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ऐतिहासिक धरोहरों का कुंभ है 'हंपी', दुनियाभर के बेहतरीन पर्यटन स्थल में दूसरे स्‍थान पर

कर्नाटक के बेल्लारी जिले में स्थित ‘हंपी’ को दुनियाभर के सबसे बेहतरीन पर्यटन स्थलों की इस साल की सूची में दूसरा स्थान दिया गया है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 12 Jan 2019 10:36 AM (IST)Updated: Sat, 12 Jan 2019 10:36 AM (IST)
ऐतिहासिक धरोहरों का कुंभ है 'हंपी', दुनियाभर के बेहतरीन पर्यटन स्थल में दूसरे स्‍थान पर
ऐतिहासिक धरोहरों का कुंभ है 'हंपी', दुनियाभर के बेहतरीन पर्यटन स्थल में दूसरे स्‍थान पर

वाशिंगटन, न्यूयॉर्क टाइम्स। कर्नाटक के बेल्लारी जिले में स्थित ‘हंपी’ को दुनियाभर के सबसे बेहतरीन पर्यटन स्थलों की इस साल की सूची में दूसरा स्थान दिया गया है। यूनेस्को की ‘वैश्विक धरोहर सूची’ में शामिल हंपी 1336 से 1646 के बीच के विजयनगर साम्राज्य की राजधानी था। तुंगभद्रा नदी के तट पर कई मील तक फैला यह प्राचीन नगर 16वीं शताब्दी के दौरान विश्व के सबसे बड़े और समृद्ध नगरों में से एक था। हंपी के अतिरिक्त सबसे बेहतरीन पर्यटन स्थलों की सूची में कैरेबियाई द्वीप प्यूर्टोरिको को पहला स्थान दिया गया है। सेंटा बारबरा, पनामा, जर्मनी के शहर म्युनिख, इजरायल के इलत, जापान के सेतोची, डेनमार्क के अलबोर्ग, पुर्तगाल के अजोरेस को भी इस सूची में स्थान दिया गया है।

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पौराणिक ग्रंथों में भी वर्णन
हंपी का उल्लेख विजयनगर साम्राज्य से भी पहले के कालों में मिला है। सम्राट अशोक के शासन के दौरान लिखे गए कई शिलालेख हंपी में भी मिले हैं। ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण हंपी नगर का जिक्र पौराणिक ग्रंथों में भी है। रामायण के साथ अन्य ग्रंथों में इस शहर को पंपा देवी तीर्थ क्षेत्र बताया गया है। देवी पार्वती को पंपा भी कहा जाता है। माना जाता है कि राम और लक्ष्मण ने यहां पर हनुमान, सुग्रीव समेत पूरी वानर सेना से मुलाकात की थी।

अपनी वास्तुकला के लिए मशहूर है हंपी
हंपी ऐतिहासिक व धार्मिक धरोहरों का कुंभ है। यहां 1,600 से भी अधिक हिंदू मंदिर, महल, किले और संरक्षित पत्थरों के स्मारक हैं। वास्तुकला के लिहाज से ये सारे स्मारक अनोखे हैं। यहां हिंदू देवी-देवताओं के कई मंदिर भी हैं जिनमें विरुपक्षा, विजय वित्तला, हेमाकुता मंदिर आदि प्रमुख हैं। यहां भगवान गणेश के साथ नरसिंह देव के भी मंदिर हैं। कई मंदिरों में लोग आज भी पूजा करने जाते है।

मंदिरों में बंटा हंपी 
मूलत: हम्पी का दक्षिणी हिस्सा तीन मुख्य मंदिरों में बंटा माना जा सकता है। विरुपाक्ष मंदिर, अच्युतराया मंदिर और विट्ठल मंदिर। विरुपाक्ष मंदिर अभी भी एक जीवंत देवस्थान है, जहां नियम से पूजा-अर्चना होती है। 165 फीट लंबे और 150 फीट चौड़े शिखर वाला यह मंदिर दूर से ही दिखाई देता है। विरुपाक्ष मंदिर से कुछ दूरी पर एकशिला नंदी की विशाल प्रतिमा है। उस विशालकाय नंदी और मंदिर के बीच लगभग डेढ़ सौ मीटर की दूरी है। ऐसे में हम मंदिर की भव्यता का अंदाजा स्वयं लगा सकते हैं।

अच्युतराया मंदिर वाला हिस्सा भी श्रेष्ठतमत शिल्प कृतियों से भरा पड़ा है। मंडपों और दालानों के बीच खड़े होकर जब दूर बने अच्युतराया मंदिर को निहारते हैं, तो आपको एहसास होता है कि सचमुच एक बहुत बड़े वैभवशाली बाजार में खड़े हैं, जहां दोनों ओर श्रेष्ठतम कलाशिल्प से सजी दुकानें हैं, सभामंडप है। जगह-जगह पर बने मंदिरों में जो शिल्प उकेरा गया है वह अद्भुत है।

विट्ठल मंदिर वही प्रसिद्ध स्थान है, जहां पर हमें प्रस्तर रथ दिखाई देता है। यही रथ हम्पी का पहचान चिन्ह बन गया है। यह मार्ग भी खासा मनोरम है, क्योंकि एक ओर तुंगभद्रा नदी का मनोरम दृश्य दिखाई देता है और दूसरी ओर कई सारे सुंदर मंदिर और कलाकृतियां बनी दिखती हैं।

हंपी शहर का नजारा
हंपी शहर में प्रवेश करते हैं, तो आपको एहसास नहीं होता कि क्या देखने जा रहे हैं। बेल्लारी से लगभग 40 किलोमीटर दूर और होसपेठ से 12 किलोमीटर दूर यह शहर तुंगभद्रा नदी के किनारे बसा है। विजय नगर साम्राज्य के वैभव को देखते हुए आप इसे उस काल का महानगर भी कह सकते हैं। महानगर इसलिए कि यह नगर जिन विभिन्न खंडों में बंटा है, वे सभी खंड अपने आप में एक संपूर्ण नगर है। जब हम उनमें घूमते हैं, तो लगता है कि किसी बड़े महानगर के उपनगरों में घूम रहे हैं, ठीक वैसे ही जैसे आप मुंबई घूमते हुए बांद्रा, विले पार्ले, अंधेरी इत्यादि उपनगरों में घूमते हैं। 


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