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उम्‍मीदें 2021: विश्‍वस्‍तरीय होगी देश की धड़कन जब रफ्तार भरेंगी नई परिवहन सेवाएं- खास रिपोर्ट

इस वर्ष में कई नई सुविधाएं हमें देखने को मिल सकती हैं। इनमें सी-प्‍लेन से लेकर कुछ दूसरी बेहद खास सुविधाएं भी हैं। इन सुविधाओं से जहां देश की परिवहन क्षमता विश्‍वस्‍तरीय होगी वहीं देश को आर्थिक ताकत भी मिलेगी।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 08 Jan 2021 10:15 AM (IST)Updated: Fri, 08 Jan 2021 10:15 AM (IST)
उम्‍मीदें 2021: विश्‍वस्‍तरीय होगी देश की धड़कन जब रफ्तार भरेंगी नई परिवहन सेवाएं- खास रिपोर्ट
इस वर्ष में कई नई सुविधाएं हमें देखने को मिल सकती हैं।

नई दिल्‍ली (जेएनएन)। कोरोना संक्रमण की महामारी के दौरान जब लॉकडाउन लागू हुआ और यातायात सेवाएं बेहद सीमित कर दी गईं, तब लगा जैसे पूरा देश रुक गया हो। सड़कें सूनी पड़ गईं। रेल की पटरियों पर सिर्फ मालगाड़ियां दिखाई देने लगीं। खचाखच भरे रहने वाले स्टेशन वीरान हो गए, हवाई अड्डों पर सन्नाटा पसर गया और आसमान का सीना चीरने वाले विमान हैंगर में समा गए। यह अभूतपूर्व था, लेकिन इसने हमें यातायात की जरूरत और महत्ता के बारे में गहराई से सोचने पर मजबूर भी कर दिया। हालांकि, इस दौरान भी विकास का पहिया नहीं रुका। रफ्तार भले ही कम हुई, लेकिन परियोजनाओं पर काम चलता रहा। नए साल में यातायात व परिवहन परियोजनाओं के विस्तार का मौका होगा और उम्मीद है कि अपना देश सभी चुनौतियों को मात देते हुए विकास की नई गाथा लिखेगा...

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वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गुरुवार को देश को समर्पित किया वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर का रेवाड़ी से मदार खंड मील का पत्थर साहित होगा। इस पर नई मालगाड़ी का संचालन किया जाएगा जो 270 उच्च क्षमता वाले ट्रकों जितना वजन लेकर 100 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ सकेंगी। वर्तमान में मालगाड़ियां करीब 60 किमी प्रति घंटे की गति से 61-71 टन माल का परिवहन करती हैं। नई रेलगाड़ी के इन वैगनों में से प्रत्येक का स्वयं का वजन 19.85 टन और भार वहन क्षमता 80.15 टन है। इन वैगनों में भारतीय रेलवे में वर्तमान में उपयोग किए जा रहे वैगनों की तुलना में 14 फीसद अधिक भार वहन क्षमता है। डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर ऑफ इंडिया लिमिटेड यानी डीएफसीसीआइएल 1.5 किमी लंबी और डबल स्टैक कंटेनर ट्रेनों के संचालन की दिशा में काम कर रहा है। इसके जरिये बंदरगाहों व औद्योगिक क्षेत्रों के बीच तेज रफ्तार वाली यातायात सुविधा विकसित की जा रही है, ताकि माल का परिवहन तेजी से हो। इसके जरिये जहां यातायात व परिवहन में रेलवे की भागीदारी बढ़ेगी वहीं पर्यावरण में भी सुधार होगा। इसके निर्माण में रेलवे स्वचालित ट्रैक निर्माण मशीन यानी एनटीसी का इस्तेमाल कर रहा है जो प्रतिदिन 1.5 किमी की गति से ट्रैक बिछा सकती है।

लुधियाना से कोलकाता तक माल ढुलाई की गति होगी तेज

लुधियाना से कोलकाता के बीच डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर को जून 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। करीब 1,856 किलोमीटर लंबी इस लाइन पर अनुमान है कि 2,499 करोड़ रुपये खर्च होंगे। करीब 116 डिब्बों वाली लंबी मालगाड़ी दौड़ाने के लिए स्पेशल लाइन बिछाई जा रही है। इस पर सिर्फ मालगाडियां ही दौड़ेंगी और इनकी रफ्तार 100 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। मौजूदा समय में40 से 50 किलोमीटर की रफ्तार से ही मालगाडियां दौड़ रही हैं। इस मालगाड़ी को खींचने के लिए विशेष ईंधन तैयार किए जा रहे हैं। इसके बाद एक राज्य से दूसरे राज्य तक सामान पहुंचाना आसान हो जाएगा। मालगाड़ियों के लिए स्पेशल लाइन बिछ जाने के बाद सवारी गाड़ियों में इजाफा किया जाएगा और ट्रेन की रफ्तार भी बढ़ा दी जाएगी। उम्मीद की जा रही है कि इससे जीडीपी एक अंक तक आगे बढ़ सकती है। यानी पर्यावरण, ट्रैफिक जाम और अर्थव्यवस्था की कई समस्याओं का समाधान मालगाड़ियों के लिए बन रही इन रेल लाइनों से होगा। बता दें भाऊपुर से खुर्जा के बीच (351 किमी) डेडिकेटेड फ्रेड कॉरीडोर (डीएफसी) ट्रैक पर मालगाड़ियों ने रफ्तार भरनी शुरू कर दी है। नई दिल्ली से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन कर हरी झंडी दी थी।

वंदेभारत के टेंडर होने की उम्मीद

दिल्ली से वाराणसी के बीच देश की पहली और स्वदेशी सेमी हाईस्पीड ट्रेन वंदेभारत एक्सप्रेस पटरी पर उतर चुकी है। इस तरह की 40 ट्रेनों का निर्माण किया जाना है। इसको लेकर पहले कई बार टेंडर डाले जा चुके हैं। उम्मीद है कि 2021-22 में किसी न किसी कंपनी को टेंडर जारी हो सकता है। पहली वंदे भारत एक्सप्रेस इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आइसीएफ) चेन्नई में बनी थी। 15 फरवरी, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ट्रेन को हरी झंडी दिखाई थी। संभावना है कि बाकी रैक इस साल पटरी पर उतर सकती हैं।

एयरपोर्ट की तर्ज पर रेलवे स्टेशन

विश्व स्तरीय सुविधाओं वाला देश का पहला हबीबगंज रेलवे स्टेशन मार्च में यात्रियों को समर्पित किया जाएगा। रेलवे ने मध्य प्रदेश के हबीबगंज और गुजरात के गांधीनगर स्टेशन के पुनर्विकास का निर्णय लिया था। हबीबगंज में पीपीपी मॉडल पर काम हो रहा है तो गांधीनगर में इंडियन रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट कारपोरेशन व गुजरात सरकार की मदद से।

रोज एक इंजन बनाने का लक्ष्य

मेक इन इंडिया अभियान के तहत बीएलडब्ल्यू ने विगत वित्त वर्ष में न केवल विद्युत रेल इंजनों के उत्पादन में वृद्धि की, बल्कि बरेका निर्मित विद्युत रेल इंजनों की लागत में उल्लेखनीय कमी भी आई है। गत वित्तीय वर्ष में डब्ल्यूएपी एवं डब्ल्यूएजी 9 एच विद्युत रेल इंजनों की लागत में क्रमश: 40 लाख एवं 60 लाख रुपये की कमी आई है। नए साल में बरेका ने हर रोज एक इंजन बनाने का लक्ष्य तय किया है। लागत कम होगी तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में बरेका के इंजनों की मांग बढ़ेगी। बरेका के डीजल इंजनों की श्रीलंका, भूटान, बांग्लादेश समेत अफ्रीकी देशों में मांग रही है। इस साख को कायम रखते हुए विद्युत इंजन बेचने का लक्ष्य है।

राष्ट्रीय राजमार्ग देगा रफ्तार

विगत वर्षों में सड़क निर्माण कार्य में काफी तेजी आई है। वर्ष 2019 में जहां राष्ट्रीय राजमार्ग की लंबाई 1.32 लाख किलोमीटर थी, वहीं वर्ष 2022 तक इसकी लंबाई दो लाख किलोमीटर होने की संभावना है।

गोरक्षनाथ की नगरी से विश्वनाथ के धाम तक यात्रा होगी सुगम

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट गोरखपुर वाराणसी राजमार्ग का दो लेन मार्च 2021 तक पूरा हो जाएगा जबकि पूरा फोरलेन नवंबर 2021 तक। मुख्यमंत्री इस प्रोजेक्ट की निगरानी खुद कर रहे हैं। 200 किमी लंबे इस प्रोजेक्ट के पूरे होने के बाद गोरखपुर और वाराणसी की दूरी महज तीन घंटे की रह जाएगी। अभी आठ घंटे लगते हैं। यह फोरलोन हाईवे गोरखपुर, मऊ, गाजीपुर होते हुए वाराणसी तक जाएगा। यह पूर्वांचल का आर्थिक कॉरीडोर भी है। यह बुद्ध सर्किट को भी जोड़ता है।

दिल्ली हो जाएगी और पास

यह साल दिल्ली एनसीआर के साथ ही मेरठ समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों व उत्तराखंड तक के लोगों के लिए सुहाने सफर की सौगात लेकर आया है। यह सौगात है मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे की। छह लेन वाला यह एक्सप्रेस-वे न केवल लाखों लोगों के सफर को सहज, सरल और आरामदायक बना देगा, वरन तीन से चार घंटे की बचत भी कराएगा। वर्ष 2018 से चार चरणों में निर्माणाधीन इस एक्सप्रेस-वे के दो चरण सौ फीसद पूर्ण हो चुके हैं जबकि अन्य दो चरणों का बाकी लगभग 10 फीसद काम तेजी से पूरा किया जा रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा तैयार की जा रही 8,346 करोड़ रुपये की लागत वाली यह परियोजना 30 जनवरी को पूरी हो जाएगी, जबकि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा फरवरी-मार्च तक इसके लोकार्पण की घोषणा की जा चुकी है।

घरेलू विमान सेवा से जुड़ेंगेदुर्गम और अहम क्षेत्र

कुशीनगर से भरेंगे अंतरराष्ट्रीय उड़ान बौद्ध सर्किट के अहम पड़ाव कुशीनगर का अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट फरवरी 2021 से शुरू होने की संभावना है। पहली उड़ान के लिए श्रीलंका को आमंत्रित किया गया है। इस उड़ान के साथ कुशीनगर बौद्ध देशों से सीधे जुड़ जाएगा। अभी तक बौद्ध अनुयायी दिल्ली या कोलकाता होते हुए कुशीनगर आते थे। ऐसे में उनका यहां रुकना कम होता था। अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के कारण पर्यटक सीधे यहां आएंगे और पूर्वांचल को कारोबार व रोजगार मिलेगा। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर सकते हैं।

सी-प्लेन सेवा का होगा विस्तार

नए साल में 100 सी-प्लेन सेवा की शुरुआत हो सकती है। शुरुआती तौर पर 111 नदियों का हवाई पट्टी के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा समुद्र से सटी करीब 11 हजार किलोमीटर की सीमाओं से हवाई सफर शुरू करने की योजना है। सरदार वल्लभभाई पटेल जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केवड़िया से अहमदाबाद के बीच सी-प्लेन सेवा की शुरुआत कर चुके हैं।

एक नजर में:- 

  • इस साल लगने वाले हरिद्वार कुंभ मेले की तैयारियां चल रही हैं। 220 करोड़ रुपये से ऋषिकेश का नया रेलवे स्टेशन तैयार हो चुका है। मेले के लिए 30-35 स्पेशल ट्रेनें चलाई जाएंगी।
  • 30 रेल लाइनों को ब्रॉड गेज में बदला जाएगा। इनमें 17 परियोजनाएं 2021-22 में पूरी होंगी। इनमें बिहार में तीन, राजस्थान में तीन, मध्य प्रदेश में दो, उत्तर प्रदेश में चार, बिहार में तीन, महाराष्ट्र में तीन, छत्तीसगढ़ में एक, तमिलनाडु में तीन, गुजरात में 10 रेल लाइनें शामिल हैं।
  • रेलवे ने 2021-22 में एक हजार मेगावाट सौर ऊर्जा व दो हजार मेगावाट पवन ऊर्जा हासिल करने का लक्ष्य तय किया है। इनमें से 500 मेगावाट की क्षमता वाले सौर ऊर्जा संयंत्र रेलवे स्टेशनों की इमारतों की छतों पर लगाए जाएंगे।
  • मंत्रालय ने 109 मार्गों पर 150 प्राइवेट ट्रेनों के संचालन का फैसला किया है। इन ट्रेनों में यात्रियों को कंफर्म टिकट और आधुनिक सुविधाएं मिलें, इस पर ध्यान दिया जा रहा है। हालांकि योजना को वर्ष 2024 तक धरातल पर उतारा जाएगा, लेकिन नए साल में इस दिशा में तेजी से प्रगति की उम्मीद है। इन ट्रेनों के जरिये प्रमुख स्टेशनों को जोड़ा जाएगा। गति 160 किमी प्रति घंटा होगी।

(इनपुट: अंबाला से दीपक बहल, मेरठ से प्रदीप द्विवेदी, वाराणसी से शाश्वत मिश्रा व भोपाल से हरिचरण यादव।)


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