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आइजी की अजब सलाह : सिर के बाल खड़े हों तो समझिए बिजली गिरने वाली है

मध्य प्रदेश में होशंगाबाद रेंज के आइजी ने बारिश के मौसम में सतर्क रहने के लिए दी अजीबोगरीब सलाह- कहा सिर के बाल खड़े हो जाएं, तो समझना बिजली गिरने वाली है।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Fri, 06 Jul 2018 08:56 AM (IST)Updated: Fri, 06 Jul 2018 02:35 PM (IST)
आइजी की अजब सलाह : सिर के बाल खड़े हों तो समझिए बिजली गिरने वाली है
आइजी की अजब सलाह : सिर के बाल खड़े हों तो समझिए बिजली गिरने वाली है

होशंगाबाद (नईदुनिया)। मध्य प्रदेश में होशंगाबाद रेंज के आइजी केसी जैन ने बारिश के मौसम में सतर्क रहने व घटनाओं से बचने के लिए गुरुवार को सभी पुलिस अधीक्षकों समेत थाना प्रभारी स्तर के अधिकारियों को एक पत्र जारी किया है। इसमें बारिश के दौरान बिजली गिरने व सर्पदंश जैसी घटनाओं के दौरान बचाव के उपाय बताए गए हैं। आइजी ने इन उपायों को लेकर अफसरों को जनचौपाल लगाकर लोगों को जागरुक करने को कहा है। पत्र का उद्देश्य लोगों को जागरुक करना है, लेकिन जो उपाय आइजी ने बताए हैं वे बेहद आश्चर्यजनक हैं।

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यह दी सलाह
- यदि सिर के बाल खड़े हो जाएं, त्वजा में झुनझुनी होने लगे तो समझ जाइए कि बिजली गिरने वाली है। ऐसे समय तुरंत नीचे झुककर कान बंद कर लेने चाहिए।
- बिजली गिरने की सबसे ज्यादा आशंका दोपहर के समय होती है।
- बिजली कड़कने के दौरान घर के खिड़की दरवाजे बंद कर देने चाहिए।
- बरामदे और छत से दूर रहना चाहिए।
- धातु से बने पाइप, नल, वॉश वेसिन, फव्वारा नहीं छूना चाहिए।
- घर के बाहर बिना छत वाले वाहन में नहीं घूमना चाहिए।

अनुभव के आधार पर दी सलाह
होशंगाबाद रेंज के आइजी केसी जैन का कहना है, 'मैंने जो अनुभव किया और लोगों ने मुझे जो बताया है, उस आधार पर सलाह जारी की है। इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।'

बिजली गिरने के कोई पूर्व संकेत नहीं होते
बिजली गिरने से पूर्व किसी भी प्राणी को कोई संकेत नहीं मिलते। दरअसल, आसमान की पॉजीटिव और जमीन की निगेटिव एनर्जी के डिस्चार्ज को बिजली गिरना कहते हैं। यह प्रक्रिया चंद सेकंड में होती है। तापमान 30 डिग्री से अधिक होने पर जब बादल 10 से 12 किमी की ऊंचाई पर पहुंचते हैं तो एनर्जी डिस्चार्ज होती है। इसका दायरा 10 किमी तक होता है। कुछ लोगों ने धूल भरी आंधी के साथ बारिश होने को बिजली गिरने से पूर्व संकेत माना है, परंतु इसकी वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है। - डीपी दुबे, पूर्व निदेशक, मौसम विज्ञान केंद्र भोपाल


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