India China Border News: हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद, 43 चीनी सैनिक भी मारे गए व घायल हुए
India China Border News गलवन घाटी में सोमवार रात दोनों देशों की सेनाओं के बीच कई घंटे तक पत्थरबाजी और लाठी-डंडे से जबरदस्त झड़प हुई।
नई दिल्ली, संजय मिश्र। India China Border News: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अतिक्रमण को लेकर भारत और चीन की सेनाओं के बीच जारी तनातनी ने सोमवार की रात हिंसक झड़प का गंभीर रूप ले लिया। आधिकारिक रूप से इस झड़प में भारतीय सेना के एक कर्नल और दो जवानों सहित तीन लोग शहीद हुए हैं। हालांकि देर शाम मिली जानकारी के अनुसार इस घटना में भारतीय सेना के 20 सैन्य कर्मी शहीद हुए हैं। शहीद भारतीय सैनिकों की संख्या बढ़ भी सकती है। जवाबी हमले में चीन के भी 43 सैनिकों के मारे जाने की खबर है। खास बात यह है कि इस झड़प में दोनों ओर से एक भी गोली नहीं चली।
भारतीय सेना ने देर शाम इसकी पुष्टि की। भारतीय सेना ने एक बयान में बताया कि 15-16 जून की दरम्यानी रात गलवन इलाके में भारतीय और चीनी सैनिकों में हिंसक झड़प हुई थी। इसमें 17 भारतीय सैनिक बुरी तरह घायल हो गए थे और बाद में उनकी मौत हो गई। उस इलाके में तापमान शून्य से नीचे है। इस तरह इस झड़प में भारत के कुल 20 सैनिक मारे गए।
घटना के बाद देश में काफी सरगर्मी बढ़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देर शाम सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट कमेटी की बैठक बुलाकर हालात का जायजा लिया। इस बैठक में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस.जयशंकर भी मौजूद रहे।
गलवन घाटी में चीनी सैनिकों की सहमति के मुद्दे से पलटने के बाद दोनों देशों की सेनाओं के बीच तीन घंटे तक पत्थरबाजी और लाठी-डंडे से जबरदस्त झड़प हुई। एलएसी पर हुई इस हैरतअंगेज घटना में भारत के दर्जन भर से अधिक सैनिक गंभीर रूप से घायल हुए हैं। शहीद और घायल हुए सैनिक बिहारी रेंजीमेंट के हैं। तेलंगाना निवासी शहीद कर्नल संतोष बाबू भारतीय टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे थे। एलएसी पर हुई इस हैरतअंगेज घटना में भारत के दर्जन भर से अधिक सैनिक गंभीर रुप से घायल हैं। चीन ने अपने मारे गए सैनिकों की संख्या को लेकर अब भी चुप्पी साध रखी है। सूत्रों के अनुसार अपने हताहत सैनिकों को ले जाने के लिए चीन के के हेलीकॉप्टर एलएसी पर मंडराते रहे।
चीन का दिया जाएगा माकूल जवाब
भारतीय सेना ने यह भी कहा कि गलवन में हुई इस झड़प और एलएसी की मौजूदा परिस्थिति पर दोनों देशों के सैन्य अधिकारी आपसी बातचीत कर रहे हैं ताकि आमने-सामने के तनाव का समाधान निकाला जा सके। भारत ने चीन के आरोप खारिज किए इस घटना के लिए भारतीय सैनिकों पर एलएसी का अतिक्रमण करने के चीन के आरोपों को खारिज करते हुए भारत ने साफ कर दिया कि तनाव घटाने के लिए वह बातचीत को राजी है मगर चीन की ऐसी हरकतों का माकूल जवाब दिया जाएगा। इस रुख के जरिये भारत ने चीन को एक तरह से साफ संदेश दे दिया है कि सैन्य बल की ताकत के सहारे सीमा विवाद को नये सिरे से लिखने की चीन की चालबाजी उसे कतई स्वीकार नहीं होगी।
भारत-चीन में सीमा विवाद पर साढ़े चार दशक बाद पहली बार खूनी संघर्ष
भारत और चीन के बीच हिंसक झड़प की यह घटना इस लिहाज से असाधारण है क्योंकि 45 सालों बाद पहली बार सीमा विवाद में एलएसी पर ऐसी घटना हुई है। भारतीय सेना की ओर से दिन में गलवन घाटी में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ हुई झड़प में भारत के एक सैन्य अफसर और दो जवानों की शहादत की बात कही गई। साथ ही भारतीय सेना ने चीनी पक्ष के भी इसमें हताहत होने की बात कही।
भारतीय सेना ने यह भी कहा कि गलवन में हुई इस झड़प और एलएसी की मौजूदा परिस्थिति पर दोनों देशों के सैन्य अधिकारी आपसी बातचीत कर रहे हैं ताकि आमने-सामने के तनाव का समाधान निकाला जा सके। सैन्य सूत्रों के अनुसार चीनी पक्ष के 43 सैनिकों के ढेर होने की बात कही जा रही है। हालांकि इस बात की किसी भी पक्ष ने पुष्टि नहीं की है। चीन ने चुप्पी साधी चीन ने मारे गए अपने सैनिकों की संख्या को लेकर अब तक चुप्पी साध रखी है। चीन सरकार के मुख पत्र ग्लोबल टाइम्स के मुख्य संपादक ने अपने सैनिकों के मारे जाने की पुष्टि तो की मगर संख्या की जानकारी नहीं दी। बाद में संपादक ने ट्वीट कर के कहा कि दोनों देशों के बीच सद्भावना बनाए रखने के लिए वे हताहतों की संख्या नहीं बता रहे हैं।
सोमवार रात को ऐसे हुआ घटनाक्रम
सैन्य सूत्रों के अनुसार सोमवार रात गलवन घाटी में झड़प की शुरुआत चीनी सैनिकों के रुख बदलने से हुई। मोर्चे पर दोनों सेनाओं के बीच बनी सहमति के अनुरूप चीनी सैनिक गलवन घाटी से निकलने पर राजी हो गए। लेकिन कुछ ही देर बाद पलट कर भारतीय सैनिकों पर पत्थरों से हमला करने लगे। चीनी सैनिक संख्या में काफी अधिक थे। अचानक हुए हमले में भारतीय बटालियन की कमान संभाल रहे कर्नल संतोष बाबू और दो जवान गंभीर रूप से जख्मी होकर गिर गए।
साथ में रहे भारतीय सैनिकों ने इसी अंदाज में जवाबी प्रहार करते हुए चीनी सैनिकों पर धावा बोल दिया। पत्थरबाजी और लाठी-डंडे के अलावा दोनों देशों के सैनिक हाथ-पैर से भी कई घंटों तक एक दूसरे से संघर्ष करते रहे। देर रात किसी तरह यह लड़ाई थमी। इस दौरान तापमान शून्य से नीचे पहुंच गया था। ठंड से कई घायल सैनिकों की हालत बिगड़ गई। भारतीय सेना की ओर से गलवन घाटी में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ हुई झड़प में पहले एक कर्नल और दो जवानों के शहीद होने की जानकारी दी गई थी। बाद में 17 घायल जवानों की मृत्यु होने पर 20 जवानों के शहीद होने की पुष्टि की गई।
चालबाजी में जुटा है चीन
गलवन घाटी में चीन की इस हरकत के पीछे एलएसी पार कर इस इलाके में कब्जा करने की उसकी नीयत रही, जिसे भारतीय सैनिकों ने नाकाम कर दिया। दरअसल, गलवन घाटी 1962 से ही भारत के आधिपत्य में है जिसे चीन भी मानता रहा है। लेकिन अब चीन गलवन घाटी को भी एलएएसी के विवाद में लाना की चालबाजी में जुटा है।
लद्दाख सीमा पर पांच मई को शुरू हुआ चीनी अतिक्रमण
बीते पांच मई से लद्दाख सीमा चीनी अतिक्रमण से पैदा हुए गतिरोध को दूर करने के लिए वार्ता चल रही है, जिसमें 6 जून को दोनों देशों के शीर्ष कमांडर स्तर तक हुई वार्ता काफी अहम रही थी। इसमें बातचीत से गतिरोध का हल निकालने की सहमति बनी थी मगर गलवन घाटी में चीन ने इस सहमति को तोड़ा है। इतना ही नहीं चीनी विदेश मंत्री ने तो उलटे भारत पर एलएसी का अतिक्रमण का आरोप जड़ दिया, जिसे भारतीय विदेश मंत्रालय ने सिरे से खारिज कर दिया।
चीन कर रहा बातचीत के साथ सीमा पर हथियारों का जमावड़ा
एलएसी पर चीन की चालबाजी को लेकर भारत इसलिए भी सतर्क है कि एक ओर वह वार्ता की बात कर रहा तो दूसरी ओर सीमा पर अपने इलाके में टैंकों, हथियारों के साथ बड़ी संख्या में सैनिकों का जमावाड़ा कर चुका है। भारत ने भी इसके जवाब में एलएसी पर अपने सैनिकों और हथियारों की तैनाती कुछ उसी अंदाज में की है और जाहिर तौर पर चीन की बौखलाहट की एक बड़ी वजह यह भी मानी जा रही है।
हालांकि सीमा पर तनाव के गंभीर होने के बाद नई दिल्ली से लेकर बीजिंग तक दोनों तरफ से कूटनीतिक वार्ताओं के जरिये हल निकालने की पहल तेज हो गई। चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिस्त्री ने वहां के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से बातचीत की तो शाम को चीन के उप विदेशमंत्री से भी उनकी कूटनीतिक समाधान को लेकर मंत्रणा हुई और दोनों देशों की ओर से तनाव घटाने के शुरूआती इरादों के संकेत भी दिए गए।