देश में वैश्विक महामारी कोविड-19 के चलते आइवीएफ तकनीक से इलाज कराने वालों में भारी कमी
मां-बाप बनने के इच्छुक बहुत से दंपतियों को कोरोना संक्रामक बीमारी के कारण अपनी इस इच्छा को त्यागना पड़ रहा है।
नई दिल्ली, एएनआइ। वैश्विक महामारी कोविड-19 ने भारत में विट्रो फर्टीलाइजेशन (आइवीएफ) उपचार करा रहे दंपतियों या इसके इच्छुक लोगों के लिए भी संकट खड़ा कर दिया है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि देश में हर साल 30 लाख लोग बांझपन का इलाज करा कर संतान को जन्म देने की चाह रखते हैं, लेकिन इस साल केवल पांच लाख लोग ही आइवीएफ/इंट्रॉटेरीन इनसेमिनेशन (आइयूआइ) इस प्रक्रिया से गुजर रहे हैं।
कोरोना के चलते मां-बाप बनने के इच्छुक दंपतियों के लिए संकट
विशेषज्ञों का कहना है कि मां-बाप बनने के इच्छुक बहुत से दंपतियों को इस संक्रामक बीमारी के कारण अपनी इस इच्छा को त्यागना पड़ रहा है। जबकि कई अन्य लोगों का इलाज पूरा नहीं हो सका।
कोविड-19 के समय में प्रजनन से जुड़े स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता लाने की जरूरत
भारत सीरम और वैक्सीन लिमिटेड के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर संजीव नवागुल ने कहा कि भारत में कोविड-19 के समय में प्रजनन से जुड़े स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता लाने की जरूरत है।
दंपतियों को इलाज के लिए आगे आना चाहिए
मेडिकवर फर्टिलेटी की क्लीनिकल डायरेक्टर डॉ.श्वेता गुप्ता ने बताया कि जिन दंपतियों को इलाज की जरूरत है, उन्हें अब आगे आना चाहिए। कोविड-19 के प्रति सारी सावधानियों के साथ ही इलाज किया जाता है।