एनीमिया पर विजय पाना हैं तो लौहतत्व से भरपूर खाद्य पदार्थो को अपने भोजन में करें शामिल
पालक-गाजर आदि कई सस्ती सब्जियां हैं जिनमें भरपूर लौहतत्व होता है। सरकार को इस बारे में लोगों को जागरूक करना चाहिए। केवल और केवल जागरूकता से ही रक्ताल्पता पर अंकुश लगाया जा सकता है और इसके लिए सरकार के स्तर पर ही नहीं समाज के स्तर पर प्रयास होने चाहिए।
नई दिल्ली, जेएनएन। Anemia Symptoms and Causes केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा यूनिसेफ की पहल पर एनीमिया मुक्त भारत (एएमबी) कार्यक्रम के तहत हरियाणा को देश के 29 राज्यों की सूची में पहला स्थान मिलना संतोषजनक है, लेकिन हमें यह खुशफहमी नहीं पालनी चाहिए कि हमने एनीमिया यानी रक्ताल्पता पर विजय पा ली है। वैसे ऐसा कोई प्रमाण पत्र मंत्रालय ने दिया भी नहीं है। केवल यही बताया है कि इसके लिए जो प्रयास हुए, उनमें हरियाणा पहले नंबर पर है।
क्या होता है एनीमिया : एनिमिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें रक्त में लाल रक्त कणिकाओं के नष्ट होने की दर उनके निर्माण की दर से अधिक होती है। नतीजतन शरीर में खून की कमी होती है। रक्त में तीन तरह की कणिकाएं होती हैं। लाल रक्त कणिकाएं, श्वेत रक्त कणिकाएं एवं रक्त विंबाणु यानी प्लेटलेट्स। लाल रक्त कणिकाएं एक प्रोटीन हैं, जो ऑक्सीजन को शोषित करने का कार्य करता है। ये कोशिकाएं कार्बन डाईऑक्साइड को फेफड़ों तक पहुंचा कर उसे शरीर से निकालने का भी काम करती हैं। यदि शरीर में लौह तत्व की कमी हो जाती है तो शरीर में लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण नहीं हो पाता है। इससे शरीर का विकास रुक जाता है और कई तरह की बीमारियां जकड़ लेती हैं।
रेखांकित करने वाली बात यह है कि महिलाएं रक्ताल्पता का अधिक शिकार होती हैं। कुछ वर्ष पहले की बात है। प्रदेश सरकार में उस समय मंत्री रहीं कविता जैन ही रक्ताल्पता का शिकार पाई गई थीं। इससे यह बात स्पष्ट है कि निर्बल वर्ग की महिलाएं और बच्चे ही इसका शिकार नहीं होते, बल्कि संपन्न परिवारों के लोग भी लौहतत्व युक्त भोजन न लेने पर इसका शिकार हो जाते हैं।
यदि हम रक्ताल्पता पर विजय पाना चाहते हैं तो प्रदेश के हर निवासी को जागरूक करना होगा कि लौहतत्व से भरपूर खाद्य पदार्थो को अपने भोजन में शामिल करें। ऐसा भी नहीं कि ये महंगे होते हैं। पालक-गाजर आदि कई सस्ती सब्जियां हैं, जिनमें भरपूर लौहतत्व होता है। सरकार को इस बारे में लोगों को जागरूक करना चाहिए। केवल और केवल जागरूकता से ही रक्ताल्पता पर अंकुश लगाया जा सकता है। और इसके लिए सरकार के स्तर पर ही नहीं, समाज के स्तर पर भी प्रयास होने चाहिए।