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DATA STORY : मानव तस्करी के अपराधियों को मिलेगी कड़ी सजा तभी रुकेंगे मामले

मानव तस्करी में कई तरह के अपराध शामिल हैं। इनमें देह व्यापार के लिए यौन शोषण जबरन श्रम घरेलू दासता जबरन शादी अंगों को हटाना बच्चों का ऑनलाइन यौन शोषण अन्य शामिल हैं। 56 वर्षों से मानव तस्करी की प्रकृति और रूप लगातार बदलते रहे हैं।

By Vineet SharanEdited By: Published: Fri, 15 Oct 2021 09:02 AM (IST)Updated: Fri, 15 Oct 2021 09:07 AM (IST)
DATA STORY : मानव तस्करी के अपराधियों को मिलेगी कड़ी सजा तभी रुकेंगे मामले
दुनिया में मानव तस्करी के मामले बढ़े हैं। 10 पीड़ितों में से पांच वयस्क महिलाएं और दो लड़कियां होती है।

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र/विवेक तिवारी। देश में मानव तस्करी एक बड़ी समस्या बन चुका है। कड़े कानूनों के बीच भी मानव तस्करी में कमी नहीं आ रही है। मानव तस्करी देश में सबसे तेजी से बढ़ता अपराध है। मानव तस्करी में कई तरह के अपराध शामिल हैं। इनमें देह व्यापार के लिए यौन शोषण, जबरन श्रम, घरेलू दासता, जबरन शादी, अंगों को हटाना, बच्चों का ऑनलाइन यौन शोषण अन्य शामिल हैं। 56 वर्षों से मानव तस्करी की प्रकृति और रूप लगातार बदलते रहे हैं।

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राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक साल 2020 में मानव तस्करी के लगभग 1,714 मामले दर्ज किए गए। महाराष्ट्र और तेलंगाना में मानव तस्‍करी के सर्वाधिक 184-184 केस दर्ज किए गए। ऐसे आपराधिक मामलों में आंध्र प्रदेश तीसरे स्‍थान पर रहा। आंध्र प्रदेश में 171, केरल में 166, झारखंड में 140 और राजस्थान में 128 मामले दर्ज किए गए। एनसीआर के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि मानव तस्करी के मामलों में दोषसिद्धि की दर महज 10.6 फीसद है।

पूरी दुनिया में आतंकवाद और नशीली दवाओं के अवैध कारोबार के बाद मानव तस्करी तीसरा सबसे बड़ा संगठित अपराध है। एक अनुमान के मुताबिक, पूरी दुनिया में मानव तस्करी का कुल कारोबार 150.2 बिलियन डॉलर से अधिक का है।

यूनडॉक की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में मानव तस्करी के मामले बढ़े हैं। रिपोर्ट के अनुसार 10 पीड़ितों में से पांच वयस्क महिलाएं और दो लड़कियां होती है। अफ्रीका, साउथ एशिया और मध्य अमेरिका में आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के बच्चे अधिक निशाना बनते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और समाजसेवी संजय कुमार कहते हैं कि अनैतिक तस्करी निवारण अधिनियम के तहत व्यवसायिक यौन शोषण दंडनीय है। इसकी सजा सात साल से लेकर आजीवन कारावास तक की है। भारत में बंधुआ और जबरन मजदूरी रोकने के लिए, बंधुआ मजदूर उन्मूलन अधिनियम, बाल श्रम अधिनियम और किशोर न्याय अधिनियम भी लागू हैं। इनमें सख्त सजा का प्रावधान है, लेकिन मिलीभगत की वजह से आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं हो पाती है। ऐसे में लोगों को भी सजगता बढ़ानी होगी। कानून इतने कड़े करने होंगे कि अपराधियों में इसका खौफ रहे। 


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