कोरोना से खुद की कम अपने प्रियजनों के स्वास्थ्य को लेकर अधिक फिक्रमंद हैं लोग
कोरोना वायरस के संकट के बीच लोग अपनी कम अपने प्रियजनों के स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा फिक्रमंद नजर आ रहे हैं। पढ़ें समाज में आए इस बदलाव पर यह रिपोर्ट...
पणजी, पीटीआइ। कोरोना वायरस को लेकर लोगों में खौफ इस कदर है कि वे अपनी चिंता करने से ज्यादा अपने स्वजनों के स्वास्थ्य को लेकर फिक्रमंद हैं। शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया है कि लोग अब शरीर में आ रहे मामूली बदलावों को लेकर भी पहले से ज्यादा सतर्क हैं, यहां तक की हल्का सा बुखर, खांसी और छींक आने पर तुरंत सजग हो जा रहे हैं। आंकड़ों के लिहाज से देखें तो करीब 82.25 फीसद लोग अपने से ज्यादा अपने प्रियजनों के स्वास्थ्य को लेकर फिक्रमंद हैं।
बीमारी के संदेश नहीं पढ़ना चाह रहे लोग
गोवा इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (Goa Institute of Management) द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि लोगों को घातक कोरोना संक्रमण के संदेश यानी सोशल मीडिया पर फॉरवर्ड मैसेज पढ़ना भी काफी निराशाजनक लग रहा है। यही नहीं 41 फीसद लोग लॉकडाउन के दौरान योग या व्यायाम जैसी कोई शारीरिक गतिविधियां नहीं कर रहे हैं। ऐसे समय जब योग की महत्ता बढ़ गई है लोगों का यह व्यवहार थोड़ी चिंता जरूर पैदा करता है।
लोगों में चिंता पर हुआ अध्ययन
समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक, गोवा इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट की डॉक्टर दिव्या सिंघल (Dr Divya Singhal) और प्रोफेसर पद्मनाभन विजयराघवन (Prof Padhmanabhan Vijayaraghavan) ने कोरोना के प्रकोप को लेकर लोगों की चिंता, इससे निपटने के तरीके और मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया के संबंध में अध्ययन किया। इसमें देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले 231 लोगों को शामिल किया गया।
मामूली लक्षणों को लेकर बढ़ी सतर्कता
अध्ययन में पाया गया कि अधिकतर लोग अब शरीर में आने वाले परिवर्तनों को लेकर अधिक सजग हो गए हैं। लोग मामूली जुकाम, खांसी, छींक आने जैसे कोविड-19 के लक्षणों को लेकर ज्यादा सजग हैं। ऐसे में जब देश दुनिया में यह जानलेवा महामारी अपना उग्र स्वरूप दिखा रही है तो लोगों में यह जागरूकता इसे हराने में बेहद मददगार साबित हो सकती है। अध्ययन में पाया गया कि 50 फीसद लोग सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताने के साथ ही फिल्में भी अधिक देख रहे हैं।
प्रौद्योगिकी का प्रयोग बढ़ा
अध्ययन में पाया गया कि लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ संपर्क में रहने के लिए मोबाइल फोन आदि तकनीक (प्रौद्योगिकी) का सहारा ले रहे हैं जिससे इनका इस्तेमाल भी बढ़ गया है। अध्ययन में हिस्सा लेने वाले 231 लोगों में से 145 पुरुष और 86 महिलाएं थी। अध्ययन में भाग लेने वाले 47.62 फीसद लोग निजी या सरकारी क्षेत्र में नौकरी करते हैं जबकि बाकी छात्र, सेवानिवृत्त कर्मचारी और गृहिणियां हैं।