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मप्र में बजट बढ़ा पर आदिवासियों की आर्थिक स्थिति में नहीं आया सुधार

मप्र सरकार ने पिछले 14 साल में अनुसूचित जनजाति वर्ग की आर्थिक और सामाजिक स्थिति सुधारने 782 फीसदी बजट बढ़ाया है, लेकिन स्थिति में अपेक्षाकृत सुधार नहीं हुआ।

By Srishti VermaEdited By: Published: Thu, 09 Aug 2018 11:22 AM (IST)Updated: Thu, 09 Aug 2018 11:43 AM (IST)
मप्र में बजट बढ़ा पर आदिवासियों की आर्थिक स्थिति में नहीं आया सुधार
मप्र में बजट बढ़ा पर आदिवासियों की आर्थिक स्थिति में नहीं आया सुधार

भोपाल (नईदुनिया स्टेट ब्यूरो)। अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) को विकास की मुख्य धारा में लाने की कोशिशें नाकाफी साबित हो रही हैं। राज्य सरकार ने पिछले 14 साल में अनुसूचित जनजाति वर्ग की आर्थिक और सामाजिक स्थिति सुधारने के लिए 782 फीसदी बजट बढ़ाया है, लेकिन स्थिति में अपेक्षाकृत सुधार नहीं हुआ। लिहाजा मुंगावली-कोलारस उपचुनाव के ठीक बाद से सरकार को इस जनजाति पर विशेष फोकस करना पड़ा है। 2017 में इस जनजाति पर सरकार ने 5 हजार 600 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। जबकि 2003 में 635.8 करोड़ रुपए का बजट था।

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सरकार ने बजट भी बढ़ाया और शिक्षा, स्वास्थ्य की सुविधा भी दी, लेकिन इस जनजाति की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में कितना सुधार हुआ, इसके आंकड़े सरकार के पास नहीं हैं। दरअसल, सरकार ने आज तक विभिन्न योजनाओं से जनजाति की स्थिति में आए सुधार का तुलनात्मक अध्ययन ही नहीं कराया है। सरकार के पास सिर्फ बजट में वृद्धि के आंकड़े हैं। हाल ही में चल रही योजनाओं में से दो योजनाओं के अध्ययन की कोशिशें चल रही हैं, लेकिन सुशासन स्कूल अब तक इसके लिए तैयार नहीं हुआ है।

छह माह पहले याद आई
इस जनजाति का प्रतिनिधित्व करने वाले बताते हैं कि सरकार का सारा लाड़-प्यार सिर्फ छह माह पुराना है। मुंगावली और कोलारस उपचुनाव के समय सरकार को इस जनजाति की याद आई और तभी से लगातार कुछ न कुछ दिया जा रहा है। वे कहते हैं कि इन छह महीनों में ही लगा कि सरकार हमारे बारे में भी सोचती है। हमारी बस्तियों में सड़कें बनने लगी हैं, सहरिया जनजाति को कुपोषण दूर करने के लिए राशि मिलने लगी है। हालांकि वे यह भी कहते हैं कि इतना सबकुछ मिलने के बाद भी जनजाति के लोग पत्थरों की खदानों व अन्य जगह पर मजदूरी कर रहे हैं। उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। उन्हें सरकारी नौकरियों में उन्हें जगह नहीं मिल रही है।

जनजाति को ये लाभ दिया जा रहा
- जनजाति के 2 लाख 18 हजार 258 लोगों को वन अधिकार प्रमाण पत्र दिए।

- छात्रावासों में रहने वाले विद्यार्थियों की शिष्यवृत्ति में 300 फीसदी वृद्धि।

- प्रदेश में 29 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय, 13 न्यू साक्षरता कन्या परिसर, 3 विशेष पिछड़ी जनजाति आवासीय विद्यालय और 4 गुरुकुलम् खोले।

- जनजाति के सौ विद्यार्थियों को यूपीएससी की कोचिंग के लिए दिल्ली भेजा।

- जनजाति के 50 विद्यार्थियों को विदेशों में उच्च शिक्षा की व्यवस्था का प्रावधान।

- 286 भाषाई शिक्षकों के पद सृजित कर रहे हैं, जिनमें 18 पद भारिया के लिए।

- भारिया परिवारों को एक रुपए किलो गेहूं, चावल और नमक दे रहे।

- सहरिया युवकों को सिर्फ शारीरिक दक्षता के आधार पर पुलिस में भर्ती किया जाएगा।

तेजी से हुआ विकास
सरकार के प्रयासों से जनजाति का आर्थिक और सामाजिक विकास हो रहा है। हाल ही में तेजी से बदलाव देखने को मिला है। जिन बस्तियों में कभी सड़कें नहीं थीं, वहां अब सड़कें बन गई हैं।

- रामलाल बैगा, अध्यक्ष, बैगा विकास प्राधिकरण


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