Indian Railways: रेलयात्रियों के लिए बड़ी खबर, बजट में हाईस्पीड ट्रेन की हो सकती है घोषणा
160 किलोमीटर (किमी) प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रेन करीब 800 किमी दौड़ेगी और उसी दिन 800 किमी का सफर तय कर लौटेगी। इसकी घोषणा शनिवार आम बजट में की जा सकती है।
दीपक बहल, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हाईस्पीड ट्रेन दौड़ाने का सपना साकार करने के लिए रेलवे ने तैयारी कर ली है। 160 किलोमीटर (किमी) प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रेन करीब 800 किमी दौड़ेगी और उसी दिन 800 किमी का सफर तय कर लौटेगी। इसकी घोषणा शनिवार आम बजट में की जा सकती है। इसी प्रकार यात्री और माल ढुलाई के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) और प्राइवेट कंपनियों के जिम्मे नई ट्रेनें दौड़ने का ऐलान किया जा सकता हैं। इंडियन रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (आइआरएसडीसी) की जिम्मेदारी बढ़ेगी ताकि एयरपोर्ट की तर्ज पर स्टेशनों पर सुविधाएं मिले।
130 किमी. प्रतिघंटा से दौड़ रही वंदे भारत एक्सप्रेस के सफल प्रोजेक्ट के चलते अब 160 किमी प्रतिघंटा रफ्तार की जाएगी। हालांकि वंदेभारत, राजधानी और शताब्दी की औसत स्पीड सौ किमी प्रतिघंटा भी नहीं है। इसके लिए भी रेलवे का बुनियादी ढांचे को ओर मजबूत किया जा रहा है। मौजूदा समय शताब्दी और राजधानी एक्सप्रेस भी 130 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ रही हैं। लेकिन इनकी औसत स्पीड 90 किमी प्रतिघंटा तक सिमट कर रह जाती है। हाई स्पीड के लिए संरक्षा से जुड़े रेलवे ट्रैक के दोनों ओर कंक्रीट की दीवार, सिगनल को मॉडीफाइ करने में जुट गया है। दिल्ली से मुंबई और दिल्ली से हावड़ा के बीच बन रहे वेस्टर्न और ईस्टर्न कॉरिडोर पूरा होने के बाद यात्री ही नहीं बल्कि सामानों की आवाजाही के समय में भी काफी कमी आएगी। ये दोनों रूट काफी व्यस्त माने जाते हैं।
इस तरह व्यस्त रूट पर ट्रेनों की संख्या में हुआ इजाफा
रेलवे के सिंगल लाइन में 24 से 30 रेलगाडि़यां ही दौड़ सकती हैं जबकि डबल लाइन में यह संख्या 60 तक है। ट्रेनों की संख्या में इजाफा होने के कारण एक ट्रेन के पीछे दूसरी ट्रेन दौड़ रही होती है जबकि सिग्नल न मिलने के कारण ट्रेन चालक को कभी गाड़ी बीच में रोकनी पड़ती है तो कभी ट्रेन की रफ्तार कम करनी पड़ती है। अब एक ही पटरी पर मालगाड़ी, शताब्दी, राजधानी सब दौड़ रही हैं जिसका असर भी कहीं न कहीं ट्रेनों की रफ्तार पर पड़ रहा है जिस कारण यात्रियों का सफर कम नहीं हो पा रहा है। हालांकि, पंजाब के लुधियाना से कोलकाता तक 22 हजार करोड़ की लागत से रेलवे फ्रंट कोरीडोर बन रहा है। इसके बाद एलीवेटड ट्रैक पर जमीन से करीब 18 फीट ऊंचाई पर मालगाडि़यां दौड़ेंगी। रेलवे ने कोरीडोर का लक्ष्य 2020 तक रखा है लेकिन 2022 तक उम्मीद है। इस कोरीडोर के बनने से मालगाडि़यां इस ट्रैक पर दौड़ने लगेंगे जिससे एक्सप्रेस, राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस की स्पीड में करीब दस से पंद्रह घंटे की औसत स्पीड में बढ़ोतरी होगी।
स्थाई-अस्थाई ब्लाक और आटोमेटिक ट्रैक न होना भी कारण
रेलवे में अभी जिस तरह से ताबड़तोड़ हर सेक्शन में ब्लाक का काम चल रहा है। यह भी कहीं न कहीं ट्रेनों की रफ्तार में अड़चन बना हुआ है। हालांकि संरक्षक दृष्टि से पटरी की मरम्मत का काम चलता रहता है। इसके अलावा सिग्नल प्रणाली को भी कई जगहों पर और दुरुस्त किया जा रहा है ताकि ट्रेनों की रफ्तार और बेहतर हो सके।