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MP HoneyTrap : बार-बार एसआइटी प्रमुख बदलने के सरकार के जवाब से हाई कोर्ट नाराज

मध्य प्रदेश के हनी ट्रैप मामले की जांच के लिए गठित एसआइटी प्रमुख को बार-बार बदले जाने को लेकर शासन ने हाईकोर्ट में जो दलील दी उससे उसने नाराजगी जताई।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 09:13 PM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 09:13 PM (IST)
MP HoneyTrap : बार-बार एसआइटी प्रमुख बदलने के सरकार के जवाब से हाई कोर्ट नाराज
MP HoneyTrap : बार-बार एसआइटी प्रमुख बदलने के सरकार के जवाब से हाई कोर्ट नाराज

 राज्‍य ब्‍यूरो, इंदौर। मध्य प्रदेश के बहुचर्चित हनी ट्रैप मामले की जांच के लिए गठित एसआइटी (विशेष जांच दल) के प्रमुख को बार-बार बदले जाने को लेकर शासन ने हाई कोर्ट में जो दलील दी, उससे उसने नाराजगी जताई।

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सरकार ने कहा कि प्रमुख बनाए गए पहले अधिकारी ने पारिवारिक कारणों से खुद को जांच से अलग रखने की गुहार लगाई थी, जबकि दूसरे अधिकारी के बारे में सोशल मीडिया पर बहुत कुछ चल रहा था। इसके चलते उन्हें बदलना पड़ा। कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यह तो कोई कारण नहीं है।

कोर्ट ने आदेश दिया कि केस में प्रभारी बनाए गए अधिकारी सुनवाई पूरी होने तक बदले नहीं जाएंगे। ट्रांसफर बहुत जरूरी हो तो पहले कोर्ट की अनुमति लेना होगी।

गौरतलब है कि कई राजनेताओं और वरिष्ठ अधिकारियों को हनी ट्रैप करने के राजफाश के बाद गठित एसआइटी में तीसरी बार उसके प्रमुख की नियुक्त की गई है। इसे लेकर दो जनहित याचिकाएं दायर हुई थीं। सोमवार को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में दोनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हुई।

शासन को इस सुनवाई में एसआइटी प्रमुख को बार-बार बदले जाने पर जवाब देना था। सोमवार को बंद लिफाफे में रिपोर्ट तो पेश हुई, लेकिन इसके साथ एसआइटी प्रमुख बदलने के संबंध में चलाई गई नोटशीट नहीं थी। कोर्ट ने इस पर भी नाराजगी जताई और कहा कि स्टेटस रिपोर्ट अधूरी है। इसके साथ दस्तावेज ही संलग्न नहीं हैं। जिन्हें गिरफ्तार किया है, उनके बयान तक इसमें नहीं हैं। रिपोर्ट लौटाते हुए कोर्ट ने कहा कि 15 दिन में नोटशीट के साथ स्टेटस रिपोर्ट दोबारा पेश करो।

महत्वपूर्ण हैं इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य

कोर्ट ने शासन से पूछा कि मामले में जो इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य (पेन ड्राइव, लैपटॉप इत्यादि) जब्त किए थे, उनकी जांच कहां करवाई। इस पर बताया गया कि अपने स्तर पर जांच करवाई थी। कोर्ट ने इस पर भी नाराजगी जताई और कहा कि शासन ही साक्ष्य जब्त कर रहा है और उसकी ही लैब में जांच हो रही है। यह तो ठीक नहीं है। कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों की हैदराबाद की क्षेत्रीय प्रयोगशाला में जांच करवाई जाए और कोर्ट में रिपोर्ट पेश की जाए। मामले में अब दो दिसंबर को सुनवाई होगी।


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