अल्कोहल से रखें खुद को दूर, आयुर्वेद व नेचुरोपैथी में है फैटी लिवर का कारगार इलाज
19 अप्रैल को विश्व लीवर दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व में लीवर की बीमारियों के प्रति जागरूकता फैलाना है।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। मोटापा लिवर की बीमारी का एक बड़ा कारण है। वहीं खानपान की गलत आदतों के कारण भी लिवर में वसा बढ़ने लगती है। इससे फैटी लिवर के मामले बढ़ रहे हैं। डॉक्टर कहते हैं कि अधिक वसा जमने से लिवर खराब हो जाता है। फैटी लिवर के इलाज में आयुर्वेद व नेचुरोपैथी का चलन बढ़ रहा है। यकृत व पित्त विज्ञान संस्थान (आइएलबीएस) के निदेशक डॉ. एसके सरीन ने कहा कि खानपान की आदतों में सुधार कर इस बीमारी से काफी हद तक बचाव किया जा सकता है।
शुक्रवार को दुनिया भर में विश्व लिवर दिवस मनाया जाएगा। इसमें लोगों को लिवर की बीमारी से बचाव के लिए जागरूक किया जाएगा। वहीं आइएलबीएस में 20 अप्रैल को निशुल्क लिवर जांच भी की जाएगी।
डॉ. सरीन ने कहा कि देश में करीब एक तिहाई लोग मोटापे से पीड़ित हैं और लिवर की बीमारी का यह एक बड़ा कारण है। यह देखा गया है कि कई लोगों को अधिक खाने की आदत होती है। वहीं कुछ लोग देर से भोजन करते हैं। सुबह देर से भोजन करने से लिवर प्रभावित हो सकता है।
इसलिए सुबह जल्दी नाश्ता कर लेना चाहिए। इसके अलावा अधिक खाने से परहेज करना चाहिए। लिवर के लिए खाने में दही का इस्तेमाल बेहतर होता है। लिवर में छह से आठ फीसद से अधिक वसा जमने से उसकी कार्य क्षमता प्रभावित होने लगती है। इसका असर हृदय व शरीर के अन्य हिस्सों पर भी पड़ता है। इसलिए खानपान की आदतों में सुधार जरूरी है।
46 फीसद मामलों में लिवर खराब होने का कारण अल्कोहल:
डॉ. सरीन ने कहा कि अल्कोहल का बढ़ता इस्तेमाल लिवर के लिए घातक है। आइएलबीएस में देखा जा रहा है कि करीब 46 फीसद मरीज अल्कोहल के इस्तेमाल के कारण लिवर खराब होने की बीमारी से पीड़ित होकर अस्पताल पहुंचते हैं। इसलिए अल्कोहल का इस्तेमाल कम करने के लिए विदेशों की तर्ज पर सिन टैक्स लगाया जाना चाहिए।