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Ken-Betwa Link Project: मध्य प्रदेश के नौ जिलों में हरियाली के साथ किसानों के चेहरे पर आएगी खुशहाली

पूर्व कृषि संचालक डॉ. जीएस कौशल का कहना है कि केन-बेतवा लिंक परियोजना से निश्चित तौर पर स्थितियां बदलेंगी। किसान दो-तीन फसल ले पाएंगे और पशुपालन मत्स्य पालन सहित अन्य गतिविधियां बढ़ेंगी जिसका असर पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Mon, 22 Mar 2021 07:35 PM (IST)Updated: Mon, 22 Mar 2021 10:52 PM (IST)
Ken-Betwa Link Project: मध्य प्रदेश के नौ जिलों में हरियाली के साथ किसानों के चेहरे पर आएगी खुशहाली
8.11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में होगी सिंचाई

भोपाल, राज्य ब्यूरो। सूखे की मार झेलने वाले बुंदेलखंड के लिए केन-बेतवा लिंक परियोजना वरदान से कम नहीं है। इससे नौ जिलों में हरियाली के साथ-साथ किसानों के चेहरे पर खुशहाली भी आएगी। 8.11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी, जिसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ेगा। किसान दो से तीन फसलें ले पाएंगे। इससे न सिर्फ उनकी आय में वृद्धि होगी बल्कि विकास के नए द्वार भी खुलेंगे। आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। पेयजल संकट से भी क्षेत्र को निजात मिलेगी।

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केन-बेतवा लिंक परियोजना को शुरआत से ही बुंदेलखंड क्षेत्र के विकास की दिशा में मील के पत्थर के तौर पर देखा जाता रहा है लेकिन जल बंटवारे के विवाद में यह महत्वाकांक्षी योजना लंबित थी। इस परियोजना से सिंचाई क्षमता का जो विस्तार होगा, उससे किसानों के चेहरों पर खुशहाली आएगी। पानी की उपलब्धता से ग्रीष्मकालीन फसलें होंगी, जो किसानों को आर्थिक तौर पर समृद्ध करेगी। अभी आमतौर पर किसान कम सिंचाई वाले बीज का उपयोग करते हैं, अब वे नई किस्मों की ओर रख करेंगे।

पूर्व कृषि संचालक डॉ. जीएस कौशल का कहना है कि केन-बेतवा लिंक परियोजना से निश्चित तौर पर स्थितियां बदलेंगी। किसान दो-तीन फसल ले पाएंगे और पशुपालन, मत्स्य पालन सहित अन्य गतिविधियां बढ़ेंगी, जिसका असर पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। पलायन भी रुकेगा क्योंकि इसका सबसे बड़ा कारण क्षेत्र में उद्योग-धंधों की कमी है। सरकार को अब फसल चक्र पर ध्यान देना होगा। किसानों को समझाना होगा कि सिंचाई सुविधा का लाभ वे किस तरह से ले सकते हैं।

दौधन में बनेगा बांध

जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि केन नदी पर दौधन में बांध बनेगा। 77 मीटर ऊंचे इस बांध का जलग्रहण क्षेत्र 19,633 वर्ग किलोमीटर रहेगा और पानी भंडारण क्षमता 2,684 मिलियन क्यूबिक मीटर होगी। यहां दो पावर हाउस बनेंगे। 1.9 किलोमीटर लंबी अपर लेवल और 1.1 किलोमीटर लंबी लोअर लेवल टनल बनेगी। बेतवा कछार में तीन परियोजनाएं बनेंगी। इससे प्रदेश में 2.06 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता निर्मित होगी।

मप्र के 42 लाख लोगों को मिलेगी पेयजल सुविधा

मप्र को परियोजना का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि यहां के 42 लाख लोगों के लिए पीने के पानी का इंतजाम होगा। अभी बुंदेलखंड इलाके में पेयजल संकट की वजह से महिलाओं को दो-तीन किलोमीटर दूर तक पानी लेने जाना पड़ता है। जलस्तर में भी सुधार होगा। तालाब और कुएं भी पुनर्जीवित होंगे।


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