सुप्रीम कोर्ट का अहम आदेश, घोटाले के मामलों में अलग-अलग केस जनहित में नहीं; जानिए क्या है पूरा मामला
जांच एजेंसी के अनुसार बाइक बोट घोटाले में दो लाख से अधिक लोगों के साथ 15000 करोड़ रूपये की धोखाधड़ी की गई थी। इनसे बाइक टैक्सी में निवेश करने पर अच्छा मुनाफा देने का वादा किया गया था।
नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम व्यवस्था देते हुए कहा है कि घोटाले के मामलों में दर्ज विभिन्न एफआइआर पर अलग-अलग कार्यवाही जनता के हित में नहीं है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने अपने विशेष अधिकार का प्रयोग करते हुए करोड़ों रूपये के 'बाइक बोट' और 'ग्रांड वेनिस माल' घोटाले में दर्ज विभिन्न एफआइआर को एक-एक मुख्य एफआइआर में बदल दिया है। इसके परिणाम स्वरूप इन मामलों की सुनवाई भी अब ग्रेटर नोएडा की एक ही अदालत में होगी।
जानकारी के मुताबिक 15,000 करोड़ रूपये के बाइक बोट घोटाले में विभिन्न लोगों के खिलाफ उत्तर प्रदेश और दिल्ली में 118 एफआइआर दर्ज कराई गई थी। जबकि, ग्रांड वेनिस मामल घोटाले में विभिन्न लोगों के खिलाफ 46 एफआइआर दर्ज कराई गई थी।
जांच एजेंसी के अनुसार बाइक बोट घोटाले में दो लाख से अधिक लोगों के साथ 15,000 करोड़ रूपये की धोखाधड़ी की गई थी। इनसे बाइक टैक्सी में निवेश करने पर अच्छा मुनाफा देने का वादा किया गया था। इसी तरह ग्रांड वेनिस माल मामले में भी निवेशकों को अच्छी जगह पर प्लाट देने का लालच देकर ठगा गया था।
आरोपितों ने मामलों को एक साथ मिलाने का किया था आग्रह
जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस जेबी पार्डीवाला की पीठ ने इन दोनों मामलों में आरोपितों की तरफ से दर्ज जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह व्यवस्था दी। आरोपितों ने ही विभिन्न जगहों पर दर्ज एफआइआर को एक साथ मिलाने और एक ही जगह सुनवाई करने का अनुरोध किया था। दादरी थाने में दर्ज केस के साथ सभी मामलों को मिलाया पीठ ने कहा कि रिट याचिकाओं में आरोपितों की तरह से कई राहत मांगी गई है। जहां तक बाइक बोट घोटाले की बात है तो इसमें विभिन्न पक्षों की तरफ से पेश वकील इस बात पर सहमत हैं कि विभिन्न जगहों पर दर्ज एफआइआर को गौतम बुद्ध नगर जिले के दादरी थाने में दर्ज एफआइआर के साथ क्लब कर दी जाए।
सुनवाई भी एक अदालत में ही होगी
शीर्ष अदालत के पूर्व फैसलों का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि इस मामले में वह संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्ति (न्याय सुनिश्चित करने के लिए कोई भी आदेश करने का अधिकार) का प्रयोग करते हुए सभी एफआइआर को मिलाकर मुख्य एफआइआर संख्या 206/2019 में बदलने का आदेश देती है। इसके परिणाम स्वरूप अब सुनवाई भी एक ही अदालत में होगी। एक याचिकाकर्ता सतिंदर सिंह भसीन की तरफ से पेश वकील विशाल गोसैन ने भी कहा कि एक ही आरोप में दर्ज अलग-अलग एफआइआर को क्लब करने की जरूरत है, ताकि विभिन्न जगहों पर सुनवाई से बचा जा सके।
क्या थी बाइक बोट योजना
इस मामले में आरोपितों ने गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर लिमिटेड (GIPL) नामक कंपनी बनाकर बाइक टैक्सी सेवा योजना शुरू की थी। यह एक मल्टी लेवल मार्केटिंग योजना थी। इसमें लोगों से एक बाइक टैक्सी के लिए 62,100 रपये जमा कराए गए। निवेशकों को एक से ज्यादा बाइक पर निवेश करने की छूट थी। निवेशकों को हर महीने 5,175 रपये सुनिश्चित रिटर्न का वादा किया गया। एक बाइक का किराया 4,590 रूपये प्रति माह तय किया गया।