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स्वैप मैच के बाद अस्‍पताल में बन गई जोड़‍िया, हो गया किडनी का इंतजाम

अस्पताल ने इन चारों परिवारों से चर्चा की और स्वैप मैच का सुझाव दिया। रजामंदी के बाद ही स्वैप मैच की प्रक्रिया अपनाई गई।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sat, 30 Jun 2018 12:55 PM (IST)Updated: Sat, 30 Jun 2018 01:03 PM (IST)
स्वैप मैच के बाद अस्‍पताल में बन गई जोड़‍िया, हो गया किडनी का इंतजाम
स्वैप मैच के बाद अस्‍पताल में बन गई जोड़‍िया, हो गया किडनी का इंतजाम

नई दिल्‍ली [ जेएनएन ] । देश के तीन अलग-अलग राज्यों के चार किडनी रोगियों का उपचार अहमदाबाद सिविल अस्पताल में चल रहा है । परिजन की किडनी मैच नहीं हो रही थीं, इसलिए डायलिसिस के लिए मजबूर थे। ऐसे में अस्पताल ने स्वैप मैच कराने का निर्णय लिया, जिससे सभी रोगियों के लिए किडनी का इंतजाम हो गया।

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खून का कोई रिश्ता नहीं होने के बाद भी अस्पताल में किडनी से जोड़ियां बन गईं। चारों परिवार अपनों का जीवन बचाने के लिए एक माह में दो राज्यों (राजस्थान, मप्र) से अनुमति हासिल कर चुके हैं। अब आखिरी एनओसी गुजरात से मिलने के बाद 10 जुलाई के आसपास सभी का किडनी ट्रांसप्लांट अहमदाबाद में होगा।

किडनी ट्रांसप्लांट का क्या है नियम

जिस राज्य का मरीज है उसे अपने राज्य में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए अधिकृत अस्पताल की कमेटी से अनुमति लेनी होती है। ग्वालियर (मप्र) की मरीज मधु जैन ने ग्वालियर के गजाराजा मेडिकल कॉलेज से अनुमति ली है। इसके लिए जरूरी औपचारिकताओं की वीडियोग्राफी भी कराई गई। दस्तावेजों का अध्ययन करने के साथ वंशावली भी देखी गई। इसके बाद शुक्रवार को कमेटी ने ट्रांसप्लांट की अनुमति दे दी।

क्यों आई दिक्कतें

मरीजों के परिजन की किडनी का मिलान जब अस्पताल में किया गया तो एंटीबॉडी मैच नहीं कर रही थीं। किसी का ब्लड ग्रुप समान नहीं था तो किसी के मामले में शारीरिक समस्या थी। अस्पताल ने इन चारों परिवारों से चर्चा की और स्वैप मैच का सुझाव दिया। रजामंदी के बाद ही स्वैप मैच की प्रक्रिया अपनाई गई।

एनओसी की लंबी प्रक्रिया ने थकाया

मई में स्वैप मैच की प्रक्रिया शुरू हुई थी, इसके बाद एनओसी लेने के लिए भागदौड़ शुरू हुई। ज्योति राठौर व पुत्र दीपक राठौर निवासी उच्चैन को इंदौर मेडिकल कॉलेज से एनओसी लेना पड़ी, जबकि मधु जैन व उनके पति को ग्वालियर से। इसी प्रकार राजस्थान निवासी शारदा देवी और बेटे प्रदीप जांगिड़ को राजस्थान मेडिकल कॉलेज से एनओसी लेना पड़ी। श्यामानंद गुप्ता व पत्नी हेमंता गुप्ता को गुजरात मेडिकल कॉलेज से एनओसी हासिल करना है।

किडनी ने कैसे बना दी जोड़ी 

ग्वालियर की मधु जैन (45) को उज्जैन की ज्योति राठौर किडनी दान कर रही हैं। उज्जैन की ज्योति राठौर के बेटे दीपक राठौर (23) को गुजरात के श्यामानंद गुप्ता की पत्नी हेमंता देवी (48) किडनी दे रही हैं। गुजरात की हेमंता देवी के पति श्यामानंद गुप्ता (52) को राजस्थान के प्रदीप जांगिड़ (26)की मां शारदा देवी (50) किडनी दे रही हैं। राजस्थान की शारदा देवी के बेटे प्रदीप जांगिड़ को ग्वालियर की मधु जैन के पति मुकेश जैन किडनी दान कर रहे हैं।

ग्‍वालियार के अश्विनी जैन का कहना है कि मेरी माताजी मधु जैन ढाई साल से डायलिसिस पर हैं। उनका अहमदाबाद के अस्पताल में उपचार चल रहा था। परिजनों की किडनी मैच नहीं हो रही थी, ऐसे में अस्पताल ने स्वैप मैच का निर्णय लिया। 

उज्‍जैन निवासी विजय रौठार का कहना है कि बेटे दीपक को बुखार आया तो पता चला कि किडनी खराब है। 5 माह से अहमदाबाद के अस्पताल में इलाज चल रहा है। बेटे की पढ़ाई छूट गई, काम धंधा सब ठप पड़ा है। एनओसी की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि भागते-दौड़ते जिंदगी गुजर रही है।


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