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चिंता बढ़ाती जेलों में बढ़ती भीड़, सजायाफ्ता से ज्‍यादा विचाराधीन कैदियों की संख्या

देश के 19 राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों में अधिग्रहण दर सौ फीसद से भी अधिक है। दिल्ली की जेलों में अधिग्रहण दर पूरे देश में सबसे ज्यादा 175 फीसद है। यूपी में जेल अधिग्रहण दर 168 उत्तराखंड में 159 मेघालय में 157 मध्य प्रदेश में 155 फीसद है।

By TilakrajEdited By: Published: Thu, 18 Nov 2021 11:50 AM (IST)Updated: Thu, 18 Nov 2021 11:50 AM (IST)
चिंता बढ़ाती जेलों में बढ़ती भीड़,  सजायाफ्ता से ज्‍यादा विचाराधीन कैदियों की संख्या
जेलों में विचाराधीन कैदी काफी संख्या में हैं, तो जेल सुधार की मांग न्यायिक तंत्र के सुदृढ़ीकरण से भी जुड़ी

सुधीर कुमार। भारतीय जेल व्यवस्था मौजूदा समय में कैदियों की असीमित भीड़ को सीमित करने, जेल कर्मचारियों की कमी दूर करने तथा पर्याप्त संसाधन जुटाने की चुनौती से जूझ रही है। देश में कैदियों की संख्या जिस अनुपात में बढ़ रही है, उस अनुपात में जेलों की संख्या बढ़ने के बजाय घटती जा रही है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की भारत जेल सांख्यिकी-2019 रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में देश में जहां जेलों की संख्या 1412 थी, वहीं 2019 में यह संख्या घटकर 1350 हो गई।

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विशाल आबादी वाले देश में पर्याप्त संख्या में जेल न होने के चलते जेलों में वास्तविक क्षमता से अधिक कैदी रखे जाते हैं। वर्ष 2019 में भारतीय जेलों में 4.78 लाख कैदी थे, जो जेलों की वास्तविक क्षमता से 18.5 फीसद अधिक है। दूसरी तरफ जेलों में सजायाफ्ता कैदियों की तुलना में विचाराधीन कैदियों की संख्या बहुत अधिक है। मौजूदा समय में कुल कैदियों में से 69 फीसद कैदी विचाराधीन श्रेणी के हैं। देश में अनेकों जेलों के भीड़ में तब्दील होने की यह एक प्रमुख वजह है। इसके अलावा जेलों में भीड़ बढ़ने के पीछे पर्याप्त जेलों का अभाव, जेलों की उच्च अधिग्रहण दर, अदालतों में लंबित मामलों का खड़ा पहाड़, न्यायाधीशों की भारी कमी, न्यायतंत्र की सुस्ती तथा अपराध की बढ़ती प्रवृति जैसे कारक भी जिम्मेदार रहे हैं।

जेलों में बढ़ती भीड़ कैदियों के व्यावसायिक प्रशिक्षण, शिक्षण और सृजनात्मक कार्यों तथा पुनर्वास कार्यक्रमों में बाधा पहुंचाती है। कैदियों की निजता की रक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा तथा कोरोना महामारी से बचाव के लिए भी जेलों में भीड़ प्रबंधन बेहद जरूरी है।भारत दुनिया के उन 118 देशों में शामिल है, जहां पर्याप्त संख्या में जेल न होने के चलते जेलों में आवासन दर उच्च बनी हुई है। 2019 में भारतीय जेलों की आवासन दर (आक्यूपेंसी रेट) 118 फीसद थी। इस मामले में हम जापान (57), नीदरलैंड (74), जर्मनी (79) और रूस (80) जैसे देशों से काफी पीछे हैं। जेल अधिग्रहण दर से जेलों में कैदियों की भीड़ का अंदाजा सहजता से लगाया जा सकता है।

वर्तमान में देश के 19 राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों में अधिग्रहण दर सौ फीसद से भी अधिक है। दिल्ली की जेलों में अधिग्रहण दर पूरे देश में सबसे ज्यादा 175 फीसद है। इसी तरह उत्तर प्रदेश में जेल अधिग्रहण दर 168, उत्तराखंड में 159, मेघालय में 157, मध्य प्रदेश में 155 फीसद है। क्षमता से अधिक कैदियों का प्रबंधन भारतीय जेलों की मूल समस्या रही है। ऐसे में दूरगामी पहल के तहत जेल सुधार की आवश्यकता तथा उसके साथ-साथ न्याय तंत्र की पेचीदगियों को दूर करना समय की मांग मालूम पड़ती है। जेल सुधार की बुनियाद न्यायिक तंत्र के सुदृढ़ीकरण से जुड़ी है। ऐसे में जरूरी है कि सरकार जेलों में भीड़ प्रबंधन तथा न्यायपालिका न्याय व्यवस्था की खामियों को दूर करने पर बल दे।

(लेखक बीएचयू में शोध अध्येता हैं)


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