केंद्र सरकार ने गैर चिकित्सा शिक्षकों को दी राहत, एमसीआइ के पुराने मानक को बहाल किया
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि एनएमसी फिलहाल गैर-चिकित्सा शिक्षकों के प्रतिशत के पुराने पैटर्न को जारी रख सकता है। हालांकि मेडिकल कालेजों के गैर-नैदानिक विभागों में गैर-चिकित्सा शिक्षकों के प्रतिशत को कम करने का विषय न्यायालय के समक्ष लंबित है।
नई दिल्ली, आइएएनएस। गैर-चिकित्सा शिक्षकों (Non Medical Teachers) को राहत देते हुए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) को गैर-चिकित्सा शिक्षकों के प्रतिशत के संबंध में भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआइ) के मानदंडों का पालन करने का निर्देश दिया है। अपने आदेश में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि एनएमसी फिलहाल गैर-चिकित्सा शिक्षकों के प्रतिशत के पुराने पैटर्न को जारी रख सकता है। हालांकि, मेडिकल कालेजों के गैर-नैदानिक विभागों में गैर-चिकित्सा शिक्षकों के प्रतिशत को कम करने का विषय न्यायालय के समक्ष लंबित है।
एमसीआइ के शिक्षक पात्रता और योग्यता दिशानिर्देशों के अनुसार, मेडिकल एमएससी/पीएचडी की योग्यता वाले गैर-चिकित्सा शिक्षकों की नियुक्ति मेडिकल कालेजों के पांच गैर-नैदानिक विभागों में संकाय पदों के 30 प्रतिशत (जैव रसायन में 50 प्रतिशत) की सीमा तक की जा सकती है। इस बीच, जब एमसीआइ को समाप्त कर एनएमसी का गठन किया गया तो 13 अक्टूबर, 2020 को सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए जारी वार्षिक एमबीबीएस प्रवेश विनियम, 2020 के लिए न्यूनतम आवश्यकताओं में संशोधन के मसौदे में उन्हीं दिशानिर्देशों को शामिल किया गया था।
हालांकि, 28 अक्टूबर, 2020 को जब अंतिम दस्तावेज सामने आया तो गैर-चिकित्सा शिक्षकों का प्रतिशत जैव रसायन में 50 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत, एनाटामी और फिजियोलाजी में 30 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया और फार्माकोलाजी और माइक्रोबायोलाजी में पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया। इस निर्णय के खिलाफ नेशनल एमएससी मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन (एनएमएमटीए) ने राष्ट्रीय आंदोलन शुरू किया था।