विश्व में धाक जमा रही है हिंदी, इतने करोड़ लोग बोलते हैं राष्ट्रभाषा
देश-विदेश में इसे जानने-समझने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। इंटरनेट के इस युग ने हिंदी को वैश्विक धाक जमाने में नया आसमान मुहैया कराया है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। हिंदी भारत की राजभाषा है। सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व को समेट हिंदी अब विश्व में लगातार अपना फैलाव कर रही है। देश-विदेश में इसे जानने-समझने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। इंटरनेट के इस युग ने हिंदी को वैश्विक धाक जमाने में नया आसमान मुहैया कराया किया है।
राजभाषा का दर्जा
14 सितंबर, 1949 को संवैधानिक रूप से हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया। संविधान के अनुच्छेद 343 में यह प्रावधान किया गया है कि देवनागरी लिपि के साथ हिंदी भारत की राजभाषा होगी।
तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा
विश्व में हिंदी भाषी करीब 70 करोड़ लोग हैं। यह तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। 1.12 अरब बोलने वालों की संख्या के साथ अंग्रेजी पहले स्थान पर है। चीनी भाषा मेंडरिन बोलने वाले करीब 1.10 अरब हैं। 51.29 करोड़ और 42.2 करोड़ के साथ स्पैनिश और अरबी का क्रमश: चौथा और पांचवां स्थान है। दुनिया में मौजूद भाषाओं की जानकारी पर प्रकाशित होने वाले एथनोलॉग के 2017 के संस्करण में 28 ऐसी भाषाएं शामिल हैं जिनमें से प्रत्येक के बोलने वाले पांच करोड़ से ज्यादा लोग हैं।
इंटरनेट पर हिंदी
हिंदी जानने, समझने और बोलने वालों की बढ़ती संख्या के चलते अब विश्व भर की वेबसाइट हिंदी को भी तवज्जो दे रही हैं। ईमेल, ईकॉमर्स, ईबुक, इंटरनेट, एसएमएस एवं वेब जगत में हिंदी को बड़ी सहजता से पाया जा सकता है। माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, आइबीएम तथा ओरेकल जैसी कंपनियां अत्यंत व्यापक बाजार और भारी मुनाफे को देखते हुए हिंदी प्रयोग को बढावा दे रही हैं।
ट्विटर की तर्ज पर बनाया मूषक
सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट ट्विटर की तर्ज पर हिंदी भाषी लोगों के लिए पुणे के अनुराग गौड़ और उनके साथियों ने मूषक नामक सोशल नेटवर्किंग साइट बनाई है। इसमें ट्विटर की 140 शब्दों की सीमा की अपेक्षा शब्द सीमा पांच सौ है। इसे इंटरनेट पर डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट मूषक डॉट इन पर खोला जा सकता है। साथ ही गूगल प्लेस्टोर से भी डाउनलोड किया जा सकता है। इसमें किसी भी हिंदी शब्द को रोमन में लिखने पर उसका हिंदी विकल्प नीचे आ जाता है। उसे चुनकर हिंदी में लिखा जा सकता है।
वैश्विक पहुंच
विदेश में 25 से अधिक पत्र- पत्रिकाएं लगभग नियमित रूप से हिंदी में प्रकाशित हो रही हैं। यूएई के ‘हम एफ-एम’ सहित अनेक देश हिंदी कार्यक्रम प्रसारित कर रहे हैं, जिनमें बीबीसी, जर्मनी के डायचे वेले, जापान के एनएचके वर्ल्ड और चीन के चाइना रेडियो इंटरनेशनल की हिंदी सेवा विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
विश्व में बढ़ी धाक
- फिजी , मॉरीशस, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद एवं टोबैगो एवं संयुक्त अरब अमीरात में हिंदी अल्पसंख्यक भाषा ’ भारत को बेहतर ढंग से जानने के लिए दुनिया के करीब 115 शिक्षण संस्थानों में हिंदी का अध्ययन अध्यापन होता है।
- अमेरिका में 32 विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों में हिंदी पढ़ाई जाती है।
- ब्रिटेन की लंदन यूनिवर्सिटी, कैंब्रिज और यॉर्क यूनिवर्सिटी में हिंदी पढ़ाई जाती है।
- जर्मनी के 15 शिक्षण संस्थानों ने हिंदी भाषा और साहित्य के अध्ययन को अपनाया है। कई संगठन हिंदी का प्रचार करते हैं।
- चीन में 1942 में हिंदी अध्ययन शुरू। 1957 में हिंदी रचनाओं का चीनी में अनुवाद कार्य आरंभ हुआ।
हिंदी को गंगा नहीं बल्कि समुद्र बनना होगा।
आचार्य विनोबा भावे
यद्यपि मैं उन लोगों में से हूं, जो चाहते हैं और जिनका विचार है कि हिंदी ही भारत की राष्ट्रभाषा हो सकती है।
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
तकनीक में बढ़ी हिंदी
एक अध्ययन के मुताबिक हिंदी सामग्री की खपत करीब 94 फीसद तक बढ़ी है। हर पांच में एक व्यक्र्ति हिंदी में इंटरनेट प्रयोग करता है। फेसबुक, ट्विटर और वाट्स एप में हिंदी में लिख सकते हैं। इसके लिए गूगल हिंदी इनपुट, लिपिक डॉट इन, जैसे अनेक सॉफ्टवेयर और स्मार्टफोन एप्लीकेशन मौजूद हैं। हिंदी-अंग्रेजी अनुवाद भी संभव है।