छत्तीसगढ़ में नदी लील गई जमीन तो किसान न करें चिंता, राज्य सरकार लाएगी वापस
संभाग के अलग-अलग हिस्सों से महानदी सोन नदी तिपान अरपा बम्हनी तान जोहिला व शिवनाथ नदी बह रही है। बारिश के दिनों में नदी के तटीय क्षेत्रों में बाढ़ का पानी तेज बहाव के साथ घुसता है और खेतों के स्वरूप को बिगाड़ देता है।
बिलासपुर, जेएनएन। छत्तीसगढ़ में बाढ़ से खेत को नुकसान पहुंचा है या भारी मात्रा में आई रेत से फसल बर्बाद हो गई है तो किसान फिक्र न करें। अब सरकार इसकी भरपाई करेगी। शासन की नई योजना के अनुसार, पीड़ित किसान इसकी जानकारी पटवारी को देंगे तो राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग मिट्टी भराव व नया खेत बनाने पर होने वाले खर्च का आकलन कर पीड़ितों को पूरी राशि मुहैया कराएगा।
संभाग के अलग-अलग हिस्सों से महानदी, सोन नदी, तिपान, अरपा, बम्हनी, तान, जोहिला व शिवनाथ नदी बह रही है। बारिश के दिनों में नदी के तटीय क्षेत्रों में बाढ़ का पानी तेज बहाव के साथ घुसता है और खेतों के स्वरूप को बिगाड़ देता है। जिला प्रशासन के आंकड़ों पर नजर डालें तो बीते दो वर्ष के दौरान बिलासपुर संभाग के अंतर्गत किसानों की दो हजार एकड़ जमीन नदी लील गई है। अब इन किसानों को खेतों को नए सिरे से तैयार करने और रेत हटाने पर खर्च के साथ फसल को हुए नुकसान भी भरपाई सरकार करेगी। कलेक्टर डॉ. सारांश मित्तर का कहना है कि बाढ़ के दौरान भूमि कटाव या खेतों में रेत का भर जाना प्राकृतिक प्रक्रिया है। ऐसे स्थिति में किसानों को जमीन में मिट्टी पाटकर खर्च का विवरण पेश करना होगा। इसके बाद उन्हें नियमानुसार मदद की जाएगी।
रेत हटाने के लिए भी मदद
बाढ़ का पानी हमेशा अपने साथ काफी मात्रा में रेत लेकर आता है। इससे फसल पूरी तरह बर्बाद हो जाती है। राजस्व विभाग ने इसके लिए भी योजना तैयार कर ली है। अब खेतों में तीन इंच मोटाई में जमी रेत हटाने पर होने वाले खर्च की राशि विभाग की तरफ से जारी की जाएगी। ऐसी स्थिति के लिए पटवारी की मदद लेनी पड़ेगी। किसानों को अपने पैसे से रेत हटा खर्च खर्च का विवरण देना होगा। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद राशि का भुगतान किया जाएगा।