विदेश में कालाधन पकड़ने को आयकर विभाग ने शुरू किया व्यापक अभियान
आयकर विभाग विदेशों से भारतीयों के बैंक खातों और उनकी अचल संपत्तियों का ब्योरा प्राप्त कर रहा है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देश के बाहर छिपे कालेधन को वापस लाने की मुहिम को तेज करते हुए आयकर विभाग ने विदेशों में भारतीयों की अवैध अचल संपत्तियों और छुपाकर रखे गए बैंक खातों की व्यापक पड़ताल शुरू कर दी है। जो भी लोग इसमें दोषी पाए जाएंगे, विभाग उनके खिलाफ कालेधन पर नए कानून के तहत कार्रवाई करेगा।
सूत्रों के मुताबिक आयकर विभाग विदेशों से भारतीयों के बैंक खातों और उनकी अचल संपत्तियों का ब्योरा प्राप्त कर रहा है। विभाग टैक्स संबंधी मामलों की सूचना के आदान-प्रदान के लिए किए गए समझौतों के तहत इन देशों से यह सूचना प्राप्त कर रहा है। बताया जाता है कि हजारों भारतीयों ने विदेशों में बैंक खातों में धनराशि जमा की है और संपत्ति खरीदी है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी सीबीडीटी के अध्यक्ष सुशील चंद्रा ने इस संबंध में आयकर विभाग द्वारा कार्रवाई किए जाने की पुष्टि की है। हालांकि ऐसे कितने मामले आयकर विभाग ने पकड़े हैं, इसका खुलासा उन्होंने नहीं किया है।
सूत्रों ने कहा कि आयकर विभाग ने विदेशी स्रोतों से प्राप्त सूचनाओं तथा वित्तीय खुफिया इकाई से मिली गोपनीय जानकारी के आधार पर विदेश में छिपे कालेधन के खिलाफ गहन कार्रवाई अभियान शुरू किया है। सूत्रों ने कहा कि कई मामलों में करदाताओं को नोटिस भी जारी किए जा चुके हैं। ऐसे लोगों को यह बताने को कहा गया है कि उन्होंने किस स्रोत से आय अर्जित कर विदेशों में संपत्ति खरीदी।
सूत्रों ने कहा कि विभाग की नजर धनाढ्य वर्ग के हाई-प्रोफाइल लोगों पर है। जांच के दौरान भी व्यक्ति ऐसे पाए जाते हैं जिन्होंने कर चोरी के इरादे से अपने आयकर रिटर्न में विदेशी खातों या संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया है उनके खिलाफ कालेधन पर नए कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने विदेशों में रखे कालेधन को वापस लाने के लिए 2015 में नया कानून- 'द ब्लैक मनी (अनडिस्क्लोज्ड इनकम एंड असेट्स) एंड इंपोजीशन ऑफ टैक्स 2015' बनाया था। इस कानून के प्रभाव में आने से पूर्व आयकर कानून 1961 की धाराओं के तहत ऐसे मामलों की जांच-पड़ताल होती थी।
हालांकि नए कानून में विदेशी कालेधन के मामले पकड़े जाने पर जुर्माना और सजा बढ़ा दी गयी है। इसके तहत दोषी पाये जाने वाले व्यक्ति को दस साल तक की सजा हो सकती है।