायने समझा दिए, जो शायद व्यस्त जिंदगी में लोगों को समझने या जानने का मौका नहीं मिल पाया था। टीवी सितारों के लिए आजादी के मायने कितने बदले हैं आइए जानते हैं।

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सुकून मन के भीतर है

परिवार के साथ या अकेले घर पर वक्त बिताने के बाद खुद को जानने का मौका मिला। धारावाहिक नाटी पिंकी की लंबी लव स्टोरी की रिया शुक्ला का कहना है कि अब हमारा खुद पर नियंत्रण है। पहले जब भी तनाव महसूस होता था तो हम घर के बाहर सुकून ढूंढ़ते थे ताकि कंफर्ट जोन में जा सकें। इस वक्त ने सिखा दिया है कि बाहर से ज्यादा जरूरी है अपनों के साथ बैठना और उन्हें वक्त देना, जो सुकून बाहर तलाश रहे थे, वह हमारे मन के भीतर है। पहले किसी न किसी चीज की जरूरत बनी रहती थी। अब वे जरूरतें खत्म हो चुकी है।

अब दिमाग को शांत करने के लिए बड़े-बुजुर्गों के साथ वक्त बिताना, ध्यान लगाना आदि सबसे बड़ा सुकून है। मैं हर साल त्योहारों पर अपने घर लखनऊ में होती थी। इस बार जन्माष्टमी व रक्षाबंधन पर घर नहीं पहुंच पाई। ऐसा लगा किसी ने बांधकर रख दिया है, लेकिन मां साथ हैं और पापा आते-जाते रहते हैं। इस महामारी ने यह सिखा दिया कि मन की शांति में ही सब कुछ है। खुद को खुश रखने के लिए भीड़ में मत खो जाओ।

मिली मन की आजादी

धारावाहिक अनुपमा में काम करे रहे सुधांशु पांडेय का कहना है कि लॉकडाउन से पहले मैं शो की शूटिंग कर रहा था। शो के प्रसारण को लेकर प्रोमो ऑनएयर हो चुके थे, लेकिन अचानक सब कुछ बंद हो गया। इस दौरान खुद के बारे में सोचने का मौका मिला कि हमारी जरूरतें बहुत कम हैं। अहसास हुआ कि मन की आजादी होनी ज्यादा जरूरी है। पहले से ज्यादा ताकतवर बनकर काम पर लौटे हैं। वैसे आजादी इंसान की मनोस्थिति पर निर्भर करती है। कई बार इंसान कैद में भी आजादी महसूस कर सकता है, कई बार खुला माहौल भी कैद जैसा लग सकता है। मन और दिल से आजाद हैं तो हमेशा आजाद महसूस करेंगे। अब पता है कि अगर जिंदगी में फिर कभी ऐसा वक्त आया तो डरने की जरूरत नहीं है।

काम स्वयं करने की स्वतंत्रता

आगामी धारावाहिक इंडिया वाली मां में हंसमुख का किरदार निभा रहे नितेश पांडे का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान घूमने-फिरने और अपने लोगों से मिलने की स्वतंत्रता को मैंने मिस किया। स्वतंत्रता दिवस पर हमारे घर के दो सदस्यों का जन्मदिन होता है। हर साल घर के सभी सदस्य पैतृक घर पर एकत्र होते थे और पार्टी होती थी। इस बार सभी अपने-अपने घर पर ही स्वतंत्रता दिवस और जन्मदिन मनाएंगे। कोरोना काल में हमें कोरोना योद्धाओं की सही अहमियत समझ में आई। उनके प्रति सम्मान पहले से ज्यादा बढ़ गया है। इस दौर ने हमें अपने पेशेवर काम के दबाव से मुक्त होकर अपना काम स्वयं करने की स्वतंत्रता दी है।

लॉकडाउन ने सिखाई आजादी की कीमत

वेबसीरीज अभय 2 में काम कर रहीं अभिनेत्री आशा नेगी कहती हैं कि आजादी के मायने लॉकडाउन ने सिखा दिए हैं। पहले हम अपनी आजादी को बहुत ही हल्के में लेते थे। किसी भी वक्त दोस्तों से मिलने, फिल्में देखने के लिए निकल पड़ते थे। वह सब बंद हो गया है। अब जो दोबारा घर से निकलना शुरू हुआ है, उसमें हमें अपनी सुरक्षा का ध्यान रखना है, खुद सुरक्षित रहेंगे तो दूसरों को भी सुरक्षित रख पाएंगे। न्यू नॉर्मल की आदत डालकर आसपास के लोगों का ख्याल भी रखें।


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