कोरोना काल में 'कड़कनाथ' ने कड़की से उबारा, पालने वाले कर्ज चुकाकर अब कमा रहे मुनाफा
कड़कनाथ मुर्गा 800 रुपये व मुर्गी 700 प्रति नग मिलते हैं। एक दिन का चूजा 65 7 दिन का 70 व 15 दिन का चूजा 80 रुपये में मिलता है। मांग बढ़ने के बाद 120 रुपये तक एक चूजे की कीमत पहुंच गई है।
यशवंतसिंह पंवार/ झाबुआ। मध्य प्रदेश के आदिवासी क्षेत्र झाबुआ का कड़कनाथ मुर्गा अपने स्वाद और विशेष गुणों की वजह से देशभर में प्रसिद्घ है। कोरोना काल में इसी 'कड़कनाथ' ने मुर्गीपालन कर रहे दर्जनों लोगों को कड़की से उबार दिया है। स्थिति यह है कि कड़कनाथ के चूजों के लिए तीन माह तक का इंतजार करना पड़ रहा है। क्षेत्र के कई किसानों-ग्रामीणों ने कोविड के पहले कर्ज लेकर एक-एक हजार कडकनाथ रखने के लिए केंद्र बनाए थे।
कोरोना और लॉकडाउन की वजह से इन्हें लागत निकलने की भी उम्मीद नहीं थी, क्योंकि लोग चिकन आदि से दूरी बना रहे थे। लेकिन कड़कनाथ की मांग कोविड काल में कम होने के बजाय और बढ़ गई। कड़कनाथ पालने वाले ग्रामीणों ने न सिर्फ अपना कर्ज चुका दिया बल्कि आर्थिक रूप से भी वे समृद्घ हो रहे हैं। बता दें कि कड़कनाथ मुर्गा 800 रुपये व मुर्गी 700 प्रति नग मिलते हैं। एक दिन का चूजा 65, 7 दिन का 70 व 15 दिन का चूजा 80 रुपये में मिलता है। मांग बढ़ने के बाद 120 रुपये तक एक चूजे की कीमत पहुंच गई है।
यूसुफ के बाद धोनी को भी भाया
क्रिकेटर यूसुफ पठान खुद गुजरात के बड़ौदा से नियमित अंतराल पर झाबुआ आते हैं और कड़कनाथ मुर्गे व चूजे लेकर जाते हैं। अब भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्रसिंह धोनी ने भी दो हजार कड़कनाथ चूजों की मांग की है। क्षेत्र का एक किसान कुछ माह में कड़कनाथ के चूजे प्रदाय करेगा। इसके अलावा लगातार देश के कई स्थानों से प्रतिदिन मांग आती है।
झाबुआ के कड़कनाथ को मिला है जीआइ टैग
मुर्गे की कड़कनाथ नस्ल मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में ही पाई जाती है। बीच में छत्तीसगढ़ व मप्र के बीच कड़कनाथ को अपना बताने की लड़ाई भी चली, लेकिन तथ्यों व जानकारियों की पड़ताल के बाद आखिरकार झाबुआ को इसका जीआइ यानी ज्योग्राफिकल इंडिकेशन टैग मिला था। कृषि विज्ञान केंद्र, झाबुआ के जिला समन्वयक डॉ. इंदरसिंह तोमर ने बताया कि दूसरी नस्ल के मुर्गे- मुर्गियों की तुलना में कड़कनाथ मुर्गा स्वास्थ्य व स्वाद की दृष्टि से बेहतर है। इसमें प्रोटीन के साथ ही विटामिन बी-1, बी-2, बी-6 और बी-12 भी भरपूर मात्रा में होता है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जबकि कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता।
केस 1 : मजदूरी करते थे, कडकनाथ ने बदली तकदीर
गांव रूंडीपाड़ा के 32 वर्षीय विनोद मेड़ा के परिवार पर मकान बनाने के कारण 15 लाख का कर्ज हो गया था। इसे उतारने के लिए भरूच (गुजरात) में मजदूरी करने गए। ब्याज भी नहीं भर पा रहे थे तो 2017 में वापस गांव आ गए। इस बीच कड़कनाथ पालन व्यवसाय करने की सोची। तीन साल में अलग-अलग समय टुकड़ों में 16 लाख का कर्ज लेकर तमाम सुविधाओं वाला कड़कनाथ पालन केंद्र स्थापित किया। मेड़ा ने बताया कि कोरोना काल में व्यवसाय ने जोर पकड़ा तो उनका सारा कर्ज उतर गया। अब 15 दिसंबर तक 2 हजार चूजे रांची ले जाकर महेन्द्र सिंह धोनी को देना है।
केस 2 : आर्थिक स्थिति हुई बेहतर
गांव अंतरवेलिया की पुष्पा दोहरे ने गांव में ही कड़कनाथ पालन केंद्र आरंभ किया। कोरोना काल में 1000 चूजों का ऑर्डर मिला। इसमें से अभी 750 उन्होंने सप्लाय किए हैं और कर्ज से मुक्त हो गई हैं।
यह है अंतर
तत्व देशी मुर्गा कड़कनाथ मुर्गा
फेट 13 से 15 प्रश 1.94 से 2.64 प्रश
कॉलेस्ट्रॉल 100 ग्राम में 218 एमएल 100 ग्राम में 59 एमएल
प्रोटीन 18 से 20 प्रश 24 प्रश