हनी ट्रैप मामले में हाई कोर्ट नाराज, कहा- केस की गंभीरता समझने को कोई तैयार नहीं
सुनवाई के दौरान आयकर विभाग के वकील ने कोर्ट को बताया कि एसआइटी ने चालान सहित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज अब तक नहीं सौंपे हैं।
इंदौर, जेएनएन। मध्य प्रदेश के बहुचर्चित हनी ट्रैप मामले को लेकर हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने सोमवार को नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि कोई भी मामले की गंभीरता को समझने को तैयार नहीं है। स्पष्ट आदेश के बावजूद विशेष जांच दल (SIT) आयकर विभाग को मामले से जुड़े दस्तावेज नहीं सौंप रहा है। जांच अधिकारी बगैर केस डायरी कोर्ट में चले आते हैं। सीबीआइ का जवाब तो दूर उनकी तरफ से न वकील उपस्थित होते हैं, न अधिकारी। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर सीबीआइ के एसपी को उपस्थित रहने का आदेश दिया। कोर्ट अब इस मामले में 16 मार्च को सुनवाई करेगी। उसी दिन प्रकरण से जुड़े तमाम दस्तावेज बंद लिफाफे में कोर्ट में प्रस्तुत भी करने होंगे।
दरअसल, हाई कोर्ट में मामले की अलग-अलग याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने सुनवाई पहले एसआइटी को आदेश दिया था कि वह 10 दिन के भीतर मामले से जुड़े तमाम दस्तावेज आयकर विभाग को सौंपे। इसके बावजूद आयकर विभाग को दस्तावेज नहीं सौंपे गए। सोमवार को आयकर विभाग ने कोर्ट को बताया कि दस्तावेज अब भी पूरे नहीं मिले हैं। कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताई और आदेश दिया कि अगली सुनवाई के पहले तमाम दस्तावेज नहीं सौंपे गए तो एसआइटी के प्रमुख को खुद कोर्ट में उपस्थित होना पड़ेगा। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि सीबीआइ की तरफ से कौन है। वहां उपस्थित एडवोकेट ने कोर्ट को बताया कि जो वकील साहब मामले में पैरवी कर रहे हैं, वे उपस्थित नहीं हैं। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए आदेश दिया कि अगली सुनवाई पर सीबीआइ के एसपी खुद कोर्ट में उपस्थित होकर जवाब दें।
जांच अधिकारी से पूछा-किसके कहने पर आए
सुनवाई के दौरान आयकर विभाग के वकील ने कोर्ट को बताया कि एसआइटी ने चालान सहित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज अब तक नहीं सौंपे हैं। इस पर कोर्ट ने वहां मौजूद जांच अधिकारी अवधेश गोस्वामी (आइपीएस) से पूछा कि क्या आप केस डायरी के साथ आए हैं। जैसे ही उन्होंने इन्कार किया कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए पूछा कि आप यहां किसके कहने पर आए हैं। अगली सुनवाई पर केस डायरी और इस मामले से जुड़े तमाम दस्तावेज बंद लिफाफे में लेकर उपस्थित हों। कोर्ट ने यह भी कहा कि तीन दिन में मामले से जुड़े तमाम दस्तावेज आयकर विभाग को नहीं सौंपे गए तो एसआइटी प्रमुख को खुद उपस्थित होना पड़ेगा। अब शासन को अगली सुनवाई से पहले मामले से जुड़े तमाम दस्तावेज आयकर विभाग को सौंपने ही होंगे। साथ ही ये दस्तावेज बंद लिफाफे में कोर्ट में भी पेश करने होंगे।
यह था मामला
इंदौर नगर निगम के इंजीनियर हरभजन सिंह ने शिकायत दर्ज करवाई थी कि उसे कुछ महिलाएं रुपयों के लिए ब्लैकमेल कर रही हैं। पुलिस ने शिकायत के बाद गिरोह की सरगना श्वेता विजय जैन, श्वेता स्वप्निल जैन, बरखा सोनी, मोनिका सहित अन्य को गिरफ्तार किया था। पुलिस पूछताछ में जानकारी मिली थी कि आरोपितों ने रसूखदार लोगों के वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल कर मोटी रकम वसूली है। इसी मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही है।