लॉकडाउन की लक्ष्मण रेखा में नशामुक्ति का मौका, मिलेंगे ये फायदे; पढ़ें एक्सपर्ट की सलाह
वेलनेस कंसल्टेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर मिलन सिन्हा ने बताया कि सिगरेट गुटखा आदि के सेवन से छुटकारा पाने पर खासकर गले के कैंसर से बचे रहना आसान हो जाता है।
नई दिल्ली। संप्रति भारत सहित पूरा विश्व गंभीर दौर से गुजर रहा है। आर्थिक और सामाजिक सहित अनेक क्षेत्रों में कई परिवर्तनों से हम सभी रूबरू हैं। आने वाले दिनों में होने वाले अनेक छोटे-बड़े बदलावों के स्पष्ट संकेत भी मिलने लगे हैं। अपने देश में लॉकडाउन के मौजूदा समय में कई तरह की समस्याओं और संकटों के बीच हमें अनेक नए व सुखद अनुभवों से गुजरने का मौका भी मिल रहा है, जो कदाचित मुमकिन नहीं था।
पर्यावरण की बात करें तो वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण में अकल्पनीय कमी आई है। इससे पर्यावरण की सेहत अद्भुत रूप से अच्छी हुई है। इस समय तीन सौ किलोमीटर दूर से भी पर्वत श्रंखला का साफ दिखाई देना, गंगा, यमुना और अन्य नदियों में जल की गुणवत्ता में अप्रत्याशित सुधार होना या पक्षियों-तितलियों का बहुत बड़ी संख्या में उन्मुक्त विचरण करना इसके गवाह हैं। इन सबका समेकित सकारात्मक प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर गहरे रूप से पड़ना स्वाभाविक है। इस लॉकडाउन के दौरान नियमित नशा करने वाले लोगों की जीवनशैली में आए अच्छे बदलाव पर गौर करना भी जरूरी है।
बीमारियों का है घर: आंकड़े बताते हैं कि आम तौर पर सिगरेट, गुटखा, तंबाकू, भांग, गांजा, शराब, चरस, अफीम, कोकीन जैसे नशीले पदार्थों की लत में पड़े लाखों लोगों में से बड़ी संख्या में लोग फेफड़ों, हृदय, लिवर, किडनी, ब्रेन, त्वचा के रोगों के शिकार होते हैं। कैंसर पीड़ित लोगों में इनकी संख्या सबसे ज्यादा है। हां, घर में पौष्टिक आहार उपलब्ध होने पर भी बाहर का जंक, बासी और अस्वच्छ खाना खाने की आदत भी एक नशे के समान ही है। इस लत के कारण अपने बॉडी सिस्टम को प्रदूषित करते रहने और फिर बीमार पड़ने वाले लोगों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है।
अशांति और तनाव का कारण: दरअसल, नशा करने वालों के स्वजन भी इससे परेशान रहते हैं और उनको इसकी लत से दूर रहने को कहते हैं। कई परिवारों में लड़ाई-झगड़े, अशांति और तनाव का एक बड़ा कारण है नशा। हां, यह भी सही है कि नशे के शिकार कई लोग खुद इसे छोड़ना चाहते हैं। तभी तो देशभर के नशामुक्ति केंद्रों और डॉक्टरों के पास ऐसे लोगों की भीड़ लगी रहती है लेकिन आंकड़े बताते हैं कि नशा छोड़ने वाले लोगों की संख्या नशे के कारण विभिन्न रोगों से मरनेवालों की संख्या से अभी भी कम है। यह बेहद दुखद स्थिति है।
दबाव से संभव हुआ बदलाव: लॉकडाउन के कारण बाध्यतावश ही सही, नशा करने वाले अधिकांश लोगों को इसकी आपूर्ति लगभग बंद हो गई। जिन्हें दिनभर में कमसे-कम चार-पांच सिगरेट या हर घंटे-दो घंटे में गुटखा का छोटा पैकेट आदि का सेवन किए बगैर दिन काटना और रात में सोना मुश्किल होता था, अब चाहे-अनचाहे उनमें से ज्यादातर लोगों को इसके बिना जीने की आदत होने लगी है। गौर करने वाली बात यह है कि ये सब बिना किसी नशामुक्ति केंद्र या डॉक्टर के पास गए बिना ही घरवालों के अतिशय दबाव के कारण संभव हो पाया है। यह सकारात्मक एवं सुखद बदलाव है। यकीनन, इसका बहुआयामी असर उनकी आर्थिक स्थिति के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।
निश्चय कर लें अटल: अब एक बहुत अहम बात यह है कि जो लोग नशे की लत को इस बीच छोड़ चुके हैं, वे यकीनन संकल्प शक्ति के तो धनी हैं ही तथापि इसे और मजबूत करने की जरूरत है, जिससे किसी भी कारण से वे पुन: इसके शिकंजे में न आ जाएं। बस मन को बराबर यह समझाते रहना है कि जिस प्रकार अपनी लत को लॉकडाउन के प्रभाव से ही सही एक बार छोड़ दिया तो बस छोड़ दिया। अब उससे कोई वास्ता नहीं रखना है, चाहे एकाध बार भी मन उसकी तरफ भागने की चेष्टा करे या दोस्त-मित्र इसके लिए कितना भी प्रलोभित या प्रेरित करें। लॉकडाउन में कुछ छूट के बाद नशे की ये वस्तुएं पूर्ववत आसानी से उपलब्ध हो सकती हैं, पर खुद में नियंत्रण रखते हुए अपने निश्चय पर अटल रहें। निश्चय ही ऐसे समय में घर के लोगों और अच्छे दोस्तों की भूमिका बहुत अहम साबित होती है।
कुछ पल बिताएं सेहत के नाम: रात में जल्दी सोना, सुबह जल्दी उठना हमेशा से ही स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना गया है। अच्छी नींद से स्वास्थ्य संबंधी बहुत सारी समस्याओं का समाधान स्वत: हो जाता है। सुबह जल्दी उठकर गुनगुना नींबू पानी या तुलसी-नीम-गिलोय के जूस आदि के सेवन से बहुत लाभ मिलता है। नाश्ता करने से पहले सुबह खुले परिवेश में निष्ठापूर्वक व्यायाम, योग और ध्यान में आधे घंटे का समय बिताना तन-मन दोनों को रिचार्ज और रिफ्रेश कर देता है। इसके बाद आराम से पूरा स्वाद लेकर पौष्टिक नाश्ता करें। इस समय नियमित रूप से घर का ताजा और शुद्ध खाना खाने से अनायास ही बहुत लाभ मिल जाता है। कोशिश करें कि खाली समय में पेंटिंग, कुकिंग, रीडिंग, ब्लॉग या डायरी राइटिंग आदि किसी हॉबी में खळ्द को व्यस्त करें।
तो मिलेंगे ये फायदे
जब आप दुव्र्यसनों का परित्याग कर देते हैं तो स्वास्थ्य संबंधी इन पांच बड़े फायदों को हासिल कर सकते हैं:
1. नशा छोड़ने पर भोजन का सही स्वाद मिलता है और इसमें शामिल पौष्टिक तत्वों का सही पाचन और अवशोषण होता है। इससे शरीर के विभिन्न अंग सक्रिय रहते हैं, जिससे रक्तसंचार सुव्यवस्थित रहता है। इससे इम्यून सिस्टम और मेटाबॉलिज्म में सुधार होने से किसी बीमारी के संक्रमण से बचने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है।
2. तंबाकू उत्पादों के सेवन से मुक्त होने वाले लोगों को टीबी, हाई बीपी, न्यूरो प्रॉब्लम और हृदय रोग के अलावा बड़े स्तर पर कैंसर से बचे रहने में मदद मिलती है। अगर इन रोगों में से किसी एक या ज्यादा रोग से पीड़ित हो चुके हैं तो उचित चिकित्सा द्वारा जल्दी ठीक होने की संभावना भी बढ़ जाती है। इससे श्वसन तंत्र में भी काफी सुधार होता है।
3. सिगरेट, गुटखा, खैनी, जर्दा आदि के सेवन से छुटकारा पाने पर खासकर मुंह और गले के कैंसर से बचे रहना आसान हो जाता है और पाचन तंत्र ठीक से काम करने लगता है।
4. शराब का सेवन करने वाले लोग इससे मुक्तहोने पर लिवर, किडनी और हृदय की बीमारी के अलावा मधुमेह में गुणात्मक सुधार के भागीदार बनते हैं। इससे उनकी संकल्पशक्ति में बहुत सुधार होता है, जिसका लाभ उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। ऐसे में कई छोटी-बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं आसानी से दूर होने लगती हैं।
5. चरस, अफीम, कोकीन और हेरोइन की लत से मुक्त होने के बहुत लाभ हैं। इन नशीली वस्तुओं के उपयोग से गंभीर अवसाद और पागलपन की अवस्था में पहुंचे लोगों के लिए भी आगे एक सेहतमंद जीवन जीने के रास्ते खुल जाते हैं, बेशक समय थोड़ा ज्यादा लगता हैं।
खुद पर रखें पूरा भरोसा: नशे की आदत से बाहर निकलने के दौर में ही अपनी जीवनशैली में सकारात्मक सक्रियताओं को शामिल करने की प्रक्रिया शुरू करना जरूरी होता है, जिससे बुरी आदत से दूर जाना सुगम होता है और यह महसूस भी होता है। कुछ दिनों तक नशे से दूर जाने का प्रभाव शरीर में दिखाई देगा मगर यह आपके दृढ़ निश्चय, सेहतमंद दिनचर्या और स्वजनों के सपोर्ट से शीघ्र समाप्त हो जाएगा। अपने दृढ़ निश्चय पर पूरा भरोसा रखें। लॉकडाउन के इस सकरात्मक परिणाम को आप ताउम्र याद रखेंगे और इससे फायदा भी महसूस करेंगे।