घोर लापरवाही : साढ़े तीन साल में बस्ती पहुंची खाद लदी बोगी, डैमेज बोगी विशाखापट्टनम में काटकर भूल गया रेलवे
रेलवे प्रशासन ने एजेंट से संपर्क कर लिया है। पहले तो एजेंट ने खाद लेने से इन्कार कर दिया। जब उन्हें मेमो और अन्य अभिलेखों की जानकारी दी गई तो वह मान गए।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। इसे सिस्टम की चूक कहें या विभागीय उदासीनता। खाद लदी मालगाड़ी की एक बोगी को विशाखापट्टनम से बस्ती पहुंचने में साढ़े तीन साल लग गए। इस बोगी को डैमेज होने पर रेक से काटकर निकाल लिया गया था, लेकिन तब से किसी ने इसकी सुध नहीं ली। जब पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल ने कम पड़ीं मालगाड़ी की बोगियों का मिलान किया गया तो विशाखापट्टनम में खड़ी बोगी का पता चला। आखिरकार बुधवार को वह बस्ती स्टेशन पर पहुंच ही गई। विभागीय जानकारों के अनुसार मेमो में गुड्स रवानगी की तारीख तीन नवंबर 2014 दर्ज है।
फिलहाल, बोगी में रखी डीएपी खाद सुरक्षित है। रेलवे प्रशासन ने एजेंट से संपर्क कर लिया है। पहले तो एजेंट ने खाद लेने से इन्कार कर दिया। जब उन्हें मेमो और अन्य अभिलेखों की जानकारी दी गई तो वह मान गए। एजेंट ने एक से दो दिन में खाद की ढुलाई कराने का आश्र्वासन दिया है।
सूत्रों के अनुसार बस्ती के एजेंट ने वर्ष 2014 में एक रेक खाद बुक की थी। तीन नवंबर को रेक बस्ती के लिए रवाना हुई। रेक की एक बोगी कुछ डैमेज थी। रेलवे प्रशासन ने डैमेज बोगी को विशाखापट्टनम में ही काटकर अलग कर लिया। रेक की शेष बोगियां समय से बस्ती पहुंच गई। बस्ती रेक पहुंचने पर रेलवे प्रशासन ने भी बोगियों की पड़ताल नहीं की।
एजेंट ने भी बोगी को संज्ञान में नहीं लिया। रेक से खाद उतार ली गई। अब जब लगभग साढ़े तीन साल बाद बोगियों का मिलान शुरू हुआ है तो एक कम पड़ गई। संबंधित अधिकारियों ने बोगी की तलाश शुरू की तो पता चला कि एक बोगी विशाखापट्टनम के वर्कशाप यार्ड में ही खड़ी हुई है। रेलवे प्रशासन के अनुसार एजेंट ने भी अभी तक कोई क्लेम नहीं किया है।