Move to Jagran APP

मौत के पुलः 18 साल में 586 मौतों पर भी नहीं सुधरे हालात, मुआवजे में बांटे करोड़ों रुपये

भारत में पिछले 18 साल में पुल ढहने के कई बड़े हादसे हो चुके हैं। कुछ हादसों में 100 से 200 लोगों की मौते हुई हैं। बावजूद मौतों का ये सफर बदस्तूर जारी है।

By Amit SinghEdited By: Published: Fri, 15 Mar 2019 04:25 PM (IST)Updated: Fri, 15 Mar 2019 05:28 PM (IST)
मौत के पुलः 18 साल में 586 मौतों पर भी नहीं सुधरे हालात, मुआवजे में बांटे करोड़ों रुपये
मौत के पुलः 18 साल में 586 मौतों पर भी नहीं सुधरे हालात, मुआवजे में बांटे करोड़ों रुपये

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। गुरुवार शाम करीब 7:30 बजे Mumbai Footover Bridge Collapse में 6 लोगों की मौत और 30 से ज्यादा लोगों के घायल होने की घटना ने एक बार फिर जर्जर पुलों की मरम्मत और उसके नाम पर होने वाली लापरवाहियों का मुद्दा गरमा दिया है। ये पुल दक्षिण मुंबई के सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन छत्रपति शिवाजी महाराजा टर्मिनल (सीएसटी) से डीएनडी रोड के दूसरी ओर सड़क पार करने के लिए बना था।

loksabha election banner

देश में इस तरह का ये कोई पहला हादसा नहीं है और हो सकता है कि ये हादसा अंतिम भी न हो। कम से कम इस तरह के हादसों का लंबा इतिहास तो यही बताता है। आज हम पूर्व में हुए पुल ढहने के कुछ बड़े मामलों और उनकी वजहों की पड़ताल कर रहे हैं। इससे साफ है कि लगातार हो रहे हादसों से भी सरकारों या सरकारी संस्थाओं ने कोई सीख नहीं ली। इसमें रेलवे ब्रिज पर हुए हादसे भी शामिल हैं।

यही वजह है कि भारत में पिछले 18 वर्षों में पुल ढहने के हुए 14 बड़े हादसों में 586 लोगों को जान गंवानी पड़ी, जबकि 1000 से ज्यादा लोग घायल हो गए। 16 मई 2018 को वाराणसी कैंट हादसे में मृतकों को पांच लाख और घायलों को दो लाख रुपये का मुआवजा दिया गया था। इस मुआवजे को औसत माना जाए तो इन 14 हादसों में मृतकों व घायलों के परिजन को सरकार द्वारा 49 करोड़ रुपये से ज्यादा का मुआवजा दिया जा चुका है।


14 मार्च 2019, मुंबई का ‘कसाब पुल’
अधिकारियों ने बताया कि यह फुट ओवरब्रिज लगभग 35 साल पुराना है और 2010-11 में इसकी अंतिम मरम्मत की गई थी। “2016 में, स्वच्छ भारत अभियान के तहत, पुल का उत्तरी छोर सौंदर्यीकरण के लिए लिया गया था, जिसमें पुल की टाइलों को बदलना और नया पेंट शामिल था, लेकिन इसकी मरम्मत को लेकर कोई कदम नहीं उठाए गए। सबसे अहम बात ये है कि छह माह पहले इस पुल का सिक्योरिटी ऑडिट हुआ था और उसमें पुल को सुरक्षित बताते हुए क्लीन चिट दे दी गई थी। बावजूद ये पुल गुरुवार शाम भरभरा कर गिर गया, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई, जबकि 30 से ज्यादा लोग घायल हैं। स्थानीय लोग इसे ‘कसाब पुल’ भी कहते हैं, क्योंकि 2008 मुंबई हमले के वक्त आतंकी कसाब इसी पुल के जरिए कॉमा अस्पताल तक पहुंचा था।


04 सितंबर 2018, कोलकाता, माझेरहाट पुल हादसा
कोलकाता के अलीपुर में 50 साल पुराना माझेरहाट पुल ढहने (Majerhat Bridge Collapse) से तीन लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 25 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। यह पुल रेलवे लाइनों के ऊपर से दक्षिणी उपनगर बेहाला के जरिए शहर के अन्य हिस्सों को जोड़ता है। ये एनएच-12 और डायमंड हार्बर रोड का एक हिस्सा है। ये पुल माझेरहाट रेलवे स्टेशन के बगल में स्थित है। यहां कोलकाता मेट्रो का भी स्टेशन है। ये पुल काफी समय से जर्जर स्थिति में था। हादसा होने से पहले वर्ष 2010 में इसका मरम्मत कार्य किया गया था। 2016 में हुए पुल के एक ऑडिट में भी इसे खतरनाक बताया गया था। 2018 में हादसे से पहले पुलिस, स्थानीय लोगों और उसका उपयोग करने वालों ने भी पुल की जर्जर स्थिति और पुल में आयी दरारों की कई शिकायतें की थी। बावजूद इस पुल का उपयोग किया जाता रहा।


31 मार्च 2016, कोलकाता विवेकानंद फ्लाईओवर गिरा
कोलकाता के गिरिश पार्क के पास अतिव्यस्त रबींद्र सरानी-केके टैगोर रोड क्रॉसिंग के ऊपर वर्ष 2009 में 2.2 किमी लंबे विवेकानंद फ्लाईओवर (Vivekananda Flyover Bridge Collapse) का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। 30 मार्च 2016 को इस पुल पर कंक्रीट बिछाई गयी थी। 31 मार्च 2016 को पुल ढहने से कुछ घंटे पहले ही मजदूरों ने कैंटिलीवर के चटकने (क्रैक) होने की आवाज सुनी थी। दोपहर करीब 12:40 बजे पुल का 150 मीटर का हिस्सा टूट गया। हादसे में उस वक्त क्रॉसिंग से गुजर रहे 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई, जबकि 90 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।


21 सितंबर 2010, नई दिल्ली, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम FOB गिरे
भारत में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों को लेकर राजधानी दिल्ली में तैयारियों जोरों पर चल रहीं थीं। लोगों की सुविधा के लिए जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम के करीब सड़क पार करने के लिए एक लंबा-चौड़ा फुट ओवर ब्रिज (FOB) बनाया जा रहा था। राष्ट्रमंडल खेलों की वजह से उन दिनों देश ही नहीं पूरी दुनिया की नजरें भारत में चल रही तैयारियों पर थीं। राष्ट्रमंडल खेल शुरू होने से करीब एक माह पहले, 21 सितंबर 2010 को जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम (Jawaharlal Nehru Stadium Bridge Collapse) पर निर्माणाधीन FOB भरभरा कर गिर गया। हादसे में 23 लोग घायल हुए थे, जिसमें ज्यादातर निर्माण कार्य में लगे मजदूर थे।


24 दिसंबर 2009, कोटा चंबल ब्रिज हादसा
राजस्थान में बने कोटा चंबल ब्रिज (Kota Chambal Bridge Collapse) को कोटा ब्रिज या कोटा केबल ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है। ये पुल कोटा बाईपास का हिस्सा है जो चंबल नदी पर बना है। 2007 में इस पुल का निर्माण शुरू हुआ था। निर्माण के दौरान ही 24 दिसंबर 2009 की शाम 5:30 बजे पुल का एक बड़ा सा हिस्सा टूटकर नदी में गिर गया था। हादसे में पुल निर्माण का काम कर रहे 48 मजदूर और इंजीनियरों की मौत हो गई थी, जबकि कुछ घायल भी हुए थे। हादसे के बाद 29 अगस्त 2017 को इस पुल का उद्घाटन हुआ था।

 
29 अक्टूबर 2005, वालिगोंडा रेल हादसा
दिवाली त्योहार से ठीक पहले ये हादसा हैदराबाद के दक्षिण में वालिगोंडा शहर के पास हुआ था। मानसून के दौरान इस इलाके में कई सप्ताह से लगातार बारिश हो रही थी। ऐसे में एक छोटी सी बाढ़ से जर्जर रेलवे पुल (Veligonda Railway Bridge Collapse) का एक हिस्सा बह गया था। ऐसे में उस पुल से गुजर रही डेल्टा फास्ट पैसेंजर ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गई। ट्रेन का इंजन समेत सात डिब्बे क्षतिग्रस्त पुल से नीचे गिर गए थे। तीन डिब्बे नदी में डूब गए थे, जिसमें सबसे ज्यादा मौतें हुईं थीं। हादसे में 114 लोगों से ज्यादा की मौत हुई, जबकि 200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।


10 सितंबर 2002, रफीगंज में हावड़ा राजधानी दुर्घटना
भारतीय रेल नेटवर्क पर हुई ये अब तक की सबसे बड़ी दुर्घटनाओं में से एक है। नई दिल्ली जा रही तेज रफ्तार लग्जरी हावड़ा राजधानी ट्रेन के 15 में से 8 डिब्बे, गया के पास रफीगंज में धवे नदी (Dhave River) के ऊपर बने पुल (Rafiganj Rail Bridge Collapse) से गुजरते वक्त बेपटरी हो गए थे। उस वक्त ट्रेन में 1000 यात्री सवार थे। दुर्घटना में करीब 200 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 250 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। मृतकों में लापता 50 लोग भी शामिल हैं। ज्यादातर मौतें नदी में डूबने की वजह से हुई थीं। एक सप्ताह तक गोताखोर नदी से शव निकालते रहे। बताया जाता है कि वर्षों पुराने इस पुल में जंक लग चुका था और मरम्मत न होने से ये कमजोर स्थिति में था। उस दौरान भारी बारिश ने भी पुल को काफी नुकसान पहुंचाया था। हादसे के बाद एक रेलवे अधिकारी ने कहा था कि इस पुल को लंबे समय से कमजोर घोषित कर दिया गया था, लेकिन इसकी मरम्मत के लिए कुछ भी नहीं किया गया। बाद में एक जांच रिपोर्ट में नक्सलियों द्वारा पुल को क्षतिग्रस्त करने की आशंका व्यक्त की गई थी।


22 जून 2001, केरल में कदलुंडी ट्रेन हादसा
हादसा उस वक्त हुआ जब यात्रियों से भरी मंगलौर-चेन्नई मेल ट्रेन केरल राज्य में कोझीकोड जिले के कदलुंडी रेलवे स्टेशन के पास नदी पर बने एक पुल (Kadalundi River Rail Bridge Collapse) का पिलर टूटने से बेपटरी हो गई थी। ट्रेन के चार डिब्बे नदी में गिर गए थे। इसमें 57 से ज्यादा लोग मारे गए, जबकि 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। कई लोग लापता हो गए थे। एक सप्ताह तक नदी और मलबे से शवों निकाले गए थे। पुल 140 साल पुराना और मरम्मत न होने की वजह से खराब स्थिति में था। उस वर्ष मानसून के दौरान हुई भीषण बारिश से पुल की हालत और खराब हो गई थी।


पुल गिरने के कुछ अन्य प्रमुख हादसे -
15 अक्टूबर 2018, ओडिशा - एनएच-215 पर कांजीपनी के पास निर्माणाधीन पुल गिरा, 14 मजदूर घायल।
16 मई 2018, उत्तर प्रदेश - वाराणसी, कैंट रेलवे स्टेशन के सामने बन रहे फ्लाई ओवर का बड़ा हिस्सा गिरने से उस वक्त नीचे से गुजर रहे 18 लोगों की दबकर मौत हो गई, जबकि 10 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।
18 मई 2017, गोवा - कर्चोरेम में संवोरडेम नदी पर बना पुल गिरने से दो लोगों की मौत 30 से ज्यादा घायल। इस पुल की जर्जर हालत को देखते हुए इसे गिराया जाना था, लेकिन इससे पहले ही ये हादसा हो गया।
02 अगस्त 2016, महाराष्ट्र - सावित्री नदी पर बना लगभग 100 साल पुराने पुल का एक हिस्सा गिरने से दो बसें और कुछ कारें नदी में समा गईं। दुर्घटना में 28 लोगों की मौत हुई।
9 सितंबर 2007, आंध्र प्रदेश - हैदराबाद के पंजागुट्टा में निर्माणाधीन फ्लाईओवर गिरने से लगभग 30 लोगों की मौत, कई घायल।
दिसंबर 2006, बिहार - भागलपुर में 150 साल पुराना रेलवे फुट ओवर ब्रिज (FOB) नीचे से गुजर रही एक तेज रफ्तार ट्रेन के ऊपर गिर गया। दुर्घटना में 30 से ज्यादा लोग मारे गए।

फ्लाई ओवर का इतिहास
विश्व का पहला रेलवे फ्लाईओवर 1843 में लंदन और क्रॉयडन रेलवे द्वारा नॉरवुड जंक्शन रेलवे स्टेशन पर बनाया गया था। भारत में पहला फ्लाईओवर 14 अप्रैल 1965 को खोला गया था। ये फ्लाईओवर मुंबई के केंप्स कॉर्नर पर बना था। इसकी लंबाई 15 मीटर थी। इसे बनाने में करीब सात माह का वक्त लगा था। उस वक्त इस पुल के निर्माण पर 17.5 लाख रुपये खर्च किए गए थे, जो 2018 में 8.7 करोड़ रुपये के बराबर थे।

100 पुल गिरने की कगार पर हैं
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी ने 4 अगस्त 2017 को लोकसभा में दिए अपने बयान में कहा था कि देश के राष्ट्रीय राजमार्गों पर 100 पुल या फ्लाईओवर ऐसे हैं जो कभी भी गिर सकते हैं। इन पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने बताया था कि उनके मंत्रालय ने देशभर के राष्ट्रीय राजमार्गों पर बने 1.6 लाख पुलों और फ्लाईओवर का सेफ्टी ऑडिट किया है। इसमें पाया गया है कि 140 पुलों को तत्काल मरम्मत की जरूरत है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.