भारत में यूनिसेफ ने कहा, पोषण अभियान को कोरोना से पहले के स्तर पर लाना है जरूरी
भारत में यूनिसेफ (पोषण) के प्रमुख वाग्ट ने बताया हमें पोषण अभियान उसी स्तर पर वापस लाने की जरूरत है जहां हम जनवरी (कोविड समय से पहले) में थे। इसे किसी अलग कवायद की आवश्यकता नहीं है। हमें समान कार्यक्रमों की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। भारत में यूनिसेफ (UNICEF) ने कहा है कि राष्ट्रीय पोषण मिशन को कोरोना वायरस महामारी से पहले के स्तर यानी जनवरी जैसे वापस लाने की जरूरत है। भारत में यूनिसेफ (पोषण) के प्रमुख अर्जन डे वाग्ट ने कहा कि पोषण अभियान के तहत कार्यक्रम जैसे कि समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) का कार्यान्वयन, घर पर राशन ले जाना और खून की कमी (एनीमिया) को रोकने के लिए गर्भवती महिलाओं और बच्चों को आयरन फोलिक टैबलेट देना आदि, पूरी तरह से लागू करने की आवश्यकता है। वाग्ट ने बताया, 'हमें पोषण अभियान उसी स्तर पर वापस लाने की जरूरत है जहां हम जनवरी (कोविड समय से पहले) में थे। इसे किसी अलग कवायद की आवश्यकता नहीं है। हमें समान कार्यक्रमों की आवश्यकता है।'
उन्होंने कहा, 'कई मामलों में, हमें समायोजित करने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, चूंकि स्कूल बंद हैं, बच्चों को वह भोजन प्राप्त करने की आवश्यकता है जो वे स्कूलों में प्राप्त करते थे। इसलिए, हमें अन्य तरीकों की तलाश करने की आवश्यकता है जैसे कि घर-घर राशन ले जाना।' उन्होंने कहा, 'हर घर पर जाने की जरूरत है। स्कूलों में किशोरियों को दी जाने वाली आयरन फोलिक टैबलेट, उन लोगों को दी जा सकती है जिन्हें समुदायों के माध्यम से इसकी आवश्यकता होती है।'
कोरोना संक्रमण के चलते नहीं हुए कोई कार्यक्रम
वाग्ट ने कहा कि भारत में कोरोना वायरस पोषण को तीन तरीकों से प्रभावित करता है। पहला रोजगार खोने वाले लोगों के साथ गरीबी बढ़ रही है। गरीबी से खाद्य असुरक्षा होती है। दूसरा यह है कि सेवाओं को कैसे प्रभावित किया गया और तीसरा यह है कि पोषण पर ध्यान देने के मामले में इस समय नेतृत्व कैसे प्रभावित हुआ। पूर्व में, पोषण पखवाड़ा और पोषण माह, समुदायों में बड़ी संख्या में लोगों को एक साथ लाने के लिए एक महत्वपूर्ण घटक था। लोगों को अच्छे पोषण के बारे में शिक्षित करने के लिए सामूहिक कार्यक्रम होते थे लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के कारण पिछले चार सप्ताह से इस तरह के कार्यक्रम नहीं देखने को मिले हैं।