तनाव में अब अकेले नहीं पड़ेंगे छात्र, जानें विश्वविद्यालयों और कॉलेजों ने क्या किया उपाय
यदि यह तनाव पढ़ाई से जुड़ा होगा तो शिक्षक ही खुद मदद करेंगे, यदि अन्य कारण होंगे, तो उन्हें परिवार और चिकित्सक की भी मदद दिलाई जाएगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पढ़ाई के दौरान तनाव में रहने वालों छात्रों पर विश्वविद्यालय और कालेज अब अपनी पैनी नजर रखेंगे। इसके लिए शिक्षकों को एक खास प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, ताकि वह कक्षाओं में ऐसे छात्रों की आसानी से पहचान कर सकें। साथ ही उन्हें इससे उबारने को लेकर भी काम किया जाएगा। यदि यह तनाव पढ़ाई से जुड़ा होगा, तो शिक्षक ही खुद मदद करेंगे, यदि अन्य कारण होंगे, तो उन्हें परिवार और चिकित्सक की भी मदद दिलाई जाएगी।
विश्वविद्यालय और कालेजों में तनाव को लेकर यह कवायद उस समय शुरु की गई है ,जब देश में हर साल तनाव के चलते इन संस्थानों में पढ़ने वाले बड़ी संख्या में छात्र आत्महत्या कर लेते है। यूजीसी ने इस संबंध में मंत्रालय से भी चर्चा की है। जिस पर मंत्रालय भी सहमत है।
सूत्रों की मानें तो इसके लिए फिलहाल कुछ ऐसी एजेंसियों और संस्थानों की तलाश है, जो शिक्षकों को इस तरह का प्रशिक्षण दे सकें। इस दौरान विवि और कालेजों में एक सेल बनाने का भी सुझाव दिया गया है, ताकि इस तरह के मामले को गंभीरता से परखा जा सके। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2016 में ऐसे ही तनाव के चलते करीब आठ हजार छात्रों ने आत्महत्या की थी। जिसमें हर साल बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। योजना पर काम रहे अधिकारी के मुताबिक यह सरकार के लिए एक चिंताजनक पहलू है।
गौरतलब है कि छात्रों को ऐसे तनाव से बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पिछले साल एक्जाम वारियर्स नाम की एक किताब भी लिखी थी। साथ ही ऐसे ही विषयों को लेकर छात्रों के साथ परीक्षा पर चर्चा भी की थी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी की इस पहल की इस पहल को आगे बढ़ाने से जोड़कर देखा जा रहा है।
---------------------