Covid-19 treatment: कोरोना के इलाज पर आयुर्वेद और एलोपैथ में छिड़ी जंग, IMA ने लगाया स्वास्थ्य से खिलवाड़ का आरोप
कोरोना के इलाज में आयुर्वेद और योग को आधिकारिक रूप से शामिल करने पर भड़के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन पर हमला बोला इसे देश के साथ धोखा और कोरोना के मरीजों के साथ खिलवाड़ तक करार दे दिया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के इलाज को लेकर आयुर्वेद और एलोपैथ के बीच जंग शुरू हो गई है। इलाज में आयुर्वेद और योग को आधिकारिक रूप से शामिल करने पर भड़के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन पर हमला बोला, इसे देश के साथ धोखा और कोरोना के मरीजों के साथ खिलवाड़ तक करार दे दिया है। जवाब में आयुष मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, तीखे हमले से साफ है कि आयुर्वेद को मिलती मान्यता से आइएमए परेशान हो गया है। अधिकारी के मुताबिक, कोरोना के इलाज के लिए जारी प्रोटोकॉल में कहीं भी एलोपैथी इलाज को चुनौती नहीं दी गई है। यहां तक कि उसमें स्पष्ट कर दिया गया है कि कोरोना के गंभीर रोगियों का इलाज सिर्फ एलोपैथी चिकित्सा वाले अस्पतालों में ही होगा।
आइएमए के आरोपों पर प्रतिक्रिया देने से आयुष मंत्रालय का इन्कार
आयुष मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर आइएमए के आरोपों पर प्रतिक्रिया देने से इन्कार कर दिया है। उसका कहना था कि इससे बेवजह विवाद को बढ़ावा को मिलेगा। स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है। हालांकि आयुष मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आयुर्वेद और योग कोरोना के इलाज में एलोपैथ की सहायक की भूमिका में हैं, उसके प्रतिद्वंद्वी नहीं। इलाज का प्रोटोकॉल तैयार करते समय भी इसका खास ख्याल रखा गया है। इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि आयुर्वेद और योग से इलाज केवल हल्के और मध्यम संक्रमण वाले मरीजों का ही किया जाएगा। प्रोटोकॉल जारी होने के पहले भी हल्के और मध्यम संक्रमण केस में बड़े पैमाने पर आयुर्वेदिक नुस्खों का इस्तेमाल हो रहा है। प्रोटोकॉल में केवल उसमें एकरूपता लाने की कोशिश की गई है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी ने जताया आश्चर्य
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आइएमए के हमले पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि कोरोना का इलाज दुनिया की किसी भी चिकित्सा प्रणाली में नहीं है। पूरी दुनिया में अलग-अलग दवाओं का प्रायोगिक रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे मरीज जल्द स्वस्थ हो सकें और मौतों को रोका जा सके। ऐसे में यदि आयुर्वेद से मरीजों को फायदा मिलने के सबूत मिलें और उसे मान्यता दी गई है तो किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हजारों साल से लोग इन आयुर्वेदिक फॉर्मूलों का इस्तेमाल कर रहे हैं और कोरोना काल के दौरान पूरी दुनिया में इसे स्वीकार किया जा रहा है।