किंगफिशर मामले में CBI के आरोप पत्र में बैंक अफसरों के भी नाम होंगे
केंद्रीय जांच ब्यूरो एक महीने में किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक और शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने वाली है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) एक महीने में किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक और शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने वाली है।
इसमें बतौर आरोपित कई वरिष्ठ बैंक अधिकारियों के भी नाम दर्ज होंगे जिन्होंने माल्या को कर्ज दिया। सूत्रों के अनुसार किंगफिशर को दिए गए 6000 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज घोटाले पर यह पहला आरोप पत्र होगा।
कर्ज के पहले चरण की जांच लगभग पूरी
माल्या की इस कंपनी को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) के नेतृत्व में 17 बैंकों के कंसोर्टियम का बकाया कर्ज अब बढ़कर 1600 करोड़ रुपये का हो गया है। सूत्रों ने बैंक अधिकारियों का नाम बताने से इन्कार करते हुए कहा कि बैंकों के कंसोर्टियम की ओर से दिए गए कर्ज के पहले चरण की जांच लगभग पूरी हो चुकी है।
बैंक अफसरों के खिलाफ काफी सबूत
यह जांच जारी रखते हुए सीबीआइ एक महीने के अंदर आरोप पत्र दाखिल कर सकती है। इसके साथ ही किंगफिशर एयरलाइंस के कर्ज को देखने वाले एसबीआइ समेत संबंधित बैंकों के सेवारत और सेवानिवृत्त कई अफसरों के नाम सीबीआइ अपने आरोपपत्र में दर्ज करेगी। जांच एजेंसी ने अपने पद का दुरुपयोग करने के इन बैंक अफसरों के खिलाफ काफी सबूत जुटा रखे हैं।
वित्त मंत्रालय के अफसरों की भूमिका की भी जांच
इस आरोप पत्र में किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक विजय माल्या, सीएफओ ए. रघुनाथन और अन्य पूर्व वरिष्ठ अफसरों के नाम भी इस आरोप पत्र में दर्ज होंगे। सूत्रों का कहना है कि सीबीआइ इस मामले में वित्त मंत्रालय के अफसरों की भूमिका की भी जांच कर रही है।
इन लोगों ने बैंक अधिकारियों के फैसलों को प्रभावित किया हो सकता है। लेकिन इनकी भूमिका की अभी भी पड़ताल हो रही है। जांच में सीबीआइ ने माल्या पर कर्ज की रकम को दूसरे मदों में खर्च करने के आरोप साबित करने के पर्याप्त सबूत एकत्र कर लिए हैं।
बैंक का कर्ज चुकाने में विफल रही कंपनी
सूत्रों का कहना है कि सीबीआइ ने अपनी एफआइआर में यह आरोप लगाया है कि वर्ष 2005 और 2010 के बीच किंगफिशर एयरलाइंस लिमिटेड को एसबीआइ और कंसोर्टियम के दूसरे बैंकों ने कर्ज से जुड़ी विभिन्न अतिरिक्त सुविधाएं दे रखी थीं। वर्ष 2009-2010 के बीच कंपनी बैंक का कर्ज चुकाने में विफल रही।
इसके बावजूद बैंकों की मदद से वह और कर्ज सुविधाएं लेता रहा। एफआइआर में कहा गया है कि किंगफिशर एयरलाइंस ने कंसोर्टियम बैंकों के साथ अपने खाते का हिसाब-किताब सही नहीं रखा और बाद में यही बकाया कर्ज बन गया। सीबीआइ ने पिछले साल माल्या के खिलाफ एक अन्य मामले भी आरोप पत्र दायर किया था।
बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप
यह आइडीबीआइ बैंक के दिए 900 करोड़ रुपये के बकाया कर्ज घोटाले का अलग मामले है जिसमें बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों पर भी मिलीभगत का आरोप है। सीबीआइ ने माल्या के खिलाफ दो मामले दर्ज किए थे। आइडीबीआइ के कर्ज का मामला 2015 में और कंसोर्टियम कर्ज का मामला 2016 में दर्ज किया गया था।
किंगफिशर एयरलाइंस की वजह से एसबीआइ के 1600 करोड़ रुपये खतरे में हैं। जबकि बैंक यूबी समूह की कंपनियों के शेयर बेचकर केवल 1100 करोड़ रुपये की वसूली कर पाया है। किंगफिशर की धांधली के शिकार बनने वाले अन्य बैंकों में पंजाब नेशनल बैंक, आइडीबीआइ बैंक (प्रत्येक से 800 करोड़ रुपये), बैंक ऑफ इंडिया (650 करोड़ रुपये), बैंक ऑफ बड़ौदा (550 करोड़ रुपये) सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (410 करोड़ रुपये) शामिल हैं।