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मद्रास हाई कोर्ट का अहम फैसला: हिंदू विवाह कानून के तहत किन्नर भी दुल्हन

हिंदू विवाह कानून के तहत एक किन्नर भी दुल्हन है। दुल्हन शब्द सिर्फ महिलाओं के लिए ही इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 24 Apr 2019 03:19 AM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2019 07:10 AM (IST)
मद्रास हाई कोर्ट का अहम फैसला: हिंदू विवाह कानून के तहत किन्नर भी दुल्हन
मद्रास हाई कोर्ट का अहम फैसला: हिंदू विवाह कानून के तहत किन्नर भी दुल्हन

मदुरै, प्रेट्र। एक अहम फैसले में मद्रास हाई कोर्ट की स्थानीय बेंच ने कहा है कि हिंदू विवाह कानून के तहत एक किन्नर भी दुल्हन है। दुल्हन शब्द सिर्फ महिलाओं के लिए ही इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

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जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने एक व्यक्ति और एक महिला किन्नर की याचिका पर यह फैसला दिया। दोनों ने पिछले साल अक्टूबर में तूतीकोरिन में शादी की थी, लेकिन अधिकारियों ने उनके विवाह को पंजीकृत करने से इन्कार कर दिया था।

अदालत ने याचिका को स्वीकार करते हुए पंजीकरण विभाग के अधिकारियों को उनकी शादी के पंजीकरण का आदेश दिया। अदालत ने किन्नरों की परेशानियों पर गंभीर चिंता जताई, जिसके चलते वह घरों में कैद रहने को मजबूर हैं। जस्टिस स्वामीनाथन ने तमिलनाडु सरकार से कहा कि वह ट्रांसजेंडर पैदा हुए शिशुओं और बच्चों की सर्जरी पर प्रतिबंध लगाने का आदेश भी जारी करे।

महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का उल्लेख करते हुए जज ने कहा कि 'दुल्हन' शब्द का एक स्थिर या अपरिवर्तनीय अर्थ नहीं हो सकता और उसमें महिला किन्नर (ट्रांसवूमेन) भी शामिल होगी।

जज ने सरकारी वकील की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि शादी के दिन दुल्हन का मतलब सिर्फ महिला से होता है और दंपत्ति हिंदू विवाह कानून के तहत वैधानिक आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता था, इसलिए रजिस्ट्रार को उनकी शादी को खारिज करने का अधिकार था।

किन्नरों को लिंग तय करने का हक

जज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किन्नरों को खुद अपना लिंग तय करने का अधिकार है। जस्टिस स्वामीनाथन ने कहा कि सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह सतत जागरूकता अभियान चलाए और लोगों को समझाए कि अगर उनके घर ट्रांसजेंडर बच्चा पैदा होता है तो वो ना शर्मिदा हों और ना ही परेशान हों।

जज ने कहा, ' कोई भी ट्रांसजेंडर बच्चा अपने परिवार के साथ रहने का हकदार है। हाशिये पर और उससे आगे भागना एक घातक यात्रा है जो निश्चित रूप से खत्म होनी चाहिए। समय आ गया है जब उन्हें मुख्यधारा में लाया जाए।'

जस्टिस स्वामीनाथन ने कहा कि मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता अंतरजातीय दंपती हैं। इस तरह वो सामाजिक एकता के लिए डॉ. अंबेडकर योजना के तहत इंसेटिव पाने के पात्र हैं।


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