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भारतीय उद्योग पर मंडराने लगा चीन में फैला कोरोना वायरस का असर, देश में कच्चे माल की कमी

कोरोना वायरस की वजह से मुख्य रूप से खिलौने फर्नीचर बिल्डर हार्डवेयर फुटवियर कपड़े मोबाइल मोबाइल उपकरण आयरन और स्टील के उत्पाद प्रभावित होंगे।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 17 Feb 2020 10:10 PM (IST)Updated: Mon, 17 Feb 2020 10:10 PM (IST)
भारतीय उद्योग पर मंडराने लगा चीन में फैला कोरोना वायरस का असर, देश में कच्चे माल की कमी
भारतीय उद्योग पर मंडराने लगा चीन में फैला कोरोना वायरस का असर, देश में कच्चे माल की कमी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चीन में फैले कोरोना वायरस का असर भारतीय उद्योग पर मंडराने लगा है। चीन से कच्चे माल की सप्लाई जल्द ही सुचारू नहीं होने पर कई औद्योगिक क्षेत्रों को कच्चे माल की कमी होने की आशंका है। इससे निर्यात और घरेलू उद्योग दोनों पर विपरीत असर होगा।

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चीन भारतीय वस्तुओं के निर्यात के लिए बड़ा बाजार है

चीन भारतीय वस्तुओं के निर्यात के लिए भी बड़ा बाजार है। कई औद्योगिक संगठनों ने भारत सरकार से उद्योगों को बचाने के लिए वैकल्पिक उपाय करने की मांग की है।

कोरोना फैलने के बाद चीन में पिछले 15 दिनों से औद्योगिक इकाइयां बंद हैं

कोरोना फैलने के बाद चीन में पिछले 15 दिनों से औद्योगिक इकाइयां बंद हैं। इन इकाइयों को चीन ने 17 फरवरी से खोलने का एलान किया था, लेकिन अब आगामी 25 फरवरी से इन्हें खोलने की बात कही जा रही है।

कोरोना वायरस की वजह से भारत के निर्यात में कमी आएगी

यूं तो चीन के मुकाबले भारत के उद्योगों को विकसित करने के लिए यह एक सटीक अवसर के रूप में भी देखा जा रहा है। लेकिन फिलहाल जो हालात हैं उसमें कोरोना ने उद्योग व्यापार को बीमार करना शुरू कर दिया है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशंस (फियो) के अध्यक्ष शरद कुमार सर्राफ कहते हैं - 'अभी यह कहना मुश्किल है कि कोरोना वायरस की वजह से भारत के निर्यात में कितनी कमी आएगी, लेकिन इतना तय है कि इसका असर दिखेगा।

चीन पर निर्भर होने के कारण कच्चे माल की कमी होने लगी

उन्होंने कहा कि जनवरी माह में भी वस्तुओं के निर्यात में पिछले साल के जनवरी के मुकाबले 1.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। इस गिरावट में चीन के कोरोना वायरस का भी हाथ था।' फियो के पूर्व अध्यक्ष एवं चमड़ा निर्यातक रफीक अहमद कहते हैं, चमड़े के उत्पाद के निर्माण के लिए कच्चे माल की कमी होने लगी है और काफी हद तक कच्चे माल के लिए हम चीन पर निर्भर है।

नायलोन जैसे कई आइटम बाजार में नहीं मिल रहे

इंजीनियरिंग गुड्स के निर्यातक एवं फियो के पूर्व अध्यक्ष एससी रल्हन कहते हैं- 'चीन से आने वाले कच्चे माल की कमी दिखने लगी है। नायलोन जैसे कई आइटम बाजार में नहीं मिल रहे हैं।'

व्यापार और लघु उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव

कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया का कहना है कि कोरोना वायरस से देश के व्यापार और लघु उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव दिखना शुरू हो गया है। उन्होंने बताया कि वर्तमान परिस्थितियों में चीन भारत के लिए सबसे बड़ा निर्यातक देश है और आपूर्ति श्रृंखला बनाए रखने के लिए सरकार को तत्काल उपाय करने की जरूरत है। आम तौर पर आयातक सामानों के स्टॉक को दो महीने तक बफर स्टॉक के रूप में रखते हैं और अब स्टॉक ख़त्म होने के कगार पर हैं।

कोरोना वायरस से खिलौने, फर्नीचर, फुटवियर, कपड़े, मोबाइल, घड़ी के उत्पाद होंगे प्रभावित

विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना वायरस की वजह से मुख्य रूप से खिलौने, फर्नीचर, बिल्डर हार्डवेयर, फुटवियर, कपड़े, फर्निशिंग फैब्रिक, एफएमसीजी उत्पाद, गिफ्ट का सामान, घड़ी, मोबाइल, मोबाइल उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक सामान, बिजली के सामान, चिकित्सा और सर्जिकल उपकरणों, सर्जिकल सामान, फार्मास्युटिकल्स, आयरन और स्टील के उत्पाद प्रभावित होंगे।

मेक इन इंडिया को हो सकता है फायदा

चीनी कोरोना वायरस की वजह से भले ही आयातित कच्चे माल की कमी हो रही है, लेकिन इससे कई भारतीय उद्योग को लाभ मिल सकता है। क्लोथ मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया के पदाधिकारी मोहन सदवानी कहते हैं, चीन से आने वाले फैबरिक की सप्लाई प्रभावित हो गई है, अगर यही हाल रहा तो चीनी कच्चे माल से गारमेंट बनाने वाले निर्माता भारत में तैयार होने वाले फैबरिक लेने लगेंगे। हालांकि इससे उनकी लागत अधिक आएगी। गारमेंट में इस्तेमाल होने वाले कई विशेष प्रकार के फैबरिक चीन से आते हैं। अभी भारत में उन विशेष फैबरिक का उत्पादन मामूली होता है, लेकिन चीनी हालत में सुधार नहीं होने पर इस प्रकार के फैबरिक का उत्पादन भारत में भी शुरू हो सकता है।

चीन से आने वाले कच्चे माल भारत में निर्मित कच्चे माल के मुकाबले सस्ते होते हैं

इंजीनियरिंग गुड्स के निर्यातकों ने बताया कि चीन से आने वाले कच्चे माल भारत में निर्मित कच्चे माल के मुकाबले सस्ते होते हैं, लेकिन चीन से माल नहीं आने की स्थिति में उन्हें भारत में निर्मित कच्चे माल से ही काम चलाना होगा, भले ही उसकी कीमत अधिक क्यों न हो। ऐसे में, निश्चित रूप से भारतीय घरेलू उद्योग को फायदा होगा।


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