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Kulbhushan Jadhav: मुगालते में पाकिस्तान, फटकार के बाद भी ICJ के फैसले में दिख रही जीत

कुलभूषण जाधव के मसले पर पाकिस्तान का कहना है कि ICJ ने जाधव को रिहा नहीं करने या उसे भारत को सौंपने के बारे में कुछ नहीं कहा है इसलिए उसकी जीत हुई है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Thu, 18 Jul 2019 10:12 PM (IST)Updated: Thu, 18 Jul 2019 10:18 PM (IST)
Kulbhushan Jadhav: मुगालते में पाकिस्तान, फटकार के बाद भी ICJ के फैसले में दिख रही जीत
Kulbhushan Jadhav: मुगालते में पाकिस्तान, फटकार के बाद भी ICJ के फैसले में दिख रही जीत

नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। अद्भुत है पाकिस्तान, वहां की सरकार और वहां की मीडिया। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के खंडपीठ के 16 न्यायाधीशों में से 15 ने भारत के रुख का समर्थन किया और कुलभूषण जाधव को दी गई सजा पर रोक लगाने के साथ ही उस पर पुनर्विचार का आदेश दिया। विएना समझौते की अनदेखी के लिए पाकिस्तान को फटकार लगाई। जाधव को भारतीय राजनयिक की पहुंच की व्यवस्था की।

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लेकिन पाकिस्तान के पीएम, उनके विदेश मंत्री और वहां की मीडिया इसे एक जीत के तौर पर पेश कर रही है। पाकिस्तान के कुछ वरिष्ठ पत्रकारों ने इस बारे में इमरान खान सरकार को आईना दिखाने की कोशिश की है लेकिन उनके खिलाफ भी सोशल मीडिया पर जबरदस्त मुहिम छेड़ दी गई है। दूसरी तरफ, भारत ने पाकिस्तान में जीत के इस जश्न पर तंज कसते हुए कहा है कि, 'ऐसा लगता है कि वहां की सरकार किसी दूसरे फैसले को पढ़ रही है।'

ICJ की तरफ से गुरुवार को कुलभूषण जाधव पर दिए गए फैसले पर सात पन्नों का प्रेस रिलीज किया गया है जो खुद ही पाकिस्तान के झूठ का पर्दाफाश करने के लिए काफी है। इस प्रेस रिलीज में उन तथ्यों का कोई जिक्र ही नहीं है जिस पर पाकिस्तान अपनी जीत करार दे रहा है।

पाकिस्तान का कहना है कि चूंकि ICJ ने जाधव को रिहा नहीं करने या उसे भारत को सौंपने के बारे में कुछ नहीं कहा है इसलिए उसकी जीत हुई है। जबकि इस प्रेस रिलीज से साफ है कि यह पूरा मामला जाधव की रिहाई से संबंधित नहीं था। बल्कि जिस तरह से पाकिस्तान में विएना समझौते की अनदेखी करते हुए जाधव के कानूनी अधिकार का उल्लंघन किया गया है उससे ज्यादा संबंधित है।

भारत ने निश्चित तौर पर कानूनी कार्रवाई के दौरान जाधव की रिहाई की मांग उठाई थी जिसे अमान्य करार दिया गया है। लेकिन यह मूल फैसले का हिस्सा नहीं है। ICJ की खंडपीठ ने जिन आठ मुद्दों पर फैसला सुनाया है वे सभी भारत के पक्ष में है।

मसलन, इसमें पहला फैसला है कि ICJ को इस मामले पर भारत के प्रस्ताव पर सुनवाई करने का अधिकार है। दूसरा, विएना समझौते की धारा 36 के तहत जाधव के कानूनी अधिकार का उल्लंघन हुआ है। तीसरा, भारत को समय पर जाधव की गिरफ्तारी की सूचना नहीं दी गई और उन्हें राजनयिक सुविधा नहीं दी गई।

चौथा, पाकिस्तान को बिना किसी देरी के अब जाधव को राजनयिक पहुंच देनी चाहिए। पांचवा, जाधव को उनकी मर्जी के कानूनी प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। छठा, जाधव को मिली सजा की प्रभावशाली समीक्षा होनी चाहिए। यही नहीं इसमें भारत ने जब मामले को आइसीजे में ले जाने के फैसले का पाकिस्तान ने जिन तीन मामले उठाये थे उसे भी एक सिरे से खारिज कर दिया गया है।

इसके बावजूद पाकिस्तान के हुक्मरान इसे अपनी जीत के तौर पर पेश कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार का कहना है कि पाकिस्तान सरकार अपने अंदरुनी वजहों की वजह से इस तरह से पूरे मामले को ले रही है।

सनद रहे कि बुधवार को ICJ का फैसला आने के बाद जैसे ही पीएम नरेंद्र मोदी ने इसे भारत की जीत बताते हुए सभी को बधाई का संदेश दिया। उसके कुछ ही समय बाद पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने भी इस फैसले को अपनी जीत बता दी।

विदेश मंत्री कुरैशी ने यहां तक कहा कि, 'अगर भारत इसे जीत बता रहा है तो उसे बहुत बधाई हो लेकिन हकीकत कुछ और है।' गुरुवार को पाकिस्तान से प्रकाशित सारे समाचार पत्रों ने इसे अपनी जीत और भारत को मिली शिकस्त के तौर पर पेश किया।


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