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आइआइटी स्र्ड़की से अबूझमाड़ का होगा नक्शा तैयार, इससे पहले भी हो चुकी है पहल

आइआइटी स्र्ड़की की मदद से रायपुर के अबूझमाड़ शहर का मैप तैयार किया जाएगा। इसके अलावा रेवेन्यू सर्वे कराया जाएगा।

By Pooja SinghEdited By: Published: Sat, 31 Aug 2019 11:18 AM (IST)Updated: Sat, 31 Aug 2019 11:45 AM (IST)
आइआइटी स्र्ड़की से अबूझमाड़ का होगा नक्शा तैयार, इससे पहले भी हो चुकी है पहल
आइआइटी स्र्ड़की से अबूझमाड़ का होगा नक्शा तैयार, इससे पहले भी हो चुकी है पहल

रायपुर, एजेंसी। बस्तर के अबूझमाड़ क्षेत्र के विकास के लिए राज्य सरकार काफी सजग हो गई है। ये क्षेत्र ऐसा इलाका जहां ना तो राजस्व सर्वे हुआ और ना ही कोई सीमा तय हुई है। अब सरकार ने इस ओर विकास के लिए अच्छा कदम उठाया है। सरकार ने आइआइटी स्र्ड़की को वहां के गांवों का खसरा-नक्शा तैयार करने की  योजना बनाई है। राजस्व विभाग ने शुक्रवार को अबूझमाड़ क्षेत्र में पड़ने वाले तीनों जिलों के कलेक्टरों को इस संबंध मेंआदेश जारी कर दिए हैं। इस संर्दभ में  कलेक्टरों को एक महीने के भीतर यह काम पूरा करके पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के भी निर्दश दे दिए गए हैं।

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कहा जाता है कि अबूधझामड़ ऐसा इलाका जहां नक्सलियों का बोलबाला रहात है। ऐसे में इसको ध्यान में रखते हुए इस क्षेत्र का सर्वे करने का भी आदेश दे दिया है। बूझमाड़ क्षेत्र की पूरी भूमि को राजस्व भूमि के रूप में मानते हुए यह काम करने के लिए कहा गया है।

अबूझमाड़ का नक्शा ऐसे होगा तैयार
इस क्षेत्र के विकास और सुधार के लिए राजस्व विभाग ने सभी कलेक्टरों को निर्देश दे दिए गए हैं। इसके लिए आइआइटी रुड़की की मदद से सभी ग्रामों का नक्शा तैयार किया जाएगा। आइआइटी से प्राप्त नक्शों की प्रति संबंधित ग्राम पंचायत एवं ग्राम के प्रमुख व्यक्तियों को उपलब्ध कराएं और नक्शे में अंकित प्रत्येक खेत के कब्जेदार के संबंध में जानकारी भी प्राप्त करने की बात कही गई है।  इस जानकारी के आधार पर सभी संबंधित ग्राम के लिए  नक्शा तैयार किया जाए। 

इस अनुसार होगा संशोधन
ग्रामवासियों की पूरी जानकारी पर ही जरुरी बदलाव किए जाए जाते हैं। खास बात ये है कि आइआइटकी स्र्ड़की के माध्यम से ही ये बदलाव हो सकता है। संशोधित नक्शे में परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होने पर उसे मसाहती नक्शे के स्र्प में अधिसूचित किया जाएगा। संबंधित ग्राम पंचायत और ग्राम के प्रमुख व्यक्तियों की सहायता से ग्राम की दखल रहित भूमि का ग्रामवासियों के सामुदायिक उपयोग करने की दशा में इसका उल्लेख करते हुए निस्तार पत्रक तैयार किया जाए। 

अबूझमाड़ की अनोखी पहेली
बस्तर संभाग के नारायणपुर जिले से लेकर दंतेवाड़ा, बीजापुर और महाराष्ट्र की सीमा तक 4400 वर्ग किलोमीटर में विस्तृत अबूझमाड़ अपने नाम के अनुरूप अबूझ ही है। यहां करीब 237 गांव हैं लेकिन भूमि की सीमा का निर्धारण कभी नहीं हो पया। घने जंगलों, पहाड़ों, नदी-नालों से घिरे अबूझमाड़ में आज भी आदिम सभ्यता मौजूद है। 

मुगल शासन में अबूझमाड़ के नक्शे के लिए हुई थी पहल
मुगल शासन में अकबर शासन के काल में अबूझगमाड़ के लिए भूमि सर्वेक्षण कराया था लेकिन वह पूरा नहीं कराया जा सके। इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने भी वर्ष 1908 में प्रयास किया था, लेकिन वह असफल रहे। राज्य की पूर्ववर्ती सरकार ने इसरो और आइआइटी रुडकी के सहयोग से हवाई सर्वेक्षण कराया था, लेकिन नक्सली खतरे के कारण जमीन पर सर्वे नहीं हो सका। तीन वर्ष पहले अबूझमाड़ के बाहरी इलाके के गांवों तक ही राजस्व की टीमें पहुंच पाई हैं। इसी बीच विरोध भी शुरू हो गया है।  

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