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जैश को छिपाने में भी जुटी है इमरान सरकार, कई देशों के प्रतिबंध के बावजूद बढ़ी सक्रियता

भारतीय विदेश मंत्रालय ने पिछले हफ्ते ही पीएम इमरान खान से उनकी सरकार के आतंकी संगठनों के साथ चल रहे सांठ गांठ पर पांच तल्ख सवाल पूछे थे।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 08:26 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 09:13 PM (IST)
जैश को छिपाने में भी जुटी है इमरान सरकार, कई देशों के प्रतिबंध के बावजूद बढ़ी सक्रियता
जैश को छिपाने में भी जुटी है इमरान सरकार, कई देशों के प्रतिबंध के बावजूद बढ़ी सक्रियता

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। बाहर से भारत के साथ दोस्ती की बात करने वाले इमरान खान के शासन में भारत विरोधी आतंकवादियों और आतंकी संगठनों के पौ बारह हैं। इस संदर्भ में भारत की खुफिया एजेंसियों की वहां के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को लेकर भी कुछ अहम सूचनाएं हासिल हुई है कि किस तरह से इस संगठन को पालने-पोसने में इस्लामाबाद की नई सरकार भी कोई कसर नहीं छोड़ रही। अमेरिका, भारत, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन जैसे देशों की तरफ से पाबंदी लगाने जाने के बावजूद जैश-ए-मोहम्मद को पाकिस्तान हुक्मरानों ने भारत के खिलाफ एक अहम हथियार बनाया हुआ है बल्कि इसका प्रतिबंधित एनजीओ अल-रहमत ट्रस्ट भी फिर से सक्रिय हो चुका है।

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खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक जैश लगातार कश्मीर में नेटवर्क बनाने में जुटा है। हालांकि भारतीय सुरक्षा सैनिकों ने उनके सारे मुख्य आतंकी लीडरों को मार गिराया है लेकिन सूचना है कि जैश के कुछ पाकिस्तानी आतंकियों ने हाल ही में सर्दियों के बावजूद भारतीय सीमा में प्रवेश कर चुके हैं। भारत की चिंता इन छोटे मोटे घुसपैठ की नहीं है बल्कि पाकिस्तान में जैश के नेटवर्क को मिल रहा समर्थन है। जैश को लेकर भारत हमेशा से ज्यादा सतर्क रहा है क्योंकि इसका मुखिया मौलाना मसूद अजहर भारत के खिलाफ लंबी साजिश रचने की कोशिश करता है। वर्ष 2016 में पठानकोट हमले में इसकी सीधी भूमिका साबित हुई थी और उसके बाद पिछले दो वर्षो के दौरान कश्मीर में आतंकी वारदातों को भड़काने में भी यह संगठन कामयाब रहा है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत सरकार ने पठानकोट हमले की जांच की रिपोर्ट तैयार की थी लेकिन उसे कभी सार्वजनिक नहीं किया गया। अजहर को कुछ महीने नजरबंद किया गया था लेकिन अब उसके बारे में कोई सूचना नहीं है।

भारतीय खुफिया एजेंसियों को यह सूचना मिली है कि इसका संगठन अल रहमत ट्रस्ट पाकिस्तान के बड़े इलाके में रोहिंग्या और कश्मीर के नाम पर चंदा जुटाने में जुटा है। जबकि इस संगठन पर भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे हुए है। इसके अलावा भारत की तरफ से बार बार पूछने पर भी पाकिस्तान सरकार ने मौलाना मसूद अजहर के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं है। खुफिया एजेंसियों को शक है कि पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई के साथ मिल कर अजहर निश्चित तौर पर कोई लंबी अवधि की प्लानिंग में जुटा होगा। अजहर एक अंतरराष्ट्रीय घोषित कानून है लेकिन चीन की वजह से इस पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र में पारित नहीं हो पाया है।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने पिछले हफ्ते ही पीएम इमरान खान से उनकी सरकार के आतंकी संगठनों के साथ चल रहे सांठ गांठ पर पांच तल्ख सवाल पूछे थे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था कि भारत के खिलाफ आतंकी साजिश रचने वाले सभी आतंकी संगठन और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित आतंकी पाकिस्तान सरकार के कुछ प्रमुख मंत्रियों के साथ ना सिर्फ घूम फिर रहे हैं बल्कि भारत को धमकी भी दे रहे हैं जिससे वहां की सरकार की नीयत का पता चलता है। भारत ने गुलाम कश्मीर में जमात उल दावा की बढ़ती गतिविधियो को लेकर चिंता जताई थी और इसे साफ तौर पर पाकिस्तान सरकार की तरफ से उकसाने वाला कदम करार दिया था। दरअसल, भारत ने एकसाथ कई सारे ऐसे उदारहण इमरान खान के सामने पेश किये थे जो उनकी सरकार के असली चरित्र को सामने लाता है।


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