हाईकोर्ट ने पूछा, निंदा की सजा का क्या असर होता है, कहीं यह खानापूर्ति तो नहीं
कोर्ट ने पूछा है कि इस सजा से दोषी पर क्या असर पड़ेगा और सजा किस नियम के तहत दी जाती है।
नई दुनिया, ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की एकल पीठ ने ग्वालियर पुलिस अधीक्षक से उस जवाब पर स्पष्टीकरण मांगा है, जिसमें कहा गया था कि देर से रिपोर्ट देने पर दोषी पुलिसकर्मियों को निंदा की सजा दी है। कोर्ट ने पूछा है कि इस सजा से दोषी पर क्या असर पड़ेगा और सजा किस नियम के तहत दी जाती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि कहीं खानापूर्ति करने के लिए तो सिर्फ निंदा की सजा नहीं दे दी जाती।
गौरतलब है कि निंदा की सजा पुलिस विभाग का प्रचलित शब्द है और आए दिन पुलिस अधिकारियों द्वारा कनिष्ठ पुलिसकर्मियों को निंदा की सजा दी जाती है। गोला का मंदिर थाना पुलिस ने सीमा मराठा के खिलाफ आबकारी एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। उसे इसी साल 13 जून को गिरफ्तार किया गया था। आरोपित सीमा ने हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की है।
याचिका में तर्क दिया गया है कि पुलिस पूरे मामले में लापरवाही बरत रही है। जानबूझकर शराब के नमूने जांच के लिए देरी से भेजे गए। उसकी रिपोर्ट नहीं आने से उसे जमानत नहीं मिल पा रही है। याचिकाकर्ता के इस तर्क पर पुलिस अधीक्षक की ओर से जवाब दिया गया। इसमें बताया गया लापरवाही के लिए उपनिरीक्षक (एसआइ) प्रवीण शर्मा व एसआइ राजेंद्र सिंह को निंदा की सजा दी गई है। पुलिसकर्मियों को दी गई निंदा की सजा के मामले को हाई कोर्ट ने संज्ञान में ले लिया।
एसपी से इस संबंध में चार सितंबर तक स्पष्टीकरण मांगा है कि निंदा की सजा से क्या असर पड़ेगा और यह सजा किस नियम के तहत दी जाती है। वहीं दूसरी ओर कोर्ट ने महाधिवक्ता कार्यालय की भी लापरवाही पकड़ी। शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि मामले में जवाब पेश कर दिया गया, लेकिन कोर्ट की फाइल में जवाब नहीं था, न याचिकाकर्ता के वकील को इसकी कॉपी दी गई थी। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि महाधिवक्ता कार्यालय के जिस बाबू ने जवाब पेश करने में लापरवाही बरती है, उसकी जांच कर रिपोर्ट प्रिंसिपल रजिस्ट्रार के यहां पेश की जाए।
पुलिस महकमे में निंदा की सजा का अलग अर्थ होता है। यह कहने को एक शब्द है, लेकिन इसका प्रभाव संबंधित पुलिसकर्मी के सर्विस रिकॉर्ड (सीआर) पर पड़ता है। यदि रिकॉर्ड में अत्यधिक निंदा की सजा एकत्रित होती जाती है तो पदोन्नति में परेशानी आती है। इनाम मिलने पर निंदा की सजा का प्रभाव कम होता जाता है।
— राकेश सिन्हा, सेवानिवृत्त डीएसपी