मां-बाप का ख्याल न रखा तो होगी छह महीने की जेल, नाती-पोते से भी ले सकेंगे गुजारा भत्ता
बुजुर्गों के भरण-पोषण से जुड़े कानून को सरकार अब और सख्त बनाएगी। इसके तहत बुजुर्ग मां-बाप का ख्याल न रखने पर छह महीने तक की जेल भी काटनी पड़ सकती है।
नई दिल्ली, अरविंद पांडेय। बुजुर्गों के भरण-पोषण से जुड़े कानून को सरकार अब और सख्त बनाएगी। इसके तहत बुजुर्ग मां-बाप का ख्याल न रखने पर छह महीने तक की जेल भी काटनी पड़ सकती है। फिलहाल मौजूदा कानून में सिर्फ तीन महीने की सजा का ही प्रावधान है। इसके साथ ही बुजुर्गों की सुरक्षा का भी पूरा ख्याल रखा गया है। प्रत्येक पुलिस थाने में एएसआई रैंक के एक पुलिस अधिकारी की तैनाती देने का भी प्रावधान किया गया है जो बुजुर्गों की समस्याओं को लेकर नोडल अधिकारी के रूप में काम करेगा।
2050 तक देश में बुजुर्गों की आबादी हो जाएगी करीब 33 करोड़
मौजूदा समय में देश में करीब 11 करोड़ बुजुर्ग व्यक्ति है। हालांकि, 2050 तक देश में इनकी आबादी करीब 33 करोड़ हो जाएगी। इसके साथ ही इनके साथ दुर्व्यवहार और उन्हें छोड़ने के मामले तेजी से देखने को मिल रहे है। यही वजह है कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने लंबे विचार- विमर्श के बाद दस साल से ज्यादा पुराने इस कानून में बदलाव की तैयारी पूरी कर ली है। संसद के 18 नवंबर से शुरु हो रहे शीतकालीन सत्र में सरकार की ओर से लाए जाने वाले प्रस्तावित बिलों में इसे शामिल किया गया है। माता-पिता और बुजुर्गों की देखरेख से जुड़ा मौजूदा कानून 2007 में तैयार किया गया था।
बेटा-बेटी ही नहीं नाती-पोते और दामाद से भी ले सकेंगे गुजारा भत्ता
प्रस्तावित बिल के अनुसार माता-पिता अब सिर्फ अपने जैविक बच्चों से ही गुजारा भत्ता लेने के हकदार नहीं होंगे, बल्कि अब वह नाती-पोते, दामाद या फिर जो संबंधी उनकी संपत्ति का अधिकारी होगा, उन सभी संबंधियों से वह गुजारा भत्ता के लिए दावा कर सकता है। सिर्फ दस हजार तक का ही गुजारा भत्ता हासिल करने की सीमा को हटा दिया गया है, अब हैसियत के हिसाब से गुजारा भत्ता लेने के वह अधिकारी होंगे। यानि बेटे या परिजनों की आय करोड़ों की है, तो गुजारा भत्ता भी उसी आधार पर तय होगा। नए कानून में वृद्धाश्रमों को भी शामिल किया गया है। जिसमें अब उनके अनुकूल सारी सुविधाएं जुटानी जरूरी होगी। खासकर स्वास्थ्य से जुड़ी सुविधाओं को रखना अनिवार्य होगा।