राजनीति नहीं, आंतरिक तंत्र ही सुप्रीम कोर्ट के मुद्दे सुलझा सकता है: ASG विकास सिंह
सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीशों के द्वारा कोर्ट की कार्यवाही पर सवाल उठाने का जिक्र करते हुए एएसजी विकास सिंह ने कहा कि यह एक गंभीर चिंता का विषय है।
नई दिल्ली (एएनआई)। सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीशों के द्वारा देश के इतिहास में पहली बार प्रेस कांफ्रेस किये जाने की हर ओर चर्चा हो रही है। पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विकास सिंह ने शनिवार को मीडिया से बात करते हुए इस पूरे मामले पर अपने विचार रखे हैं। सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीशों के द्वारा कोर्ट की कार्यवाही पर सवाल उठाने का जिक्र करते हुए एएसजी विकास सिंह ने कहा कि यह एक गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आंतरिक मुद्दे सुलझाने के लिए आंतरिक तंत्रों की जरुरत थी, उन्हें राजनेताओं के सामने आने की जरुरत नहीं थी।
न्यायपालिका के हित में नहीं
विकास सिंह ने कहा, यह एक गंभीर चिंता का विषय है। मुझे नहीं लगता है कि कोई भी राजनेता इस समस्या का सकारात्मक हल सुझायेंगे। वे सभी इस स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि राजनेताओं पर इसके फैसले छोड़ देने से अच्छा सुप्रीम कोर्ट के आंतरिक तंत्र इस पर ज्यादा अच्छे तरीके से हल निकाल सकते हैं। उन्होंने आगे कहा, सुप्रीम कोर्ट लोकतंत्र का मजबूत स्तंभ है और सभी को इसकी रक्षा करनी चाहिए। लेकिन अगर उन्हें इस तरह से एक प्रेस सम्मेलन में आना पड़ता है, तो इससे जनता के दिमाग में संदेह पैदा होगा जो न्यायपालिका के हित में नहीं है।"
मुद्दे पर गंभीरता से हो विचार-कांग्रेस
कल कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे पर कहा था कि चारों न्यायाधीशों के बयानों को बड़े ही गंभीरतापूर्वक रुप से लिया जाना चाहिए। यह अभूतपूर्व था। सम्माननीय न्यायाधीशों के द्वारा उठाए गए विषयों पर भी गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। इसके साथ ही जज लोया के मौत की जांच सही ढंग से की जानी चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी मुख्यालय से ये बातें कहीं।
बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीशों ने मीडिया को संबोधित करते हुए उनसे कहा था कि यदि वे देश में लोकतंत्र को जीवित देखना चाहते हैं तो वे कानून के इस सर्वोच्च संस्थान को बचाएं। न्यायाधीश मदन बी लोकुर, कुरियन जोसेफ, रंजन गोगोई और जस्टिस चेमलेश्वर ने जस्टिस चेमलेश्वर के आधिकारिक आवास पर प्रेस कांफ्रेस आयोजित कर मीडिया के समक्ष अपनी बातें रखीं।
कानून के सर्वोच्च संस्था को बचाने की थी अपील
उनकी तरफ से बात करते हुए जस्टिस चेमलेश्वर ने न्यायपालिका की संस्था विशेषकर सर्वोच्च न्यायालय के भीतर होने वाले आंतरिक जंग और समझौते का खुलासा करते हुए चिंता व्यक्त की। न्यायाधीशों ने कहा कि वे कानून की सर्वोच्च संस्था (सर्वोच्च न्यायालय) को बचाने की जनता से अपील करते हैं।
बताया जाता है कि, उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कामकाज पर चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने भी जस्टिस लोया के मौत का मुद्दा भी उठाया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सीबीआई से जस्टिस लोया के पोस्टमार्टम रिपोर्ट की मांग की। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर अगली सुनवाई सोमवार, 15 जनवरी के लिए निर्धारित की है।
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