नायकू के बाद अब कितने दिन बची है कश्मीर में हिजबुल के नए कमांडर मीर उर्फ गाजी की जिंदगी!
हिजबुल के पोस्टर ब्वॉय बने बुरहान वानी के बाद सेना ने आतंकियों को खत्म करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। हिजबुल का कमांडर बनने के दो वर्ष के अंदर इन्हें खत्म कर दिया गया।
नई दिल्ली (जेएनएन)। कश्मीर में हिजबुल के नए कमांडर गाजी हैदर की तैनाती के साथ ही उसकी मौत के फरमान पर भी मुहर लग गई है। गाजी यूं तो पहले से ही आतंकियों की ए श्रेणी में शामिल है लेकिन अब सेना की हिट लिस्ट में उसका नाम सबसे ऊपर आ गया है। उसकी जिंदगी पर आखिरी दस्तखत श्रीनगर में सेना की 15 कॉर्प करेगी, जिसने इससे पहले उसके साथियों को हमेशा के लिए सुलाने का काम किया है। लिहाज ये कहना गलत नहीं होगा कि अब उसकी जिंदगी के दिन बेहद कम बचे हैं। ये कहना इसलिए भी आसान है क्योंकि 2016 से हिजबुल ने मासूमों के खून से हाथ रंगने के लिए जितने भी कमांडर तैयार किए उन्हें महज एक से दो वर्ष के अंदर सेना ने मार गिराया।
बुरहान वानी वर्ष 2016 तक हिजबुल का पोस्टर ब्वॉय था। 8 जुलाई 2016 को सेना ने एक ऑपरेशन के दौरान उसे उसके सात साथियों समेत मार गिराया था। वो त्राल का रहने वाला था। उसके सिर पर 10 लाख का इनाम घोषित था।
इसके बाद हिजबुल की कमान जाकिर राशिद भट उर्फ जाकिर मूसा को सौंपी गई थी। मूसा ने हिजबुल से अलग होकर 2017 में अंसार गजावल अल हिंद के नाम से अपना संगठन बनाया था। मूसा काफी समय से सेना के निशाने पर था लेकिन उसको मारने में सेना को 23 मई 2019 को कामयाबी हासिल हुई थी। मूसा इंजीनियरिंग का छात्र था, लेकिन अपनी पढ़ाई को छोड़ वो आतंकी की राह पर चल पड़ा था। ये भी त्राल का ही रहने वाला था। यहां से ही उसने 12वीं तक की पढ़ाई भी पूरी की थी। इसके बाद चंडीगढ़ में उसने इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की थी लेकिन 2013 में वो हिजबुल से जुड़ गया। मूसा को बुरहान वानी के बाद हिजबुल का कमांडर बनाया गया था।
उसने हुर्रियत नेता को वर्ष 2017 में ये कहते हुए धमकी दी थी कि कश्मीर राजनीतिक नहीं धार्मिक मसला है। उसने हुर्रियत नेता का सिर कलम करने की धमकी दी थी। वो कश्मीर में इस्लामिक कानून का पक्षधर था और इसी मुद्दे पर अलगाव होने के बाद उसने हिजबुल से नाता तोड़कर अपना अलग संगठन बना लिया था। आतंकी अबु दुजाना और आरिफ लहरी की मौत के बाद उसने एक बयान जारी कर कहा था कि इन दोनों ने ही अल कायदा से नाता जोड़ा था और इनकी मदद से ही उसने अपना संगठन बनाया था। 23 मई 2019 को 11 घंटे की लंबी लड़ाई के बाद सेना ने त्राल में ही इसको मार गिराया था।
मूसा के अलग होने के बाद कश्मीर में खून की होली खेलने के लिए हिजबुल ने सब्जार भट को कमांडर बनाया था। उसकी जीवन लीला पर सेना ने उसके कमांडर बनने के साथ ही आखिरी हस्ताक्षर कर दिए थे। इसका नतीजा हुआ कि महज एक साल के अंदर मई 2017 में सेना ने श्रीनगर से 40 किमी दूर त्राल में एक ऑपरेशन के दौरान मार गिराया था। भट भी यहीं का रहने वाला था और एक ड्रॉपआउट स्टूडेंट था, जो बेहद कम उम्र में ही आतंकी की राह पर चल निकला था। ये बुरहान वानी का बेहद करीबी था और अप्रैल 2015 में हिजबुल में शामिल हुआ था। इसके बाद इसने पंचायत सदस्यों और सेना के ऊपर किए गए कई हमलों में शामिल रहा था। जनवरी 2016 में हुए उधमपुर हमले में भी ये शामिल था।
रियाज नायकू उर्फ रियाज अहमद नायकू उर्फ मोहम्मद बिन कासिम उर्फ जुबैर A++ केटेगिरी का आतंकी था और सेना की हिट लिस्ट में शामिल था। अवंतीपुरा का रहने वाला नायकू एक मैथ्स टीचर था लेकिन जून 2012 में वो आतंकी की राह पर चल निकला था। वो मोबाइल का इस्तेमाल बेहद कम ही करता था और अपना संदेश भेजने के लिए लोगों का इस्तेमाल करता था। 6 मई 2020 को सेना ने इसको भी मार गिराया। ये लिस्ट बताती है कि हिजबुल का कोई भी कमांडर ज्यादा समय का मेहमान नहीं रहा है। इसी सूची में अब अगला नाम गाजी हैदर का जुड़ गया है जिसको खत्म करने की जिम्मेदारी सेना पर है।
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