किसी की व्यक्तिगत अभिव्यक्ति और पहचान है उसका नाम : हाईकोर्ट
नाम बदलने के मामले में केरल हाईकोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणी।
कोच्चि (केरल), एएनआइ। एक महत्वपूर्ण फैसले में, केरल हाईकोर्ट ने माना है कि किसी की पसंद के अनुसार उसके नाम की अभिव्यक्ति का तरीका संविधान के अनुच्छेद 1 9 (1) (अ) के तहत एक मौलिक अधिकार है।
अपने अवेदन पर सीबीएसई को नाम में बदलाव के लिए निर्देशित करने की मांग को लेकर एक युवती की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस ने कहा कि नाम किसी की निजता, किसी की पहचान और किसी की विशिष्टता की अभिव्यक्ति है।
नाम वह तरीका है जिससे व्यक्ति दुनिया में खुद को अभिव्यक्त करता है। यह वह आधार है जिस पर वह सभ्य समाज में रहता है। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि लोकतंत्र में कोई अपनी पसंद से जिस नाम से अपने को मुक्त रूप से अभिव्यक्त करना चाहे वह उसकी निजता के अधिकार का एक पहलू है।
उल्लेखनीय है 17 वर्षीय छात्रा कशिश गुप्ता ने वकील केआर विनोद के माध्यम से हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर की है। इसमें सीबीएसई को जारी किए गए प्रमाणपत्र पर नाम बदलने के लिए निर्देशित करनी की मांग की गई है।
अदालत ने टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता को तकनीकी जटिलता के कारण अपनी पसंद के नाम के मौलिक अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।
इस मामले में राज्य सरकार ने नाम बदलने की युवती की इच्छा को स्वीकार कर लिया और 2017 में एक गजट में इस आशय की अधिसूचना जारी जिसके अनुसार जन्म प्रमाण पत्र समेत अन्य दस्तावेजों में नाम बदल दिया गया।
जब ये प्रक्रियाएं पूरी हो रही थीं उसी दौरानयाचिकाकर्ता ने 2018 में सीबीएसई की परीक्षा दी। सीबीएसई ने स्कूल द्वारा उपलब्ध कराए गए रिकॉर्ड के आधार पर प्रमाण पत्र जारी कर दिया। जब इसमें नाम परिवर्तन के लिए स्कूल के प्रिंसिपल के माध्यम से आवेदन किया गया तो सीबीएसई ने परीक्षा नियम 69.1 (आइ) का हवाला देते हुए उसे खारिज कर दिया। इसके बाद युवती ने यह याचिका दायर की।