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'सेठ नाथूराम' की होली में जमता है अनोखा रंग, ऐसी है 190 साल पुरानी ये परंपरा

मथुरा के बरसाने की Holi के बाद कहीं की होली मशहूर है तो वो है छत्तीसगढ़ के सेठ नाथूराम की होली। पांच दिन तक चलने वाली सेठ नाथूराम की होली को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 20 Mar 2019 01:25 PM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2019 01:43 PM (IST)
'सेठ नाथूराम' की होली में जमता है अनोखा रंग, ऐसी है 190 साल पुरानी ये परंपरा
'सेठ नाथूराम' की होली में जमता है अनोखा रंग, ऐसी है 190 साल पुरानी ये परंपरा

रायपुर, हिमांशू शर्मा। Holi 2019 : होली का त्योहार खुशियों और मस्ती का त्योहार है। इस दिन देश के अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग तरीके से लोग अपनी परंपरा के साथ होली मनाते हैं। ऐसी ही एक अनूठी परंपरा छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के सदर बाजार में देखने को मिलती है।

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इसे कहते हैं 'सेठ नाथूराम' की होली पूजा-अर्चना की परंपरा के साथ निभाई जाती है। 190 साल से यह परंपरा निभाई जा रही है। होली के पांच दिन पहले सेठ नाथूराम की बारात धूमधाम से निकाली जाती है। प्रतिमा को नाहटा बाजार के बीच स्थापित किया जाता है। पांच दिनों तक प्रतिदिन पूजा करके राजस्थानी फाग गीत गाए जाते हैं।

होलिका दहन वाले दिन शाम को होने वाले रिसेप्शन (राजस्थानी भाषा में गोठ) में सैकड़ों बुजुर्ग, युवा, महिलाएं, बच्चे रिसेप्शन में प्रसादी ग्रहण करने आते हैं। अंतिम दिन धूमधाम से होली खेलने के बाद पूजा-अर्चना करके पट बंद कर दिए जाते हैं।

महादेव अवतारी 'इलोजी' के नाम से मशहूर
सेठ नाथूराम की पूजा में पांच पीढ़ी से सेवा कर रहे ओमप्रकाश सेवग (ओम बाबा) बताते हैं कि उनके दादा-परदादा भी सेठ नाथूराम की सेवा में पांच दिनों तक जुटे रहते थे। वे स्वयं लगभग 45 साल से लगातार बारात में शामिल होने से लेकर होली के दिन बिदाई देने तक का लुत्फ उठा रहे हैं। बचपन में दादा ने बताया था कि सेठ नाथूराम को भगवान महादेव का अवतार माना जाता है। राजस्थान के बीकानेर इलाके में उन्हें 'इलोजी' के रूप में पूजा जाता है।

एकादशी के दिन निकलती है बारात
होली के पांच दिन पूर्व एकादशी तिथि की शाम को सत्तीबाजार से सेठ नाथूराम की बारात गाजे-बाजे के साथ निकाली जाती है। परदादा, दादा, पिता के बाद अब चौथी पीढ़ी के सेवादार रघुनाथ शर्मा बताते हैं कि कुछ सालों पहले तक सत्तीबाजार से लेकर सदरबाजार तक चार जगहों पर बारात का भव्य स्वागत होता था। पीतल से बनी बड़ी-बड़ी पिचकारियों से बारातियों पर रंग बरसाया जाता था। अब वैसी पिचकारी बाजार में मिलना ही बंद हो गई हैं। हां, जगह-जगह ठंडाई, आइस्क्रीम, कुल्फी, नाश्ता से बारातियों का स्वागत अब भी उत्साह से किया जाता है।

प्रदेश के मुखिया करते हैं पूजा
प्रदेश के मुखिया यानि मुख्यमंत्री के हाथों पूजा संपन्न होने के बाद राजस्थानी फाग गीतों की महफिल सजती है। पिछले सालों तक पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह और धर्मस्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल सेठ नाथूराम की पूजा करने अवश्य आते थे। सेवादार बताते हैं कि इस साल सत्ता परिवर्तन होने के बाद नए मुख्यमंत्री को आमंत्रण भेजा जाएगा, ताकि भक्तों का उत्साह बरकरार रहे।

दूर-दूर से आते हैं लोग
सेठ नाथूराम की होली का लुत्फ उठाने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। जिन्होंने बचपन में सेठ नाथूराम की होली का लुत्फ उठाया है और वो अब बड़े शहरों में जाकर बस गए हैं, वे भी साल में एक बार होली का मजा लेने अन्य शहरों से अवश्य आते हैं।

लिंग के रूप में होती है पूजा
सराफा बाजार के पूर्व अध्यक्ष हरख मालू बताते हैं कि जिस तरह शिव मंदिरों में महादेव की पूजा शिवलिंग के रूप में होती है। उसी तरह सेठ नाथूराम उर्फ इलोजी की पूजा भी लिंग के रूप में की जाती है।

संतान प्राप्ति की मन्नत मांगती हैं महिलाएं
भक्तों की ऐसी मान्यता है कि जिन महिलाओं के संतान नहीं होती, वे संतान प्राप्ति की मन्नत मांगती हैं। कई महिलाओं की मन्नतें पूरी भी हुई हैं, इसीलिए लोगों की श्रद्धा सेठ नाथूराम में है। इसके चलते रिसेप्शन का खर्चा सदरबाजार के लोग आपस में मिलकर वहन करते हैं।


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