इस गांव में हर किसान के पास है अपना एक तालाब, जल संरक्षण के लिए मिला है राष्ट्रीय पुरस्कार
जलसंरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने पर गोपाल पिपरिया पंचायत के सरपंच कौशल किशोर कपस्या को भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय की ओर से प्रथम पुरस्कार दिया गया है जबकि सागर जिले को भी पुरस्कार मिला है।
संजय पांडेय, सागर। सूखे के कारण जिन गांवों की धरती फट पड़ती थी, वहां के किसान अब जल राशि से समृद्ध हो तीन-तीन फसलें ले रहे हैं। यह बात हर किसी को सुखद आश्चर्य से भर देती है कि यहां हर किसान का अपना एक तालाब है। जी हां, जल संरक्षण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजे गए मप्र के सागर जिले का गोपाल पिपरिया गांव सुखद और प्रेरक उदाहरण बन चुका है।
गांव में 250 किसान हैं और लगभग इतने ही तालाब। आबादी के लिहाज से यहां प्रति दस व्यक्ति पर एक तालाब है। इनके प्रयास से आसपास के गांवों का जलस्तर भी बढ़ा है। जिले के रहली ब्लॉक की इस ग्राम पंचायत में पांच साल पहले तक जल संकट की समस्या थी। अब खुशहाली है।
यहां पहले जनवरी-फरवरी में ही हैंडपंप दम तोड़ देते थे। किसान सिंचाई के लिए परेशान होते थे। बारिश के भरोसे ही एक फसल का आसरा रहता। फसल अच्छी हुई तो परिवार पलता वरना मजदूरी के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता था। 2016 में सरपंच चुनकर आए कौशल किशोर कपस्या की सोच पंचायत के लिए वरदान साबित हुई।
किसानों को प्रेरित करने के लिए लगाई गईं चौपालें
सरपंच ने पंचायत को जल संकट से मुक्ति दिलाने का एकमात्र लक्ष्य तय किया और इसके लिए एक-एक किसान को साथ लेकर आगे बढ़े। किसानों को प्रेरित करने के लिए कई चौपालें लगाई गईं। जो तैयार हुए, उनके खेत पर बिना देर किए सरकारी योजनाओं से तालाब, कुएं तैयार करवा दिए गए ताकि उन्हें देखकर दूसरे किसान भी समझ सकें।
अंतत: सभी ने साथ दिया और सभी अपने-अपने खेत पर तालाब बनवाने में सफल रहे। पांच साल में पंचायत में वाटर शेड मिशन के तहत 72, बलराम तालाब योजना के तहत 60 समेत 200 से अधिक तालाब तैयार करवाए गए। कई तालाबों को एक-दूसरे से जोड़ा भी गया, ताकि ओवरफ्लो होने पर पानी नीचे के तालाब में जमा हो सके।
वाटर शेड मिशन के तहत चेकडैम बनाने से हुई इस मिशन की शुरुआत
इस मुहिम की शुरुआत वाटर शेड मिशन के तहत चेकडैम बनवाने से हुई थी। छोटे-छोटे नालों में पानी रुकने से पानी की समस्या हल हुई। वर्तमान में पंचायत में 250 किसानों के पास अपने तालाब और कुएं हैं। इन तालाबों की वजह से पंचायत ही नहीं, आसपास के क्षेत्र में खुशहाली आई है क्योंकि क्षेत्र का जलस्तर बढ़ गया है।
सिंचाई का साधन होने से गांव में खुशहाली आई है। किसान अच्छी पैदावार के साथ तीन फसलें तक लेने लगे हैं। गांव के किसान रामेश्वर प्यासी का कहना है कि पांच साल में क्षेत्र का कालाकल्प हुआ है। जहां पहले जल संकट के चलते किसान परेशान रहते थे, वहीं अब भरपूर पानी मिलने से भरपूर सिंचाई कर रहे हैं।
जल शक्ति मंत्रालय की ओर से दिया गया प्रथम पुरस्कार
जलसंरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने पर गोपाल पिपरिया पंचायत के सरपंच कौशल किशोर कपस्या को भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय की ओर से प्रथम पुरस्कार दिया गया है, जबकि सागर जिले को भी पुरस्कार मिला है।
सागर जिला पंचायत सीईओ डॉ इच्छित गढ़पाले ने बताया कि जल संरक्षण के क्षेत्र में गोपाल पिपरिया पंचायत मिसाल बनकर सामने है। यहां प्रत्येक किसान पर एक तालाब है। जल संरक्षण से क्षेत्र का जलस्तर बढ़ा है। इससे क्षेत्र में खुशहाली आ रही है।