हिंदुत्व ही भारत को बना सकता है श्रेष्ठ, करें मतभेद का त्याग: भागवत
देश के लिए आपसी मतभेद को जमीन में गा़डना होगा। हमें मतभेद त्याग कर देश के लिए ख़़डा होना होगा।
कोलकाता, ब्यूरो। देश के लिए आपसी मतभेद को जमीन में गा़डना होगा। हमें मतभेद त्याग कर देश के लिए ख़़डा होना होगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ [ आरएसएस ] के सरसंघचालक मोहन भागवत ने ये बातें कहीं। वे मंगलवार को कोलकाता में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। भागवत ने कवि गुरु रवींद्रनाथ टैगोर के कथन का उल्लेख करते हुए कहा कि आपसी संघर्ष में भी हिंदुत्व मिलजुल कर रहना सिखाता है। हिंदुत्व ही भारत को श्रेष्ठ बना सकता है।
यह कार्यक्रम राष्ट्रवादी आंदोलन में सिस्टर निवेदिता की भूमिका विषय पर आयोजित था। भागवत ने निवेदिता के विचारों का उल्लेख करते हुए राष्ट्रीयता का बोध कराया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीयता ही हमारा धर्म है। इस धर्म को निभाने के लिए स्वार्था का संपूर्ण रूप से त्याग करना होगा। भारत में राष्ट्रीयता की परंपरा का प्रवाह सनातन काल से चला आ रहा है। यह परंपरा तब से है जब वेद और उपनिषद की उत्पति हुई।
भागवत ने भारतवासियों को स्वगौरव जागृत करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि अधिकार के लिए दूसरे के सामने झुकना छो़़डकर स्वाभिमान और बंधुत्व की भावना के साथ स्वगौरव को जागृत करना होगा। उन्होंने सच्चर कमेटी पर अपने मुसलमान दोस्त की बातों को सामने रखते हुए कहा कि उस दोस्त ने उनसे कहा कि वे सच्चर कमेटी का विरोध क्यों करते हैं। मुस्लिम दोस्त के कथन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि मुसलमान भी कभी हिंदू ही हुआ करते थे। पर अब मुसलमान बन गए हैं और मुसलमान ही रहेंगे। वे कव्वाली गाते हैं, क्योंकि भजन गाने की आदत नहीं गई है।