एनआइआरएफ के मापदंड पर तैयार किए जाएंगे उच्च शिक्षण संस्थान, शिक्षा मंत्रालय चलाएगा देश भर में अभियान
यह मुहिम इसलिए भी अहम है क्योंकि अभी एनआइआरएफ की इंडिया रैंकिंग में देश के करीब छह हजार संस्थानों की ही भागीदारी है। जबकि देश में मौजूदा समय में उच्च शिक्षण संस्थानों की संख्या 50 हजार से अधिक है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उच्च शिक्षण संस्थानों के बीच एनआइआरएफ (नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क) की इंडिया रैंकिंग को लेकर आने वाले दिनों में प्रतिस्पर्धा और कड़ी हो सकती है। वजह शिक्षा मंत्रालय की वह पहल है, जिसके तहत देश भर के उच्च शिक्षण संस्थानों को अब एनआइआरएफ के तय मापदंडों के मुताबिक तैयार किया जाएगा। इसे लेकर देश भर में मुहिम चलाई जाएगी। इसकी अगुआई यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) और एनबीए (नेशनल बोर्ड आफ एक्रीडिएशन) साथ-साथ करेंगे। हालांकि इस पूरी मुहिम का मकसद उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता में सुधार के साथ इन्हें रैंकिंग फ्रेमवर्क के दायरे में लाना है।
यह मुहिम इसलिए भी अहम है, क्योंकि अभी एनआइआरएफ की इंडिया रैंकिंग में देश के करीब छह हजार संस्थानों की ही भागीदारी है। जबकि देश में मौजूदा समय में उच्च शिक्षण संस्थानों की संख्या 50 हजार से अधिक है। इसकी बड़ी वजह बाकी संस्थानों के बीच तैयारी का न होना या फिर प्रतिस्पर्धा में रुचि न रखना है। अब ऐसे सभी संस्थानों को इससे जोड़ा जाएगा। वैसे भी गुरुवार को एनआइआरएफ की इंडिया रैंकिंग 2021 जारी करने के मौके पर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने जिस तरह से उच्च शिक्षण संस्थानों की क्षेत्रीय रैंकिंग तैयार करने का सुझाव दिया है, उसके बाद तो इस प्रतिस्पर्धा में राज्य भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे। हालांकि इसके लिए संस्थानों को पहले से मानकों के मुताबिक तैयार करने की चुनौती है, जिस पर मंत्रालय जल्द ही एक नई स्कीम भी लाने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि उच्च शिक्षण संस्थानों से चर्चा के बाद इसे अंतिम रूप दिया जा सकता है।
शिक्षा मंत्रालय सेजुड़े सूत्रों के मुताबिक एनआइआरएफ की इंडिया रैंकिंग-2021 के जारी होने से पहले ही क्षेत्रीय रैंकिंग तैयार करने और ज्यादा से ज्यादा संस्थानों को इससे जोड़ने की पहल की शुरू कर दी गई है। जल्द ही इसका पूरा प्लान जारी कर दिया जाएगा। इसके साथ ही एनआइआरएफ की इंडिया रैंकिंग में इस साल के मुकाबले अगले साल दोगुने संस्थानों की भागीदारी का लक्ष्य तय किया गया है। इनमें निजी संस्थानों को प्रमुखता से शामिल करने का सुझाव दिया गया है। अभी इस रैंकिंग में हिस्सा लेने वाले निजी संस्थानों की संख्या कम ही है। गौरतलब है कि देश में मौजूदा समय में एक हजार से ज्यादा विश्वविद्यालय, करीब 42 हजार कालेज, तीन हजार इंजीनियरिंग, पांच हजार मैनेंजमेंट कालेज और साढ़े पांच सौ मेडिकल कालेज हैं।
इन पर होगा फोकस
उच्च शिक्षण संस्थानों को एनआइआरएफ के दायरे में लाने के लिए जिन पहलुओं पर सबसे ज्यादा फोकस होगा, उनमें पीएचडी करने वाले छात्रों सहित संस्थान के कुल छात्रों की संख्या, नियमित फैकल्टी की संख्या, छात्र और शिक्षक का औसत, फाइनेंसियल रिसोर्स और उनकी उपयोगिता, शोध पत्रों का प्रकाशन, पेटेंट की संख्या, प्रोफेशनल प्रैक्टिस, दूसरे राज्यों या देशों के छात्रों का प्रतिशत, छात्रों में महिला छात्रों का प्रतिशत, परसेप्शन रैंकिंग आदि शामिल हैं।