Move to Jagran APP

मौसम विभाग अगले मानसून सीजन से जारी करेगा मलेरिया के प्रकोप का पूर्वानुमान, जानें पूरी योजना

मौसम विभाग यानी आईएमडी अगले मानसून सीजन से मलेरिया के प्रकोप का पूर्वानुमान जारी करने जा रहा है। उसने नागपुर से मिले मलेरिया के आंकड़ों के अध्ययन से इसकी शुरुआत की है। अगले मानसून सीजन से यह पहल देश के बाकी हिस्‍सों पर भी लागू होगी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 07 Nov 2020 04:51 PM (IST)Updated: Sat, 07 Nov 2020 04:55 PM (IST)
मौसम विभाग अगले मानसून सीजन से जारी करेगा मलेरिया के प्रकोप का पूर्वानुमान, जानें पूरी योजना
मौसम विभाग अगले मानसून सीजन से मलेरिया के प्रकोप का पूर्वानुमान जारी करने जा रहा है।

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। मौसम विभाग यानी आईएमडी (India Meteorological Department, IMD) अगले मानसून सीजन से मलेरिया के प्रकोप का पूर्वानुमान जारी करने जा रहा है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन ने शनिवार को उक्‍त जानकारी देते हुए कहा कि आईएमडी ने सबसे पहले नागपुर से मिले मलेरिया के आंकड़ों के अध्ययन से यह शुरुआत की है। मौसम विभाग की यह पहल देश के अन्य स्थानों पर भी लागू होगी।

loksabha election banner

एम राजीवन ने कहा कि मौसम विभाग की इस पहलकदमी से बड़े पैमाने पर मलेरिया का पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा। भारतीय विज्ञान अकादमी द्वारा आयोजित 'मौसम एवं जलवायु पूर्वानुमान में हुई तरक्‍की' विषय पर संगोष्ठी में राजीवन ने कहा कि सरकार उच्च दक्षता कंप्यूटिंग (High Performance Computing यानी HPC) क्षमता को 10 'पेटाफ्लॉप्स' से बढ़ाकर 40 'पेटाफ्लॉप्स' करने की है। उन्‍होंने बताया कि इससे मौसम पूर्वानुमान में काफी मदद मिलेगी।

एम. राजीवन ने बताया कि मौजूदा वक्‍त में एचपीसी के मामले में भारत का अमेरिका, ब्रिटेन और जापान के बाद स्थान है। मालूम हो कि पिछले हफ्ते पृथ्वी विज्ञान विभाग की ओर से एक रिपोर्ट जारी की गई थी जिसमें बताया गया था कि सरकार की ओर से राष्ट्रीय मानसून मिशन और एचपीसी पर करीब 990 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि आने वाले दिनों में इसका जो लाभ होगा वह निवेश के मुकाबले 50 गुना ज्‍यादा है।

राजीवन ने बताया कि मौसम विभाग ने वेक्टर जनित यानी मच्छरों के प्रकोप से होने वाली बीमारियों का पूर्वानुमान लगाने के बारे में अध्‍ययन किया है। मौसम विभाग ने मलेरिया के बारिश और तामपान से संबंधों का अध्ययन किया है। मौसम विभाग ने सबसे पहले नागपुर से मिले मलेरिया के आंकड़ों का अध्ययन किया है। मौसम विभाग की ओर से यह पहल अन्य स्थानों पर भी लागू होगी जिससे बड़े पैमाने पर मलेरिया का पूर्वानुमान लगाना संभव होगा...

राजीवन ने यह भी बताया कि इसी तकनीक का इस्तेमाल डेंगू और हैजा जैसी मानसून संबंधी बीमारियों के पूर्वानुमान में किया जाएगा। मौसम विभाग मलेरिया का पूर्वानुमान लगाने की सेवा अगले मानसून सीजन से शुरू कर देगा। ज्ञात हो कि विश्‍व मलेरिया रिपोर्ट-2019 के मुताबिक, भारत में दुनिया के करीब 85 फीसद मलेरिया के मामले आते हैं। सर्वाधिक मामले पूर्वी, मध्य भारत एवं उन राज्यों से आते हैं जहां जंगल, पहाड़ और आदिवासी इलाके हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.