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अवैध हथियारों की स्मगलिंग का एक ऐसा गढ़, जहां हर 100 किमी पर लोग ऐसे देते हैं पुलिस को चकमा

बीते महीनेभर से देशभर से अलग-अलग जगह से पकड़े गए आंतकियों और एजेंटों से जो अवैध हथियार मिले हैं उसमें पांच राज्यों का सीधा कनेक्शन सामने आया है। अवैध हथियार बनाने से लेकर पहुंचाने तक के नेटवर्क की छानबीन में नए नेटवर्क की बात सामने आई है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Sat, 27 Feb 2021 09:31 AM (IST)Updated: Sat, 27 Feb 2021 09:31 AM (IST)
अवैध हथियारों की स्मगलिंग का एक ऐसा गढ़, जहां हर 100 किमी पर लोग ऐसे देते हैं पुलिस को चकमा
अवैध हथियारों की आपूर्ति के गढ़ को लेकर बड़ा खुलासा। (फोटो: दैनिक जागरण/प्रतीकात्मक)

भोपाल, मोहम्मद रफीक। मध्य प्रदेश का निमाड़ क्षेत्र अवैध हथियारों की आपूर्ति का गढ़ बन गया है। खरगोन, धार और बड़वानी जिले के सिकलीगर समुदाय के कई लोग उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र में अवैध हथियार बेच रहे हैं। इन्हें बेचने के लिए इनका सशक्त नेटवर्क है। लंबी दूरी तक हथियार पहुंचाने में अलग-अलग व्यक्तियों को जिम्मेदारी दी जाती है। पुलिस को चकमा देने के लिए एक व्यक्ति हथियार लेकर 100 किमी से ज्यादा का सफर नहीं करता है। अपराध में लिप्त खरगोन जिले के लोगों से जुड़े संपर्को के माध्यम से जानकारी जुटाई तो पता चला कि कोड के आधार पर एक व्यक्ति ने दो दिन अलग-अलग जगह बुलाया, लेकिन मुलाकात नहीं की। जब संतुष्ट हो गए तो एक व्यक्ति ने अपने फोन से बात कराई।

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दूसरी ओर से जो बताया गया, उसके अनुसार उत्तर प्रदेश व दिल्ली के लिए मुरैना और ग्वालियर को ठिकाना बनाया गया है। बड़वानी जिले से महाराष्ट्र में हथियार भेजे जाते हैं। साथ ही, खरगोन जिले की ङिारन्या तहसील के पाल क्षेत्र का भी उपयोग किया जाता है। यहां से महाराष्ट्र की सीमा लग जाती है। हथियार सप्लाई के लिए हर जगह इनके एजेंट रहते हैं। हथियार ले जाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों का रूट चुना जाता है और सार्वजनिक परिवहन के माध्यम से सफर किया जाता है। निश्चित स्थान पर व्यक्ति बदल जाता है। इससे व्यक्ति विशेष की सूचना होने पर भी ये लोग पुलिस के शिकंजे से बच निकलते हैं।

पहले से तैयार नहीं करते हथियार 

सूत्रों के अनुसार, ये लोग कुछ साल पहले तक हथियार बनाकर रखते थे। पुलिस की दबिश में इनसे बड़ी संख्या में हथियार बरामद होते थे लेकिन अब इन्होंने रणनीति बदल ली है। अब हथियारों की कीमत मिलने के बाद इन्हें बनाने का काम शुरू किया जाता है। कच्चे माल के साथ घने जंगलों में भट्टी लगाई जाती है और वहीं से तय स्थान के लिए हथियार रवाना कर दिए जाते हैं। इससे सिर्फ परिवहन के दौरान सीमित हथियार पकड़े जाते हैं।

भंगार से बना देते हैं हथियार 

हथियार भंगार में मिलने वाले लोहे के पाइपों से तैयार किया जाता है।

अवैध हथियारों के निर्माण और बिक्री में लिप्त लोगों पर नजर है। एक वर्ष में खरगोन जिले में ही 38 आरोपितों से 110 हथियार बरामद किए गए हैं।

- नीरज चौरसिया, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, खरगोन, मध्य प्रदेश


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