एक ऐसा गांव जहां नहीं किया जाता होलिका का दहन, जानिए क्या है कारण
गांव में यही मान्यता चली आ रही है कि सदियों पहले इस गांव में होलिका दहन के दौरान गांव में अचानक आग लग गई। ग्रामीणों ने मंदिर में जाकर गुहार लगाई तब आग बुझ सकी थी।
देवरीकलां,सागर नईदुनिया। देश में गांवों से लेकर महानगरों तक जहां लोग होलिका दहन की तैयारी में जुटे हैं, वहीं सागर जिले के देवरी ब्लॉक में हथखोय गांव ऐसा भी है, जहां होलिका दहन नहीं किया जाता। इस गांव की आराध्य देवी मां झारखंडन हैं। माना जाता है कि होलिका दहन से वे रुष्ट हो जाती हैं। माता के प्रति अटूट आस्था के कारण ग्रामीण होली नहीं जलाते। यह गांव फोरलेन हाईवे पर देवरीकला ब्लॉक मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर घने जंगल में बसा हुआ है। इसी गांव में झारखंडन माता का प्रसिद्ध मंदिर है।
गांव के गोपाल ठाकुर(65), सुखराम ठाकुर(45) और उप सरपंच कोमल ठाकुर(40) सहित अन्य ग्रामीण बताते हैं कि उन्होंने अपने जीवनकाल में यहां कभी होली जलती नहीं देखी और बुजुर्गों से सुनी मान्यता का पालन करते हुए हमने भी कभी होली जलाने का प्रयास किया। पूरा गांव आ गया था आग की चपेट में ग्रामीणों के मुताबिक गांव में यही मान्यता चली आ रही है कि सदियों पहले इस गांव में होलिका दहन की तैयारी हुई थी, लेकिन उससे पहले ही पूरे गांव में अचानक आग लग गई, जिससे ग्रामीण दहशत में आ गए थे। अफरा-तफरा मच गई थी। तब ग्रामीणों ने माता झारखंडन के मंदिर में जाकर गुहार लगाई, तब आग बुझ सकी थी।
इस घटना के बाद कुछ ग्रामीणों के स्वप्न में माता झारखंडन ने आकर कहा था कि 'जब इस गांव में मैं स्वयं विराजमान हूं, तो यहां होली जलाने की क्या आवश्यकता है। जब तक मैं हूं, तब तक इस गांव में कुछ नहीं होगा।' तब से यहां होली नहीं जलाई जाती। नवरात्रि में लगता है मेला माता झारखंडन के दरबार में चैत्र नवरात्रि पर मेला लगता है। इसमें दूर-दूर से लोग आते हैं। सैकड़ों परिवार माता को ही अपनी कुलदेवी मानते हैं, इसलिए वे यहां परिवार सहित पूजा करने आते हैं। यहां मन्नत मांगने के बाद हुए बच्चों के मुंडन कराने भी लोग आते हैं। इसके अलावा आसपास का दृश्य प्राकृतिक सुंदरता से भरापूरा होने के कारण कई लोग पिकनिक मनाने भी आते हैं।